बी जे पी की लोकप्रियता घटना शुरू
प्रधानमन्त्री के रूप में कोई भी भारत का प्रधानमंत्री हो उसका सम्मान सारा विश्व करता है और करता रहेगा। श्री नरेंद्र मोदी जी कीलोकप्रियता विदेशों में कभी नहीं रही है. जब आप विदेशों में दूतावासों के जरिये बैठक और कार्यक्रम भारतीय पैसे से करते हैं तो वह बैठक /सभा में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का सम्मान हुआ उनके नाम के कारण नहीं।
स्वीडेन के समाचार पत्र पढ़ें जब प्रधानमंत्री के तौर पर स्टॉकहोल्म आये थे. नार्वे और डेनमार्क से बुलाये गए कुछ मोदी समर्थक भारतीयों की आने जाने और रुकने की अर्थव्यवस्था /व्यवस्था दूसरों ने की थी वे कौन थे? जानिये। स्वीडेन के उद्योगमंत्री ने प्रधानमंत्री के आने से सम्बन्ध बढ़ने की बात अन्य तरीके से खारिज की थी. प्रेसकांफ्रेंस का हिस्सा मैंने मुख्य भारतीय हिंदी अखबार में छपा नहीं देखा है.
स्वीडेन में स्कैण्डिनेवाईयाई भारतीय मीडिया कर्मियों को नहीं आने दिया गया था. यह पहली बार हुआ था.
नार्वे में श्रीमती इंदिरा गांधी जी के आगमन पर भी कुछ लोगों ने प्रदर्शन किये थे फिर भी भारतीय मीडियाकर्मी बुलाये गए थे और इंदिरा जी ने नार्वे में प्रेस कांफ्रेंस में भाग नहीं लिया था. मीडिया ने साक्षात्कार लिए थे.
श्री नरेंद्र मोदी के स्वीडेन में भारतीय -उत्तरीय देशों की सयुक्त सम्मिट का भारत भी संयुक्त रूप से आयोजक था और श्री मोदी जी के आगमन पर इस बार भी कुछ भारतीयों ने शांतिपूर्वक विरोध किया था, पर कहीं समाचार नहीं छपा है. नार्वे और स्वीडेन के कुछ बीजेपी समर्थक पीछे हटने लगे हैं.
4 मई 2019 से बीजेपी की राजनैतिक ऊँचाई अब निचाई की ओर जाना शुरू हो गयी है.
अनेक कारण हैं.
1 -भारतीय जनता और मीडिया में बीजेपी के अवगुणों का बखान करने पर कई लोग
परेशान किये जा चुके हैं. फिर भी आज से सोशल मीडिया और समाचारपत्रों के बी जे पी के विज्ञापन में
केवल मोदी की तस्वीर विज्ञापन में छपने का विरोध उनकी अपनी ही पार्टी (बीजेपी) के देश-विदेश के
बहुत से लोगों नें करना शुरू कर दिया है.
2 - भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने वाली संस्था आर एस एस जान गयी है कि उसके सदस्य अब अनेकों
पार्टियों में फ़ैल गए हैं. जिसका उदाहरण लखनऊ के कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार ने आज के अमर
उजाला अखबार में दिया है कि लखनऊ से गठबन्दन (सपा और बसपा) की उमीदवारआर एस एस की
सदस्य हैं. उनके पति पटना से कांग्रेस के उम्मीदवार भी आर एस एस के सदस्य हैं.
3 -आने वाले समय में महाराष्ट्र से बीजेपी से जुडी पार्टियाँ प्रधानमंत्री के रूप में श्री मोदी जी का प्रज्ञा ठाकुर
का निजी समर्थन भारी पड़ सकता है अर्थात चुनाव परिणाम में बी जेपी के विरोध में जा सकता है. आई पी
एस अधिकारियों ने भारतीय अखबारों में अनेक लेख लिखे हैं इसके विरोध में. और मुंबई की
जनता ने अनेक स्थानों पर प्रदर्शन कर वीर शहीद पुलिस अधिकारी की आरोपी को उम्मीदवार बनाये
जाने पर आश्चर्य और उसके श्राप को घिनौना बताया है.
अनेक वर्षों से सजा काट रही आरोपी प्रज्ञा को बीजेपी का उम्मीदवार बनाये जाने को अब आर एस एस के
समर्थन वापस लेने से अभी भी बची-खुची प्रतिष्ठा बच सकती है.
प्रेस की आजादी हमको अमेरिका और नार्वे से सीखना चाहिये, जो दुनिया में एक मिसाल स्थापित करते हैं।
-सुरेशचन्द्र शुक्ल, शरद आलोक, ओस्लो , 04.05.19
प्रधानमन्त्री के रूप में कोई भी भारत का प्रधानमंत्री हो उसका सम्मान सारा विश्व करता है और करता रहेगा। श्री नरेंद्र मोदी जी कीलोकप्रियता विदेशों में कभी नहीं रही है. जब आप विदेशों में दूतावासों के जरिये बैठक और कार्यक्रम भारतीय पैसे से करते हैं तो वह बैठक /सभा में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का सम्मान हुआ उनके नाम के कारण नहीं।
स्वीडेन के समाचार पत्र पढ़ें जब प्रधानमंत्री के तौर पर स्टॉकहोल्म आये थे. नार्वे और डेनमार्क से बुलाये गए कुछ मोदी समर्थक भारतीयों की आने जाने और रुकने की अर्थव्यवस्था /व्यवस्था दूसरों ने की थी वे कौन थे? जानिये। स्वीडेन के उद्योगमंत्री ने प्रधानमंत्री के आने से सम्बन्ध बढ़ने की बात अन्य तरीके से खारिज की थी. प्रेसकांफ्रेंस का हिस्सा मैंने मुख्य भारतीय हिंदी अखबार में छपा नहीं देखा है.
स्वीडेन में स्कैण्डिनेवाईयाई भारतीय मीडिया कर्मियों को नहीं आने दिया गया था. यह पहली बार हुआ था.
नार्वे में श्रीमती इंदिरा गांधी जी के आगमन पर भी कुछ लोगों ने प्रदर्शन किये थे फिर भी भारतीय मीडियाकर्मी बुलाये गए थे और इंदिरा जी ने नार्वे में प्रेस कांफ्रेंस में भाग नहीं लिया था. मीडिया ने साक्षात्कार लिए थे.
श्री नरेंद्र मोदी के स्वीडेन में भारतीय -उत्तरीय देशों की सयुक्त सम्मिट का भारत भी संयुक्त रूप से आयोजक था और श्री मोदी जी के आगमन पर इस बार भी कुछ भारतीयों ने शांतिपूर्वक विरोध किया था, पर कहीं समाचार नहीं छपा है. नार्वे और स्वीडेन के कुछ बीजेपी समर्थक पीछे हटने लगे हैं.
4 मई 2019 से बीजेपी की राजनैतिक ऊँचाई अब निचाई की ओर जाना शुरू हो गयी है.
अनेक कारण हैं.
1 -भारतीय जनता और मीडिया में बीजेपी के अवगुणों का बखान करने पर कई लोग
परेशान किये जा चुके हैं. फिर भी आज से सोशल मीडिया और समाचारपत्रों के बी जे पी के विज्ञापन में
केवल मोदी की तस्वीर विज्ञापन में छपने का विरोध उनकी अपनी ही पार्टी (बीजेपी) के देश-विदेश के
बहुत से लोगों नें करना शुरू कर दिया है.
2 - भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने वाली संस्था आर एस एस जान गयी है कि उसके सदस्य अब अनेकों
पार्टियों में फ़ैल गए हैं. जिसका उदाहरण लखनऊ के कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार ने आज के अमर
उजाला अखबार में दिया है कि लखनऊ से गठबन्दन (सपा और बसपा) की उमीदवारआर एस एस की
सदस्य हैं. उनके पति पटना से कांग्रेस के उम्मीदवार भी आर एस एस के सदस्य हैं.
3 -आने वाले समय में महाराष्ट्र से बीजेपी से जुडी पार्टियाँ प्रधानमंत्री के रूप में श्री मोदी जी का प्रज्ञा ठाकुर
का निजी समर्थन भारी पड़ सकता है अर्थात चुनाव परिणाम में बी जेपी के विरोध में जा सकता है. आई पी
एस अधिकारियों ने भारतीय अखबारों में अनेक लेख लिखे हैं इसके विरोध में. और मुंबई की
जनता ने अनेक स्थानों पर प्रदर्शन कर वीर शहीद पुलिस अधिकारी की आरोपी को उम्मीदवार बनाये
जाने पर आश्चर्य और उसके श्राप को घिनौना बताया है.
अनेक वर्षों से सजा काट रही आरोपी प्रज्ञा को बीजेपी का उम्मीदवार बनाये जाने को अब आर एस एस के
समर्थन वापस लेने से अभी भी बची-खुची प्रतिष्ठा बच सकती है.
प्रेस की आजादी हमको अमेरिका और नार्वे से सीखना चाहिये, जो दुनिया में एक मिसाल स्थापित करते हैं।
-सुरेशचन्द्र शुक्ल, शरद आलोक, ओस्लो , 04.05.19
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