शनिवार, 31 अक्टूबर 2015

Seminar regarding Patels (First homeminister of India) birthday at Lucknow India ..Suresh Chandra Shukla

Et seminar-bilde fra Babasaheb Amedkar Univiersit i Lucknow i India. 
आज बाबासाहेब अम्बेडकर विश्वविद्यालय में एक सेमीनार में  हिस्सा लिया और कल दिल्ली में दलित साहित्य पर पुस्तक मेले जे एन यू , नयी दिल्ली में होंगे।


रविवार, 25 अक्टूबर 2015

threatened to Chetana Thirthahalli is against humanaity-Suresh Chandra Shukla

फिल्मकार-लेखिका चेतना थ्रिताहिल्ली को धमकी मानवता के विरुध है
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


ओस्लो में लेखक गोष्ठी में संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया गया.  कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र दिवस पर वक्तव्य देते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल ने कहा कि हम सभी को दुनिया में भाईचारा के लिए कार्य करना चाहिए।  सभी से प्यार से बात करनी चाहिए और दूसरों की इज्जत करनी चहिये चाहे वह नौकर है, अधिकारी है, बच्चा है बड़ा है किसी भी देश या धर्म का है. आज के दिन का यही महत्त्व है कि सभी की इज्जत करें। और किसी के भड़काने प् न आयें चाहे हमें कोई गाली दे. 
फेसबुक से पता चला और इन्डिया टाइम्स में पढ़ा कि  हिन्दुओं के नाम पर गुंडों की इतनी हिम्मत बढ़ गयी है कि लेखिका और फिल्मकार चेतना थ्रिताहिल्ली को बलात्कार करने और तेज़ाब डालने की धमकी दी है. इस धमकी का कठोर सजा से और जनता में जागरण से निपटा जाये।
यह बहुत ही शर्मनाक और  धिक्कारने वाली बात है. मैं इसकी निंदा करता हूँ।  हमारी प्रतिभावान युवा फिल्मकार चेतना थ्रिताहिल्ली Chetana Thirthahalli को ऐसी गंभीर धमकी दी है.  इसके लिए समाज में जागरण की जरूरत है. 
  सरकार नहीं, यह बतायें हम क्या कर रहे हैं, सरकार नहीं।  क्या समाज में जागरण के लिए स्कूलों और मोहल्लों में मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए जागृत करना चाहिये। यह हमारी सोच का परिणाम है, औरत को कमतर समझते हैं. कट्टरता को बढ़ावा देते हैं, शायद इसी लिए और यह कार्य घर से शुरू होना चाहिये। हम सभी नागरिकों का दायित्व है कि किसी के बहकाने में न आयें जो हमको अमानवीय बातें सिखाता है.
अंगरेजी सरकार ने पराधीनता के समय  धर्म के नाम पर कभी हिन्दुओं और कभी मुस्लिमों के स्थानों पर  अनेक कृकृत्य कराये जैसे गाँवों के कुँवों में वह मांस फिकवा देना जो उस धर्म के लोग नापसंद करते हों और लोगों ने पलायन शुरू किया। उन्हें बैठे बैठाएं हमारे भड़कने और उदार ह्रदय से न सोचने के कारण लाभ उठाया।
वैसे भी दुनिया में चेतना थ्रिताहिल्ली (महिला फिल्मकार) जैसे बुद्धिजीवी बहुत कम हैं.  आप किसी के भड़काने पर न आयें चाहे वे अपने हों. मैं तो जब कन्या विद्यालयों में अपना वक्तव्य देने जाता था तो कहता था कि युवा कन्याओं आप सभी बहुत उदार, बहादुर और समझदार हो कभी किसी के भड़काने में नहीं आना और अपनी रक्षा खुद करना। अपने निर्णय खुद लेना। यदि पति के साथ भी यदि गंगा सनान करने जाना तो पति से चार कदम दूर ही स्नान करना क्योँकि यदि आपके विरोध और अनबन के कारन कहीं आपको धक्का न दे  दे और आप डूबने लगें। और आप पहले तैरना सीखना फिर गंगा स्नान करने जाना। धन्यवाद! मेरे पास उन वक्तव्यों की वीडियो-फिल्म है कभी आपके साथ भविष्य में साझा करूंगा। 

शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2015

UN-day २४ (24) अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस है. हार्दिक बधायी! -Suresh Chandra Shukla

बन्धुवर! 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस है. आप सभी को हार्दिक 

बधायी! 

Gratulerer med FN-dagen den 24. oktober.


