शुक्रवार, 27 जून 2025

फिर एक हादसा होना चाहिए - सुरेश चंद्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे

फिर एक हादसा होना चाहिए

    सुरेश चंद्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे 

कुछ नहीं रहा तेरी सियासत में,

अब तुमको स्तीफा देना चहिये।

सियासत से चिपकना है तुमको

फिर एक हादसा होना चाहिए।


यदि जीवन में सब नहीं मिलता,

तब प्रयास जारी रहना चाहिए।

तुमपर कोई हमला नहीं करता,

खुद पर हमला कराना चाहिए।


असफलता के दौर में तुमको,

विरोधी स्वर दबाना चाहिए?

अपने पाप  छिपाने के लिए,

नेहरू को गाली देना चाहिए।


आजादी में योगदान न सही,

देश को गुलाम बनाना चाहिए।

ले  लिया है हमने अथाह चंदा,

सबको गुलाम बनना चाहिए।


ओस्लो, २७.०६. २५ 

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