गुनाहों का द्वीप 1
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
भारत द्वीप
बन रहा है राजनैतिक
भ्रष्टाचार का सागर
गुनाहों का द्वीप।
जहाँ 84 वर्ष के स्टेन स्वामी
बिना सुबूतों के
कारागार के सींकचों में बंद
एक दिन हो जाती है उनकी
व्यवस्था के हाथों हत्या।
बिना गुनाह जेल में रखना गुनाह है.
यह न्याय के लिए आवाज उठाने का
उन्हें मारना एक दाँव है?
देश का प्रधानमंत्री बिना संसद से पूछे
जब गुनाह करता है
उसे कोई नहीं टोकता, रोकता
तब व्यवस्था कमजोर बेअसर हो जाती है.
जब संसद से पूछें बिना पड़ोसी देश में
जहाज लेकर उतरता है,
उसे कोई सजा नहीं होती?
इसलिए वह कुछ भी कर सकता है?
कौन जाने बड़े-बड़े गुनाह में फँसे लोग
सरकार की आड़ में मौत का व्यापार कर रहे हैं?
बिना जांच कैसे जान पायेंगे.
या सरकार बदलने पर
व्यवस्था के जिम्मेदार लोग
स्टेन स्वामी की तरह
जेल में मार दिए जायेंगे?
सैकड़ों किसानों की आन्दोलन में मौत
क्या राजनैतिक हत्या नहीं?
आक्सीजन और अस्पतालों की कमी से
मारे गए लोग
लापरवाही और बदइंतजामी के कारण
ह्त्या नहीं।
आप सभी से प्रश्न है?
जबरदस्ती गलत सूचनाओं से भरे
सार्वजनिक स्थलों पर लगे-पते होल्डिंग और पोस्टर
क्या जनता के धन की बर्बादी नहीं?
होल्डिंग और पोस्टर पर छपे प्रधानमंत्री और मंत्री
यदि गुनहगार हैं
तो कौन उनपर मुकदमा चलाएगा?
मुकदमा चलने तक कौन उन्हें जेल में बंद कर पायेगा।
क्या हमेशा की तरह देश के गरीबों के धन पर
ऐश करने वाले लोग छुट्टा घूमते रहेंगे
हम कोहलू के बैल की तरह
खुली आँखों से देश के लोकतंत्र में
तानाशाही तरीके से पीसे जाते रहेंगे?
कोई तो सच्चा देशभक्त माँ का सुपूत
हिम्मत वाला व्यवस्था का रक्षक आएगा
और भारत और अन्य देशों में
व्यवस्था द्वारा अत्याचार और भ्रष्टाचार से
मुक्ति दिलाएगा।
देश में 65 साल की तरक्की को
जो धूल में मिला रहा है.
इन्सान के रूप में फरिशता आएगा
जब आजाद भारत को
स्टेन स्वामी जैसे हजारों बेगुनाहों को
जेल से छुड़ाएगा।
कोई तो लोकतान्त्रिक तरीके से तुरन्त
गरीब असहाय निर्बल जनता को
न्याय दिलाएगा।
इस सरकार को एकदम हटायेगा?
क्या व्यवस्था राजनैतिक कोरोना से अधिक
खतरनाक है?
क्या हम संवेदनहीन हो गए हैं?
जब सरकार पागल हाथी की तरह
निरंकुश हो जाये तो!
कोई महावत तो आगे आये?
लोकतन्त्र का शान्ति-दीप
फिर से जलाये।
(संवर्धित: 24.07.21 )
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