सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' के पहले काव्य संग्रह
'वेदना' (1976 को प्रकाशित) की कवितायें।
नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
कवि प्रसाद ने मान दिया।
इतिहास न भूले उनको,
जिसने पथ निर्माण किया।
बस कर्म किये जाते थे,
संघर्ष बना जीवन में।
वेदना बनी कृति मेरी,
मेरे बचपन -यौवन में।
मन मन्दिर की हो माया,
गौरव हो जग में जन में।
तिर्यक रेखा सी नभ में
कोपल सी कोमल तन में।
अपमान किया नारी का,
इतिहास न क्षमा करेगा।
लीक से हटकर जिसने,
प्रतिमान बना जीवन में।
यह प्यार का सौदा है
मिलजुलकर निभानी है।
यहाँ जोर नहीं चलता,
यह प्रेम कहानी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें