जासूसी, तानाशाह का हथियार है
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
क्या भारत में लोकतंत्र
ध्वस्त हो रहा है ?
जो आवाज उठाते थे
बहुत कैद हो गये हैं.
हमारा प्रधान
क्या तानाशाह हो गया है?
क्या सरकार कर रही जासूसी?
सुप्रीमकोर्ट-सी बी आई, विपक्ष के नेता
बन रहे निशाना.
प्रधान का अपने ही चुनाव आयुक्त को
क्यों पड़ा अपनी अँगुली में नचाना?
जासूसी बजट सौ गुना बढ़ गया है,
जबकि आक्सीजन और अस्पताल की कमी से
बेइलाज हजारों देशवासी खुले आम मर रहे थे.
मौन रहकर जन - जन में भय फ़ैल रहा है.
जब मंत्री अन्नदाता को,
मवाली कह रहे हैं.
फिर भी संसद में
वह पद पर बना हुआ है?
कितनी बड़ी खाई खोद दी सरकार ने
भाईचारे की जगह क्यों वह
नफरत बो रहा है?
विदेशी ताकतों से देशवासी की,
गुप्तचरी करा रहे हो,
भूल गए कि मकड़ी जाले में
कीड़े भी फँस रहे हैं?
जिनके लिए देश को
गिरवी बना रहे हो
वही तुम्हारे लिए गड्ढे खोद रहा है?
पूंजीवाद और सामंतवाद
छोड़ते नहीं किसी को,
क्या हमारा संतरी जो मंत्री बन गया है
जैसे खाई और कुँएं के बीच
फँस गया है?
त्यागपत्र ही एक मात्र प्रजातंत्र मार्ग है
पश्चाताप ही क्षमा का एकमात्र उपाय है
यहाँ डाकू भी आत्मसमर्पण कर
सांसद बन चुके हैं?
गाँधी के देश में त्यागपत्र
सबसे बड़ा रास्ता है?
वरना पत्थरों और संस्थानों से
तुम्हारे नाम मिट न जायें?
जैसे रूस में लेनिन की मूर्ति के संग हुआ है
जैसे ब्रिटेन और नार्वे में
चर्चिल की मूर्ति के
अपमानित होने का डर बढ़ा है?
(ओस्लो, 24.07.21)