मौन स्वीकृति
सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
प्रभू ऐसा क्यों होता है
जब अपना दिल नहीं पिघलता है?
जेल में विश्व गुरु रहते हैं।
क्या अपराधी शासन करते हैं?
निर्दोष अस्वस्थ, विकलांग समाज सेवी से
महाबली क्यों डरते हैं।
साईं बाबा, स्टेन स्वामी तुम्हें नमन।
समाज सेवी का क्यों हो रहा दमन,
कि देने होंगे उनको प्राण।
कायरता होती नहीं राम बाण?
न्याय व्यवस्था को लकवा मार जाता है।
बेटा माँ के मरने पर कंधा नहीं दे पाता है।
जो सच्ची सेवा और शिक्षा देता था,
क्यों शासन उनसे डर जाता है।
सत्य अहिंसा, गाँधीवाद को
वापस अगर न लाएंगे।
तब जेल में शिक्षक विकलांग कैदी
बेइलाज मर जायेंगे।
हम दुनिया में कैसे विश्व गुरु हैं,
अपने विकलांग निर्दोष शिक्षक
जी एन साईं बाबा को
दस साल जेल में रखते हैं।
शिक्षक निर्दोष बरी हो जाता है।
विद्यार्थी सड़कों पर रोता है।
देश मौन क्यों रहता है।
फिर जग हम पर हँसता है।
विकलांग को प्रताड़ित करने की बात सुन
हमारा मन काँप जाता है।
एक दो व्यक्तियों की गलती को
पूरी व्यवस्था को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।
निर्दोष विकलांग समाज के लिये लड़ता है।
मीडिया और सुधी जनता
उसकी
सहायता क्यों नहीं करती है?
जैसे वह अपनी परछाईं से डरती है।
संवेदनशीलता की भी हद होती है।
एक-एक जवाब जनता के पास है।
बस उसे अपनी ताकत का नहीं एहसास है।
जैसे एक समय हनुमान जी को नहीं मालुम था
कि वह उड़ सकते हैं?
मौन स्वीकृति से हमें उबरना है।
संविधान की रक्षा करना है।
सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
22.10.24
प्रभू ऐ