गुरुवार, 26 अक्टूबर 2017

निर्मल वर्मा मेरे प्रिय कहानीकार -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' - Suresh Chandra Shukla 'Sharad alok'

निर्मल वर्मा  मेरे प्रिय कहानीकार -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
 निर्मल वर्मा की पुण्यतिथि 25  अक्टूबर पर विशेष 

कल 25  अक्टूबर को प्रसिद्द साहित्यकार निर्मल वर्मा जी की पुण्य तिथि थी. वह मेरे प्रिय कहानीकार हैं. 

उनसे मेरा मिलना साहित्य अकादमी दिल्ली में सन 1996 में एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान हुआ था तब दिल्ली में नेशनल ड्रामा इंस्टीट्यूट के कलाकार श्री खरे जी  ने परिचय कराया था क्योंकि उन दिनों मैं अपनी पहली टेलीफिल्म तलाश बनाने के लिए अक्सर वहाँ आया करता था. साहित्य अकादमी और नेशनल ड्रामा इंस्टीट्यूट का कार्यालय एक ही बिल्डिंग 'रवींद्र भवन, नयी दिल्ली में था.

 मुझे निर्मल वर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया गया
14 सितम्बर 2016 को भोपाल में मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक विभाग द्वारा मुझे नकद एक लाख रूपये, प्रमाणपत्र आदि के साथ मुझे निर्मल वर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया गया तो बहुत खुशी हुई. इस बहाने निर्मल वर्मा जी की अनुपस्थित में मेरा नाम उनके साथ पुरस्कार के जरिये जुड़ गया. 14 सितम्बर को ही ही उसी दिन मुझे श्री शिव ओम अम्बर जी के सफल संचालन में कवि  सम्मलेन में कश्मीर पर कविता पढ़ने का सौभाग्य भी मिला जिसे उन्होंने बहुत सराहा।

निर्मल वर्मा जी विदेश प्रवास में रहे और मैं भी रहा हूँ. अतः प्रवास में रहकर लिखना यह बात दोनों में सामान है बेशक हम दोनों अलग-अलग देशों में प्रवास कर चुके हैं.  निर्मल वर्मा जी की कहानियां हिंदीसमय पर  पढ़ी हैं.

ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखकों जिनसे मेरा मिलना हुआ
निर्मल वर्मा जी को भारत में ज्ञानपीठ और पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है. मजे की बात है कि बहुत से लेखकों से मेरा परिचय बढ़ा था और जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वे हैं: अज्ञेय जी जिनसे मैं 1985 में मिला था हिन्द पॉकेट बुक्स द्वारा पुस्तकों की सीरीज के लोकार्पण के समय. उस समय रघुबीर सहाय, राजेंद्र अवस्थी, मुद्रा राक्षस और बहुत से लेखक मौजूद थे.
महादेवी वर्मा जी से मेरा मिलना डॉ आभा अवस्थी (डॉ बृजेन्द्र अवस्थी जी की पुत्री) के गुड़ियों की प्रदर्शनी में लखनऊ के सूचना केंद्र में हुई थी जब उन्होंने आभा जी की गुड़ियों की प्रदर्शनी का उदघाटन किया था. उअस कार्यक्रम में मशहूर और हरफनमौला लेखक अमृतलाल नागर सञ्चालन कर रहे थे.
क़ुरातुल ऐन हैदर, अमृता प्रीतम से मेरी मुलाक़ात ओस्लो नार्वे में हुई थी जब हमने मंच पर अपनी रचनायें साथ-साथ पढ़ी थीं.
श्रीलाल शुक्ल जी से लखनऊ में मिलता रहा और कुंवर नारायण दिल्ली में मिलते थे. कुंवर नारायण से मेरा परिचय प्रसिद्द कहानीकार कमलेश्वर ने कराया था बाद में दोनों ने अलग-अलग मेरी पुस्तकों का लोकार्पण भी किया था.

निर्मल वर्मा को भूलना आसान नहीं है. यदि आपने उनकी कहानियाँ नहीं पढ़ीं हैं तो उनकी कहानियाँ जरूर पढ़िये।


कोई टिप्पणी नहीं: