गाँधी मरते नहीं (बलिदान दिवस पर)
हर जन मन में एक गाँधी है।
माफ करते हैं जब दूसरों को,
न्याय करते समय गाँधी याद आते हैं।
गाँधी अपने-पराये में भेद नहीं करते,
इसी लिए उनके हत्यारे के प्रशंसक
संसद में सांसद चुने जाते हैं।
सर्वधर्म भाव और मानवता के शताब्दी पुरुष
दुनिया के सभी बुद्धिजीवी
कोटि-कोटि नमन करते हैं।
महिलायें गाँधी की अनुयायी हैं,
इसीलिए सबसे ज्यादा जेल में बन्द हैं।
एक दिन ऐसा आयेगा जब
संसद में 50 प्रतिशत महिलायें होंगी।
तब बच्चे भूख से नहीं मरेंगे,
सभी बच्चे स्कूल जायेंगे।
मन्दिर के लिए चन्दा मांगने हेतु
महामारी में भेंड़ की तरह भीड़ नहीं बनेंगे।
अपने-अपने गाँव मोहल्ले में
शिक्षा दान और दूसरे के लिए श्रमदान से
स्वच्छ भारत बनायेंगे।
आज जब चारो तरफ गरीबी,
महामारी और आपदा ने दबा रखा है।
जगह-जगह गाँधी जन्म लेने लगे हैं।
दस बरस में जब वे जवान हो जायेंगे।
हम जनता को
शान्तिदूत और कारीगर बनायेंगे।
आज भारत में किसान आंदोलन,
भविष्य की आहट है।
आज महात्मा गाँधी के बलिदान दिवस पर
30 जनवरी 2021 को
देश-विदेश में
किसान और बुद्धिजीवी व्रत रहकर
आत्मशुद्धि कर रहे हैं।
भारत में आंदोलनकारी प्रजातंन्त्र जो रक्षक हैं,
दुनिया की कमजोर सत्तायें
अपना अपराध छिपाने के लिए
विपक्षियों पर जुल्म करके डराकर,
अपने सत्ता खोने का डर छिपाती हैं।
क्या हम उन्हीं पदचिन्हों पर
चलते दिखाई दे रहे हैं?
गाँधी के बलिदान दिवस (पुण्यतिथि) पर
शपथ लें, आत्म मंथन करें।
देश-दुनिया में मानवता-पर्यावरण बचायें।
शायद अपनी नयी पीढ़ी के काम आ जायें।
देश के इतिहास में पहली बार दिल्ली में
26 जनवरी 2021 को
किसानों और मज़दूरों के हाथों में
बहुत बड़ी संख्या में
लाखों तिरंगे लहराये।
किसान और मज़दूर साथ आये।
ताकि भारतीयों का सीना गर्व से ऊँचा हो जाये।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
30.01.21
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