रविवार, 14 फ़रवरी 2016

मेरी माँ किशोरी देवी (१४ फरवरी २०१६ को मात्र दिवस पर) 
को कोटि-कोटि नमन 


Gratulerer med morsdag og Valentinedag. Jeg er med mor på bilde. पश्चिम में आज मात्र दिवस और वेलेंटाइन दिवस है. भारत में हर दिन मात्र दिवस होता है यदि हम माँ के चरण स्पर्श करते हैं, उन्हें स्मरण करते हैं और सभी बंधुओं, बहनों, भाइयों से शिष्टाचार से स्नेह देते और लेते हैं. अतः हम प्रेम से रहें और दूसरों की गलतियों को क्षमा करें। आपका दिन मंगलमय हो! अपनी कविता की , कबीरदास जी और रहीम दास की पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं: बुझा नहीं सकता वह दीपक प्रेम से जिसे जलाया है। 
प्रेम में कभी नहीं यह सोचें क्या खोया क्या पाया है॥
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
'पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भआ न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित होय।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो
अपनी स्वर्गीय माँ किशोरीदेवी जी के साथ मैं, लखनऊ में.

आदरणीय स्व. भाभी श्रीमती किरण शुक्ल जी के जल्दी निधन के बाद मेरी माँ ने उनकी (जय प्रकाश, चन्द्र प्रकाश, ओम प्रकाश और आयुष्मती शैल की) माँ का रोल अदा किया और बीमार होने के बाद भी उनके नाम बहुत कुछ छोड़ गयीं। 
ऐसी माँ को कोटि-कोटि प्रणाम!  मेरी माँ सभी बच्चों  की सुनती थीं और उसे एक दूसरे से  कभी नहीं कहती थीं, यदि आवश्यक न हो और उस कहने से अच्छा असर पड़े, पर आज आप किसी एक सूचित कर दीजिये तो वह सन्देश बहुधा घर में सभी को  पहुँच जाता है. 


कोई टिप्पणी नहीं: