हम अक्सर महिलाओं के कपड़ों की बात करते हैं. जब हम पश्चिम देशों में बैठकर यह देखते हैं कि लड़कियों या लड़कों को कौन सी पोषाक या कपड़े पहनने हैं और उसका निर्णय पहनने वाला या माता - पिता के अलावा कोई और करे तो बड़ा अटपटा और अतार्किक लगता है. पर ऐसा फरमान और कहीं नहीं यह इंग्लैण्ड के एक स्कूल का है. आगे पूरी रिपोर्ट पढ़िये।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' suresh@shukla.no
इंग्लैंड के रेडिच शहर में स्थित वॉकवुड सी ऑफ़ ई मिडिल
स्कूल ने अपनी यूनीफ़ॉर्म नीति के तहत लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी
लगा दी है.
स्कूल प्रशासन के अनुसार छात्राएं ब्लाउज़ पहन कर भी स्कूल नहीं आ सकती हैं.स्कूल का कहना है कि गर्मियों के दौरान लड़कियाँ क्या पहन कर स्कूल आ सकेंगी इस बारे में विचार-विमर्श जारी है.
स्कूल के हेडमास्टर डेविड डाउटफ़ायर ने छात्राओं के माता-पिता को एक ख़त लिखकर कहा कि स्कूल यूनीफ़ॉर्म में होने वाला बदलाव सितंबर के महीने से लागू होगा और फिर धीरे-धीरे पूरे साल में इस पर अमल किया जाएगा.
हेडमास्टर ने अपने ख़त में लिखा है, ''सभी लड़कियों से उम्मीद की जाती है कि वे पैंट पहनेंगी.''
'तुग़लक़ी फ़रमान'
स्कूल प्रशासन ने ये भी स्पष्ट किया है कि लड़कियों की पैंट भी ठीक उसी तरह के कपड़े की होंगी जैसा कि लड़कों की पैंट होती है.स्कूल ने अपने यूनिफॉ़र्म के रंग को भी बदलते हुए स्लेटी से काला करने का फ़ैसला किया है.
भारत और इसके आस-पास के देश या फिर अरब देशों में तो इस तरह की बातें अक्सर सुनी जाती हैं कि लड़कियां क्या पहन कर स्कूल या कॉलेज जा सकती हैं और क्या पहन कर नहीं जा सकती हैं.
लेकिन किसी पश्चिमी देश के किसी स्कूल ने इस तरह का फ़ैसला शायद पहली बार किया है.
अभी कुछ ही दिनों पहले राजधानी दिल्ली से कुछ ही दूरी पर बसे क्लिक करें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने भी छात्राओं के कपड़ों को लेकर एक फ़रमान जारी किया था लेकिन लड़कियों के विरोध और भारतीय मीडिया में ख़बरें आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना फ़ैसला वापस ले लिया था.
(यह समाचार बी बी सी ने भी दिया है. )
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