पैतृक
सम्पत्ति में सभी संतानों का हिस्सा होना चाहिये।
बुढ़ापे में सेवा हेतु समाज में व्यवस्था हम लोगों ने मिलकर बनानी है जो बहुत जरूरी है यह जागृत होने से होगा। अपने आप नहीं।
संविधान में समानता की बात की गयी है. पर लोग अपने वोट के लिए परिवारों को बाँट रहे हैं गरीबों और अमीरों के बीच खाई बढ़ रही है जो संविधानिक सवाल है. हम केवल सीधे-साधे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने वाले मतदाता हैं, इसी लिए ऐसा होता है. जागरूक नहीं हैं. अपने प्रतिनिधि से सवाल नहीं करते?
यही कारण है उत्तरप्रदेश में चालीस प्रतिशत बेसिक स्कूलों में अध्यापक की कमी, स्कूलों की छत नहीं यहाँ तक श्याम पट भी बहुत जगह नहीं है. और वायदे होंगे कि हम पार्क बनायेंगे?
बुढ़ापे में सेवा हेतु समाज में व्यवस्था हम लोगों ने मिलकर बनानी है जो बहुत जरूरी है यह जागृत होने से होगा। अपने आप नहीं।
संविधान में समानता की बात की गयी है. पर लोग अपने वोट के लिए परिवारों को बाँट रहे हैं गरीबों और अमीरों के बीच खाई बढ़ रही है जो संविधानिक सवाल है. हम केवल सीधे-साधे अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने वाले मतदाता हैं, इसी लिए ऐसा होता है. जागरूक नहीं हैं. अपने प्रतिनिधि से सवाल नहीं करते?
यही कारण है उत्तरप्रदेश में चालीस प्रतिशत बेसिक स्कूलों में अध्यापक की कमी, स्कूलों की छत नहीं यहाँ तक श्याम पट भी बहुत जगह नहीं है. और वायदे होंगे कि हम पार्क बनायेंगे?
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