तीन दिवसीय साहित्यिक राष्ट्रीय संगोष्ठी
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अधिवेशन में 'साहित्य का सामर्थ्य' पर चर्चा हुई जबलपुर, मध्य प्रदेश भारत में। श्रीधर पराड़कर और श्री प्रवीण आर्य बहुत सक्रिय कार्यकर्ता थे जो साहित्य सम्मेलन में जमीनी सतह से कार्य कर रहे थे जो प्रेरणाप्रद था.
देश के कोने-कोने से साहित्यकार आये थे. गोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हा, उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष श्री ह्रदय नारायण दीक्षित, प्रोफ़ेसर नन्दकिशोर पांडेय, प्रोफ़ेसर रामेश्वर मिश्र, सुश्री शेषरत्नम जी, डॉ विद्याविन्दु सिंह, डॉ विनोद बब्बर जी, करुणा पांडेय, डॉ महेश दिवाकर, डॉ मीणा कौल, प्रोफ़ेसर त्रिभुवन नाथ शुक्ल और अन्य थे.
शोभा यात्रा
कार्यक्रम के अंतिम दिन बहुत शानदार शोभा यात्रा निकली जिसमें विभिन्न झाँकियाँ सजी हुई थीं. रानी लक्ष्मी बाई से लेकर भारत माता, घुड़सवार आदि काफी आकर्षक थे. मुझे भी घुड़सवारी का अवसर मिला।
यह कभी न भूलने वाला समय था.
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अधिवेशन में 'साहित्य का सामर्थ्य' पर चर्चा हुई जबलपुर, मध्य प्रदेश भारत में। श्रीधर पराड़कर और श्री प्रवीण आर्य बहुत सक्रिय कार्यकर्ता थे जो साहित्य सम्मेलन में जमीनी सतह से कार्य कर रहे थे जो प्रेरणाप्रद था.
देश के कोने-कोने से साहित्यकार आये थे. गोवा की राज्यपाल डॉ मृदुला सिन्हा, उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष श्री ह्रदय नारायण दीक्षित, प्रोफ़ेसर नन्दकिशोर पांडेय, प्रोफ़ेसर रामेश्वर मिश्र, सुश्री शेषरत्नम जी, डॉ विद्याविन्दु सिंह, डॉ विनोद बब्बर जी, करुणा पांडेय, डॉ महेश दिवाकर, डॉ मीणा कौल, प्रोफ़ेसर त्रिभुवन नाथ शुक्ल और अन्य थे.
शोभा यात्रा
कार्यक्रम के अंतिम दिन बहुत शानदार शोभा यात्रा निकली जिसमें विभिन्न झाँकियाँ सजी हुई थीं. रानी लक्ष्मी बाई से लेकर भारत माता, घुड़सवार आदि काफी आकर्षक थे. मुझे भी घुड़सवारी का अवसर मिला।
यह कभी न भूलने वाला समय था.
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