गुरुवार, 3 सितंबर 2009

बचपन बचाओ आन्दोलन के कर्णधार कैलाश सत्यार्थी से विस्तृत बातचीत- शरद आलोक

'बच्चों का बचपन लौटाओ, जीवन में कुछ तो कर जाओ।
मुक्त करो हे मुक्त करो बाल मजदूरी से मुक्त करो।
जहाँ बच्चों को बेचा जाता है, पशुओं सा जोता जाता हो, कैसा मानव का नाता है?
दो टूक पेट के खातिर जो बंधुआ बन जीवन जीते हैं। फैशन के गहने कपडों में छिपा है जिनका हर पल छण ॥ आओ उनके खातिर करूणा, मानवता का गान करें। को दो टूक हँसी दे दें। बाँट-बाँट कर खाना सीखें . जब बचपन ही गिरवी हो फ़िर जवानी का क्या होगा? ' ये पंक्तियाँ बरबस अपने बचपन के उन मित्रों के नाम लिखी हैं जो गुलामी का जीवन जी रहे हैं और किसी की प्रतीक्षा कर रहे हैं की कोई उन्हें आकर बंधुआ मजदूरी से छुडाये। आइये पढ़े एक ऐसे इंसान का साक्षात्कार जिन्होंने बच्चों के लिए जीवन दे दिया ही, उनका नाम है कैलाश सत्यार्थी - 'शरद आलोक'


कैलाश सत्यार्थी जी दिसम्बर २००८ में हाई लेबल मीट आन एजुकेशन (विश्व शिक्षा सम्मलेन, ओस्लो नार्वे) में नार्वेजीय मंत्रियों होकुन और बोर्ड वेगार से विचार विमर्श करते हुए
विश्व के सभी बच्चों के लिए करुणा, सद्भाव और सहनशीलता जरूरी- बचपन बचाओ आन्दोलन के कर्णधार कैलाश सत्यार्थी से विस्तृत बाताचीत का लघु अंश - शरद आलोक


चित्र में बाएँ से उच्च शिक्षा मंत्री बोर्ड वेगार, सेल स्पाइल के संपादक सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' और विश्व प्रसिध्ध एक्टिविस्ट कैलाश सत्यार्थी
विश्व में बहुत से बच्चों का बचपन बंधुआ मजदूर बन जाने से तबाह हो रहा है। यदि विश्व में हर देश में सत्यार्थी जी की तरह एक्टिविस्ट हो जाएं तो विश्व के बहुत से अनाम बच्चों का बचपन और जीवन मुक्त हवा में साँस ले सकेंगे। सुधार, प्रजातंत्र और मानवतावाद स्वयंम नही आते उसके लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे। अंग्रेजी में साक्षात्कार के लिए पढिये। http://speilnet.blogspot.com/
साक्षात्कार के लिए यू ट्यूब You tube देखिये जो यहाँ लिंक के रूप में संलग्न है: http://www.youtube.com/watch?v=oBrUH22Q7-A
धन्यवाद। वेब साइड भी उपलध है। http://www.kailashsatyarthi.net/

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