Mobashar Banaras मोबाशिर बनारस पहले स्थानीय मेयर (2015-2019) ble valgt den første Bydels ordfører med flerkulturelt bakgrunn i Grorud i Oslo

Grorud får sin første flerkulturelle Bydels ordfører, 
Mobashar Banaras

ग्रूरुद बीदेल के स्थानीय मेयर बने चित्र में बाएं से पहले खड़े 

 (Ap) अन्य पार्टियों Rødt, De Grønne og SV के

 साथियों के साथ ग्रूरुद बीदेल, ओस्लो में २२ अक्टूबर को. (22.10.15) Oslo 



Fikk gratulasjon

På bilde fra venstre er en medllem i Bydelsstyre, Anders Røberg-Larsen (Ny byrådssekretær for byutviklings byråd) og Mobashar Banaras (Ny Bydels ordfører i Grorud) og meg (Suresh Chandra Shukla) etter Grorud bydels styre-møte.
लेखक गोष्ठी 
२४ अक्टूबर को १७:०० बजे वाइतवेट सेंटर ओस्लो में
स्वागतम


Forfatterkafe markerer FN-dagen på Veitvet
24. oktober kl. 17:00
På Stikk Innom på Veitvetsenter i Oslo
Oslo

बुधवार, 21 अक्टूबर 2015

ओस्लो सरकार का गठन पांच महिला और तीन पुरुष मंत्री बने
- सुरेशचन्द्र शुक्ल, ओस्लो  
ओस्लो सरकार का गठन, पांच महिला और तीन पुरुष मंत्री बने. अरबाइदर पार्टी (लेबर पार्टी) के रोइमोन्द युहानसेन ओस्लो नगर सरकार के मुख्य मंत्री चुने गये. सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी की श्रीमती मारिआने बोरगेन ओस्लो की मेयर चुनी गयीं।  27 वर्षीय गुनारत्नम डिप्टी मेयर चुनी गयीं।  इतना शांति और सौहाद्रपूर्ण वातावरण में सारा मतदान हुआ जिसमें आम चुनाव में चुने हुए प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.
अरबाइदर पार्टी (लेबर पार्टी),  सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी  और दी ग्रोन्ने पार्टी (पर्यावरण ग्रीन पार्टी) ने मिलकर सरकार बनायी है और रोदत्त ( रेड पार्टी) ने बाहर से समर्थन दिया है.


मारिआने बोरगेन को  सुरेशचन्द्र शुक्ल ने बधाई दी


मेयर और डिप्टी मेयर  साथ


लान बर्ग के साथ 


डिप्टी मेयर गुनारत्नम के साथ 

मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015

Oslo Parliyament 2015-2019 -Suresh Chandra Shukla

Bystyre i Oslo skal kontituere 22. oktober. २२ अक्टूबर २०१५ को ओस्लो नगर पार्लियामेंट चुनाव के बाद गठन. 
FOTO: NTB Scanpix
चित्र में बायें  से  ब्योर्नेर मोक्स्नेस, राइमोन्द  युहानसेन, लान मारिए निगयुएन बर्ग और मारिआने बोरगेन प्रेस कांफ्रेंस  में  
Bjørnar Moxnes (Rødt), Raymond Johansen (Ap),Lan Marie Nguyen Berg og Marianne Borgen på pressekonferansen. 

Den første vara-ordfører med innvandrerbakgrunn, Khamshajiny Gunaratnam (Ap).

27 वर्षीय खामशाजिनी गुनारत्नम  ओस्लो नगर पार्लियामेंट की डिप्टी मेयर बनीं 








शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015


पुरस्कार लौटने से अच्छा अन्याय के लिए आवाज उठाना 

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, नार्वे 

(लेखक नार्वे में गत 35 वर्षों से ओस्लो, नार्वे से प्रकाशित हिन्दी-नार्वेजीय द्वैमासिक पत्रिका स्पाइल-दर्पण के सम्पादक, देशबन्धु के यूरोप सम्पादक और प्रतिष्ठित लेखक हैं.) 
साहित्य अकादमी के पुरस्कार लौटाने से ज्यादा जरूरी है ये लेखक अन्याय के खिलाफ निरवरत आवाज उठायें।
हमको अपने अकादमी और अन्य पुरस्कार पाये और बिना पुरस्कार वाले लेखकों पर गर्व है.
लेखक का काम है अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना। यह काम घर से शुरू हुआ यह अच्छा है पर पुरस्कार वापसी से नहीं अन्याय के खिलाफ घर वापसी से होना चाहिये। 
"क्या यह पुरस्कारों की घर वापसी है?  यह कटु सत्य है कि आप आदमी के जो अधिकार हैं वे आजादी के बाद से गिरवी पड़े हैं. सरकारें आती हैं और जाती हैं. जनता मूक या चिल्ला चीख कर चुप हो जाती है. फिर वही रोजमर्रा की जिंदगी और भेदभाव के वातावरण में जनता घुटन और संत्रास की जिंदगी में भी अपने विवेक और धैर्य से जय श्रीराम और अल्लाह ओ अख़बार कहकर चुप हो जाती है. 
पहली बात राजनीति और लेखनी अलग नहीं हो सकती और लेखकों को भारत में ही नहीं वरन पड़ोसी देशों में 
हो रहे अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिये।
स्वयं बहुत से लेखक बेइलाज मर जाते हैं, बहुत से लेखक बुजुर्ग हैं और कोई देखभाल करने वाला नहीं है.
मानवाधिकार के लिए यदि भारतीय लेखक एक साथ जुट जाएँ और अकादमी पुरस्कार प्राप्त लेखक अगुवाई करें 
तो कितना ही सुखद होगा देश के  युवाओं के लिए, नयी पीढ़ी के लिए.

