ओस्लो, रविवार.
नगर्कीर्तन में सबसे आगे ढोल बजाते हुए नौजवान बच्चे चल रहे थे और उनकी अगुवाई पांच प्यारे कृपाण लिए अगुवाई कर रहे थे. केसरिया और नीली पोशाकों में बहुत से लोग इस नगर कीर्तन को रंगमय बना रहे थे.
रोदहूस के सामने विशाल जनसभा
पिछले वर्ष से ओस्लो में १४ अप्रैल को इस अवसर पर पगड़ी दिवस मनाया जाता है. सैकड़ों लोगो ने निशुल्क पगड़ी बंधवाई और पूरा माहोल बैसाखीमय हो गया था. चायपानी और भोजन का भी प्रबंध किया गया था. सभी सेवादारों ने बड़ी कुशलता से अपना कर्तव्य निभाया जिनका सञ्चालन करते हुए धरमिंदर सिंह कर रहे थे ने सभी के थे, ने मिलकर इस पर्व का सम्मान बढ़ाया. नार्वेजीय लोगों ने भी होंसले से पग बंधवाकर अपना योगदान दिया.
१५ अप्रैल बैसाखी पर ओस्लो में विशाल नगर कीर्तन और पगड़ी दिवस संपन्न:
ओस्लो में भारतीयों ने धूमधाम से बैसाखी पर्व मनाया. ओस्लो स्थित गुरुद्वारा गुरुनानक देव, अल्नाब्रू से कार्यक्रम आरम्भ हुआ जो ओस्लो सेन्ट्रल स्टेशन के सामने विशाल नगर कीर्तन निकला गया जो कार्ल जहां होता हुआ पार्लियामेंट और नॅशनल थिएटर के सामने से गुजरता हुआ रोदहूस (सिटी हाल) के सामने समुद्री किनारे पर एक विशाल जनसभा में बदल गया.
पांच प्यारे द्वारा अगुवाई नगर्कीर्तन में सबसे आगे ढोल बजाते हुए नौजवान बच्चे चल रहे थे और उनकी अगुवाई पांच प्यारे कृपाण लिए अगुवाई कर रहे थे. केसरिया और नीली पोशाकों में बहुत से लोग इस नगर कीर्तन को रंगमय बना रहे थे.
रोदहूस के सामने विशाल जनसभा
यहाँ मंच से ओस्लो नगर पार्लियामेंट के सांस्कृतिक बीरोद हाल्स्ताइन बियेर्के ने भारतीयों को शुभकामनाएं दी और उनके नार्वे में योगदान के लिए बढ़ायी दी. गुरुद्वारा के प्रतिनिधियों अमनदीप कौर, राजेंद्र सिंह टूर और लिएर गुरुद्वारा के प्रतिनिधि ने बैसाखी पर्व पर सभी को शुभकामनाएं दी. रागियों ने शब्द कीर्तन किया और महँ गुरुओं का यशगान किया.
पगड़ी दिवसपिछले वर्ष से ओस्लो में १४ अप्रैल को इस अवसर पर पगड़ी दिवस मनाया जाता है. सैकड़ों लोगो ने निशुल्क पगड़ी बंधवाई और पूरा माहोल बैसाखीमय हो गया था. चायपानी और भोजन का भी प्रबंध किया गया था. सभी सेवादारों ने बड़ी कुशलता से अपना कर्तव्य निभाया जिनका सञ्चालन करते हुए धरमिंदर सिंह कर रहे थे ने सभी के थे, ने मिलकर इस पर्व का सम्मान बढ़ाया. नार्वेजीय लोगों ने भी होंसले से पग बंधवाकर अपना योगदान दिया.
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