बुधवार, 14 जुलाई 2021

चाँद पीछा न कर - - सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’

 

 चाँद पीछा न कर
“वतन है बहुत दूर, चाँद पीछा न कर।
 कैसे हुए मजबूर, चाँद पीछा न कर।
पूरनमासी में क्यों उपजा ग़ुरूर, चाँद पीछा न कर।
चाँदनी की क्या है मिसाल, 
चकोर करते धमाल।
मुखड़े से शुरू हो मीत,
अन्तरे में खो रहे गीत।”
 

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