स्वार्थ में भूले देश समाज
कितने सूरवीर थे अशोक, बने थे पराक्रमी महान।
एक युद्ध में मरे इंसान से, टूटा था उनका अभिमान।
शोक-दुःख दर्द देख जानकर, राहुल बने थे महान बुध्द
जीत कर युद्ध हारकर वीर, अशोक हुए तब युद्ध विरुद्ध।
युद्ध-धर्म नहीं है हल! दुनिया का यह कैसा सवाभिमान?
जहाँ बच्चों न मिले शिक्षा, कर रहे हम किस पर अभिमान।
विदेशी कर्ज से डूबे हुए पहनकर नेता लाखों के सूट.
नहीं चाहिए शस्त्रों की होड़, गरीब जनता का पैसा लूट.
भूखे-अशिक्षित बच्चे-युवा तरसें, युद्ध में धन होता बर्बाद।
भ्रष्टाचार की करें आरती, क्या यही है पूजा का सम्मान?
करते कितना पैसा खर्च, बताओ राष्ट्रीय बजट में देश.
इकतालीस प्रतिशत बच्चों पर एक प्रतिशत का लेप?
बना मन्दिर और करके युद्ध, क्या नहीं तुम पैसा करोगे एकत्र।
कट्टरता-धर्म राष्ट्रवाद में घोल, चुनाव में जीतने का कुचक्र।।
कितना घटिया हो जाता मनुज, स्वार्थ में भूले-बिसरे लोग।
इसी को कहते हैं दुष्चक्र, इसी में फँसा है देश समाज?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 16.03.19
कितने सूरवीर थे अशोक, बने थे पराक्रमी महान।
एक युद्ध में मरे इंसान से, टूटा था उनका अभिमान।
शोक-दुःख दर्द देख जानकर, राहुल बने थे महान बुध्द
जीत कर युद्ध हारकर वीर, अशोक हुए तब युद्ध विरुद्ध।
युद्ध-धर्म नहीं है हल! दुनिया का यह कैसा सवाभिमान?
जहाँ बच्चों न मिले शिक्षा, कर रहे हम किस पर अभिमान।
विदेशी कर्ज से डूबे हुए पहनकर नेता लाखों के सूट.
नहीं चाहिए शस्त्रों की होड़, गरीब जनता का पैसा लूट.
भूखे-अशिक्षित बच्चे-युवा तरसें, युद्ध में धन होता बर्बाद।
भ्रष्टाचार की करें आरती, क्या यही है पूजा का सम्मान?
करते कितना पैसा खर्च, बताओ राष्ट्रीय बजट में देश.
इकतालीस प्रतिशत बच्चों पर एक प्रतिशत का लेप?
बना मन्दिर और करके युद्ध, क्या नहीं तुम पैसा करोगे एकत्र।
कट्टरता-धर्म राष्ट्रवाद में घोल, चुनाव में जीतने का कुचक्र।।
कितना घटिया हो जाता मनुज, स्वार्थ में भूले-बिसरे लोग।
इसी को कहते हैं दुष्चक्र, इसी में फँसा है देश समाज?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 16.03.19
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें