संसद में यदि चर्चा नहीं,
तो लोकतंत्र पर खतरा?
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
संसद में यदि चर्चा नहीं, तो लोकतंत्र पर खतरा?
29 नवम्बर को भारत में दोनों सदनों (लोकसभा)
शीतकालीन सत्र की शुरुआत,
सरकार की मनमानी
तीन घोर काले कृषि कानून की वापसी।
सरकार इन कानून के पक्ष की प्रशंसा में जुटी।
सरकार की प्रतिष्ठा गिरी, देश की प्रतिष्ठा दाँव
विदेश में भी गिरी?
सरकार ख़ुशी मन रही?
जब काला कृषि कानून वापसी पर
लगायेंगे राष्ट्रपति;
यदि राष्ट्रपति भी करें मनमानी,
और करें देश के साथ न्याय
तो क्या राष्ट्रपति उद्योगप्रेमी सरकार को
कर सकती है बर्खास्त?
सरकार ने संसद में विपक्ष को नहीं करने दी चर्चा
भारत देश का लोकतंत्र शर्मसार हो गया.
सबसे बड़ी लोकतंत्र संस्था में
अभिव्यक्ति की आजादी की हो गयी हत्या।
सत्ताधीश सांसदो ने देश की आस्था को क्यों दिया धक्का।
चर्चा क्यों डरी है सरकार।
किसान को सड़क पर कुचला गया।
राज्यसभा में 12 सांसदों को निलंबित किया गया,
जिसका इरादा करना है राज्य सभा में मनमानी।
तानाशाह बन गयी सरकार।
क्या बहादुर किसानों की तरह
देश का हर वर्ग आयेगा सड़क पर,
और समय से पहले करे सकेगी
अपदस्थ केंद्रीय सरकार।
सात सौ किसानों का बलिदान।
संसद में सरकार को कर गयी बौना।
अपने ही देश में अपनी सरकार
लोकतंत्र के लिए कर रही है कार्य घिनौना?
29.11.21
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