मणिपुर जल रहा है मानवता बचाना है
by suresh Chandra Shukla
आज की जन-कविता:
मणिपुर में हिंसा पर सरकारें मौन हैं?
क्या मानवता को शर्मसार कर रही सरकार चाहिये?
जनता मौन है?
जनता डरी-डरी, थकी हुई कुँएँ झांक रही है।
मणिपुर की तरह देश में हिंसा फैलाकर
क्या चुनाव लड़ने - जीतने का घिनौना जतन कर रही है?
प्रधानमन्त्री-गृहमंत्री आप किसका डी एन ए पूछते थे?
आप कौन हैं?
क्या भारत के नाम पर ……।
देश में बढ़ रहा आतंक।
दुनिया आपको रास्ता दिखा रही,
सचेत कर रही।
दुनिया से राजनीतिक खतम हो मौब
और विपक्ष पर सरकारी लिंचिंग?
भारत में
मत कीजिये और खेल
सत्यागृही से मुक्त हो जेल!
जो हमारी महिलाओं की रक्षा नहीं कर सके?
जनता की चुप्पी!
मेरी मणिपुर की बहनों, मुझे धिक्कार है खुद पर।
धिक्कार है कि केंद्र सरकार हूँ,
एक तो पुरुष हूँ, गोदी मीडिया हूँ?
बुझी हुई राख पर हूँ।
सेना, पुलिस, ई डी, सी बी आई,
केवल विपक्ष को फँसाने के लिए है?
कुछ मुख्य मीडिया विदूषक बना हुआ है।
गोदी मीडिया इतिहास में कायरता दर्ज कर गया।
मणिपुर में मानवाधिकार हुआ तार-तार
प्रधान एवं सत्ता शक्ति दिखा रहा बार-बार।
जिस विपक्ष ने चेताया,
सरकार ने विपक्ष को धन्यवाद देने की जगह
उन्हें सोशल मीडिया पर निशाना बनवाया।
मणिपुर में
गाँधी के देश में सरकार है अपनी जनता के खिलाफ?
जनता की आवाज उठाने वाले देश विदेश के
यूरोपीय यूनियन ने प्रस्ताव पास किया,
हम शर्म से नहीं गड़ गये।
क्या वह निष्क्रिय है
महामहिम राष्ट्रपति मुँह पर टेप लगाये हैं।
प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के स्तीफा भी कम है?
आज संसद में फिर स्पीकर मणिपुर पर मुस्कुराये
खड़गे जी ने कहा ‘मणिपुर जल रहा है’ कहकर दुःखी हुए।
संवेदनशील लोग देश-विदेश में तो रहे हैं।
स्पीकर मुस्करा रहे थे, शर्म से मरे नहीं।
देश-विदेश में देश की सरकार की वजह से
हमारी प्रतिष्ठा कम हुई है।
पिछले संसद सत्र को
सत्ता पक्ष ने चलने नहीं दिया।
आज 20 जुलाई 2023 को
भारतीय संसद में
स्पीकर ने
मणिपुर चर्चा को नहीं चलने दिया।
नफ़रत का कैरोसिन यदि सरकार नहीं छिड़कती,
पहलवानों के मामले में यदि न्याय किया होता,
उस सांसद को आज ज़मानत न मिलती?
मणिपुर में आज पूरे देश की छवि
दुनिया में धूमिल हुई है।
प्रधानमंत्री ने 140 करोड़ लोगों को
किया शर्मसार।
खुद सरकार ने किया पाप
जो आज देश के लिए है अभिशाप।
जहाँ प्रधानमंत्री अपाहिज है,
जो दोषी है, निष्क्रिय है जो
ऐक्शन की जगह नक़ली आँसू बहा रहा है।
सिंहासन कौन ख़ाली करवायेगा,
जनता क्या सड़क पर आयेगी।
सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति जी
हिम्मत दिखायेंगी।
क्या सरकार को बर्खास्त करेंगी?
बिलक़िस बानो, फिर
महिला पहलवानों की बारी आयी,
क्या सरकार ने दोषी सांसद की ज़मानत करायी?
मणिपुर के बाद पूरे देश की बारी है।
कवि का सच,
पत्थर की लकीर है।
यदि नहीं जागे आज
कोई नहीं बचेगा।
कमजोर को शक्तिशाली दबायेंगे?
देश को बचाने की
नफ़रत को फैलाने वालों को हटाने की
हम सभी की ज़िम्मेदारी है।
नहीं तो आज हमारी कल तुम्हारी बारी है।
इस देश को बचाने भगवान नहीं आयेंगे।
क्या जनता सामने आयेगी?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’
20.07.23
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