मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

अन्ना मारा गया (कहानी) -सुरेशचंद्र शुक्ल ,शरद आलोक'

अन्ना  मारा गया  (कहानी) पहला  भाग -सुरेशचन्द्र शुक्ल ,शरद आलोक'
 'अन्ना मारा गया, मशहूर समाजसेवक अन्ना मारा गया. आज की ताजा खबर.', 'आइये लीजिये मुफ्त अख़बार-नए-नए ताजे समाचार.  लखनऊ नगर का मशहूर चारबाग़ रेलवे स्टेशन पर एक अखबार बेचने वाला आवा ज लगा रहा है. लोग उसकी तरफ देखते हैं जो जल्दी में नहीं हैं वह अख़बार लेते जा रहे हैं. हाकर की फुर्ती उसकी सक्रियता का बयां कर रही थी. वह बिना थके गोहार  लगा रहा है, आइये नवाब साहेब, बहनजी ताजा समाचार है, चाय के साथ नाश्ता करना भूल जायेंगी, नवाब साहेब आइये और मिर्च और मुरब्बे सी ख़बरों का लुफ्त उठाइये'. यात्रियों की भीड़ स्टेशन की ओर उमड़कर जा रही है. अखबार वाला सड़क के मध्य बने डिवाइडर पर अखबार रखे हैं. उसके बगल में बैठी एक महिला नीम की दातून बेच रही है. आज भी कुल्ला करने का पुराना तरीका. एक सज्जन मुख में दातून दबाए दातून  को अपनी अँगुलियों से  घुमाते हुए दूसरे हाथ  से अखबार पकड़ते हैं और अखबार वाले से पूछते हैं, 'किसने दी है परमिशन अखबार बेचने के लिए.'
'इसमें अनुमति की क्या जरूरत है भाई साहेब',  कहते हुए अखबार  वाला लोगों को अखबार पकड़ा रहा था. निडर. बेख़ौफ़. दातुन वाले ने पूछा,
'क्या नाम है तुमारा?'
'अन्ना.'
'तुम  तो  कह  रहे हो  अन्ना मारा गया.'  उसने दातून की कूची मुख से निकली और वहीं बगल में थूकते हुए पूछा था.
'हाँ बाबूजी, पर हम क्या करें? क्या अन्ना मेरा नाम नहीं हो सकता.' अखबार वाले ने जवाब दिया और  शुरू हो गया अपने अखबार का प्रचार करने'
'बेरोजगारी का नया व्यापार, नरेगा का  पैसा लूटकर नेता मालदार.' 
'अखबार बेच रहे हो या कविता कर रहे हो.'
'हाँ, जनाब कविता भी कर लेता हूँ.'  उसने आगे कहा, 'आप लखनऊ के नहीं लगते हो तभी आपको नहीं मालुम कि लखनऊ का हर दूसरा शहरी शायराना अंदाज में बात करता है.' तभी उस अखबार वाले के मोबाइल फोन की घंटी बजी. 'उसने मोबाइल फोन उठाया. और कहा बीच सड़क पर छोटी लाइन के सामने' वह दातून से कुल्ला करने वाला आदमी अखबार वाले के नजदीक आ गया और पूछने लगा, 
' किससे टर-टर कर रहा है ?'
अखबार वाले ने वहां से हटकर अपने मोबाइल फोन पर कुछ कहा और खुला मोबाईल अखबार के पास रखकर अखबार के गठ्ठर के पास आ गया.
दातून वाला आदमी उसके पीछे -पीछे आ गया. तभी एक मोटर साइकिल से सवार दो युवक उतरे और अपना कमरा एक युवक के पीछे छुपकर रिकार्ड करने लगे. 
अखबार वाले ने पूछा,' क्या कहते हो भैया? मुझे अखबार क्यों नहीं बेचने देते?''
'यहाँ मेरा ठेका चलता है. मुझे भी उगाही करके देना पड़ता है.' अखबार वाला उसकी बात सुनकर अपना मोबाईल हाथ में लेकर दोबारा पूछने लगा क्या कहा भैया, शोर में सुनायी नहीं पड़ा? जरा जोर से बोलो?
' मैंने कहा मेरा यहाँ ठेका चलता है. मुझे भी आगे पासे देने होते हैं. तुम्हें भी कुछ न कुछ देना पड़ेगा.' दातून कर रहे आदमी ने अपनी दातून बीच सड़क पर फेकते हुए बोला.
'हमने तो सुना था यहाँ सरकार राज है, पर यहाँ तो आपका राज लगता है.', अखबार वाले ने व्यंग्यात्मक लहजे में  और कहने लगा,  दातून वाला सुनकर आग बबूला हो गया.
,  'तुम यहाँ बिना कुछ लिए दिए अखबार नहीं बेच सकते?'
'देखो भैया घूस लेना और देना जुर्म है' दातून वाले ने कंधे पर लटके झोले से एक स्वेटर निकाल  और उसे पहन लिया स्वेटर के मुड्ढे पर पुलिस का बिल्ला लगा था. 
'अख़बार वाले के मुख में कोई शिकन नहीं थी. वह बेधड़क अखबार बेचने की गोहार लगाता  जा रहा था,
'आज की ताजा  खबर, खुलेआम पुलिस सिपाही घूस मांग रहा, जनता बेखबर.'
उसके यह कहते ही वहां भीड़ एकत्रित होने लगी. सिपाही पहले हड़बड़ाया फिर  संभलकर आरोप लगाता हुआ  बोला, 
'बीच सड़क में खड़े होकर रास्ता जाम करते हो. तुम्हें थाने  में बन्द करवा दूंगा.' 
अखबार वाले ने जवाब दिया, ''जब आप मुझपर दबाव डाल  रहे हो घूस के लिए, तो चलो देता हूँ. मेरे पास जरा छुट्टे रूपये नहीं हैं सौ का नोट है. जरा इसे तोड़ा लूं.' कहकर  वह मोटरसाइकिल वाले एक युवक से पास आ गया. नोट देने का इशारा करता है, सिपाही पीछे-पीछे आता है.
'बढ़ाओ हाथ और पकड़ो अपनी उगाही.''  सिपाही से ऊपर हाथ उठाकर पैसे लेने को कहता है. सिपाही पचास का नोट जेब में डालने का इशारा करता है. पर अखबार वाला कहता है ,
'एक तो आप जबरदस्ती पैसे मांग रहे हो, ऊपर से लेने से डरते भी हो.'
सिपाही को मानो ताव आ गया और उसने कहा, 'कौन डरता है, लाओ उसने हवा में हाथ उठाया और पचास का नोट पकड़ लिया. और कहा 'या तुम्हरे फुटपात  का किराया है.'   
'तो फिर रसीद भी दोगे?' अखबार वाले ने कहा. 
'काहे की रसीद.' कहकर वह सिपाही की वर्दी में सिपाही जाने लगा, पर अखबार वाले ने जिद की तो उस आदमी ने अखबार वाले को अपना परिचयपत्र दिखाया और बताया कि वह पास के थाने  में सिपाही है.
(शेष कहानी आगे पढ़िए .....इसी ब्लॉग पर धन्यवाद. )
 
 
  वह  दूसरी और  motar
   


 खबरदार.' दूर करें' नरेगा का उपहार'   
     

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