विदेशों में हिन्दी का भविष्य उज्जवल है
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. निर्मला एस. मौर्य (पूर्व कुलपति, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर) ने कहा कि हिन्दी हमारी अस्मिता की पहचान है। हिन्दी में सभी सभी वे गुण हैं जो राष्ट्र भाषा में होने चाहिए। हमारी नयी शिक्षा नीति आ गयी है। प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने आगे कहा कि जैसे ही नयी शिक्षा नीति आयी थी 2020 में, कोविड का समय था मैं जब वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में मैं जैसे ही कुलपति बनी , मैंने तुरंत नयी शिक्षा नीति लागू की, जिसका असर आसानी से देखा जा सकता है।
“विदेशों में हिन्दी का भविष्य उज्जवल है। विदेशों में हिन्दी का प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है। हिन्दी के पाठक बढ़ रहे हैं। विभिन्न प्रदेशों के भारतीय जब आपस में मिलते हैं तो वे हिन्दी में बात करते हैं। विदेशों में हिन्दी का भविष्य उज्जवल है।” यह विचार व्यक्त किए ओस्लो नार्वे में स्पाइल-दर्पण पत्रिका के संपादक एवं अग्रणी प्रवासी साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने अपने व्याख्यान में कहा।
कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रमिला कौशिक ने वाणी वंदना से किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं प्रो. निर्मला एस. मौर्य, अध्यक्षता कर रहे थे प्रो. अर्जुन पाण्डेय तथा विशिष्ट अतिथि थे: डॉ. हरी सिंह पाल जी, डॉ. राकेश कुमार, प्रो. दिनेश चमोला ‘शैलेश’, प्रो. के. पंकज, और टेकू वासवानी जी।
डॉ. हरी सिंह पाल जी ने नागरी लिपि का महत्त्व बताया और आग्रह किया कि हम सभी को नागरी लिपि अपनानी चाहिए।
डॉ. राकेश कुमार जयपुर ने क्रेडेंट यू ट्यूब चैनल में साहित्यकारों और संस्कृतिकर्मियों के साक्षात्कार लेते हैं डियर साहित्यकार के कार्यक्रम में और सिनेमा में हिन्दी के महत्वपूर्ण योगदान को अद्वितीय बताया तथा कहा कि हिन्दी दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रही है।
उत्तराखंड विश्व विद्यालय के विभागाध्यक्ष हिंदी और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता प्रो. दिनेश चमोला ‘शैलेश’ हरिद्वार ने हिन्दी के सांस्कृतिक महत्व की व्याख्या करते हुए अपनी रचना सुनाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पर्यावरणविद एवं अवधी रचनाकार डॉ. अर्जुन पाण्डेय जी ने कहा प्रवासी साहित्यकारों ने हिन्दी की बहुत सेवा की है। उन्होंने अपनी नयी पुस्तक 'माटी का चन्दन' पुस्तक का अवलोकन कराया। डॉ. अर्जुन पाण्डेय जी ने सभी रचनाकारों को धन्यवाद देते हुए उनकी रचनाओं की व्याख्या की।
अन्तरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन
कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख थे:
विदेश से: प्रो. हरनेक सिंह गिल लन्दन एवं गुरु शर्मा स्कॉटलैंड ब्रिटेन, नीरजा शुक्ला कनाडा, डॉ. राम बाबू गौतम अमेरिका, टेकू वासवानी मस्कट और सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ओस्लो नार्वे ने काव्य पाठ किया।
भारत से: डॉ. हरी सिंह पाल, बबिता यादव एवं प्रमिला कौशिक दिल्ली, डॉ. राकेश कुमार एवं नवल किशोर शर्मा जयपुर, डॉ. सुषमा सौम्या एवं डॉ. मंजू शुक्ला लखनऊ, डॉ. दिनेश चमोला ‘शैलेश’ हरिद्वार, डॉ. दिव्या मिश्रा रीवा, डॉ. पूनम मिश्र सुलतानपुर, बलराम कुमार मणि त्रिपाठी कबीर नगर, जे. पी. चंदेल मुरादाबाद, डॉ. मोहन लाल जट चंडीगढ़, सुवर्णा जाधव पुणे, डॉ. रश्मी चौबे गाजियाबाद और डॉ. अर्जुन पाण्डेय अमेठी ने काव्य पाठ किया।
डॉ. मंजू शुक्ला जी ने अपनी नयी पुस्तक का अवलोकन कराते हुए सूचना दी कि उनकी पुस्तक का लोकार्पण 1 अक्टूबर को लखनऊ में होगा।
कार्यक्रम का आयोजन भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम ने किया था।
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