मैंने स्वयं अकादमी प्राप्त कुछ लेखकों और अन्य प्रतिष्ठित लेखकों के घर में बच्चों को काम करते देखा है क्या यह सही है. बच्चों से काम कराना उनकर बचपन की आजादी और स्कूल जाने के समय का क़त्ल करना है. हालांकि अधिकाँश लेखक मानवाधिकार के लिए बहुत जागरूक हैं.

पुरस्कार लौटने की जगह ये लेखक और अन्य लेखकों के साथ जुड़कर अभी से अन्याय के खिलाफ आवाज उठायें। बहुत से मुद्दे हैं.
मातृभाषा की शिक्षा भारत के हर स्कूल में अनिवार्य हो चाहे प्राइवेट स्कूल हों. कोई रोजगार के हुनर जैसे बढ़ई, काष्ठकला,  सिलाई, बुनाई आदि स्कूलों में अनिवार्य हो ताकि सभी बच्चे स्वावलम्बी बनें और वी आई पी संस्कृति से दूर हों. देश में समानता हो और भेदभाव समाप्त हो.
सभी को विदित है यदि निराला जी के पास कोई लेखकीय आर्थिक सहायता मिलती तो वह अपना और अपनी बेटी का इलाज करा सकते थे. अदम गोंडवी का इलाज पहले शुरू हो जाता तो आज हमारे बीच जीवित होते। ये कुछ मुद्दे हैं.
अनेक मुद्दों पर संघर्ष, बातचीत और सम्मेलन किये जा सकते हैं और यह निरवरत चलना चहिये।
ऐसा नहीं है कि कोई मुद्दे और समस्यायें रातोरात या कुछ महीनों से हैं ये असमानता, आस्मान वितरण, भेदभाव और हिंसा की घटनाओं ने सदा ही हम सभी को प्रभावित-परेशान किया है यह सिलसिला दशकों से चल रहा है पर शायद अब जागरण का समय आ गया है.
काश यह सही हो कि हम लेखक जाग गए हैं और हम मिलकर अन्याय की लड़ाई को आगे बढ़ायेंगे।
चाहे  प्रदर्शन, बातचीत, सम्मेलन अथवा चुनाव के जरिये। निशुल्क कार्यशालाएं, नुक्कड़ नाटकों में ये लेखक भाग लें और समाज-देश के बच्चों और नौजवानों को प्रशिक्षित और शिक्षित करें तो हम उन पर और अधिक गर्व कर सकेंगे।
मैंने लिखा था शायद ये पंक्तियाँ सार्थक हों:
"कुँए खेत सूख  रहे गाँव में
गाँव के स्कूल जुएँ दाँव में।
काटना जो चाहते हो बेड़ियाँ,
खड़े होना अगले चुनाव में.।"
"हाथ पर हाथ रखकर कभी कुछ होना नहीं।
काटना क्यों चाहते हो नई फसल जब तुम्हें बोना नहीं।"  

रविवार, 11 अक्टूबर 2015

जय प्रकाश नारायण ११ अक्टूबर जिनका जन्मदिन है -Suresh Chandra Shukla

जय प्रकाश नारायण ११ अक्टूबर जिनका जन्मदिन है 



लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी का जन्म ११ अक्टूबर १९०२ में बिहार के सारन  जिले में हुआ था और मृत्यु ८ अक्टूबर १९७९ में हुई थी.  उन्होंने भारतीय राजनीति में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उनकी एक पुस्तक थी 'वाई सोशलिज्म' समाजवाद क्यों?
वह समाजवादी चिंतक थे. इंदिरा जी के शासनकाल में आपातकाल में उनकी महत्वपूण भूमिका थी.
उनसे मेरा मिलना उनके जन्मदिन पर सन  १९७७ में पटना में उनके निवास पर हुआ था.

शनिवार, 10 अक्टूबर 2015

१० अक्टूबर को फ्रितयोफ नानसेन और स्वर्गीय श्री नरेंद्र मोहन का जन्मदिन था- Suresh Chandra Shukla


फ्रितयोफ नानसेन  Fridtjof Nansen (जन्म १० अक्टूबर १८६१ और मृत्यु  १३ मई १९३०) 
१० अक्टूबर को नार्वे के नोबल पुरस्कार विजेता फ्रीडोफ नानसेन और दैनिक जागरण अखबार के पूर्व प्रधान संपादक और पूर्व  राज्य सभा के सदस्य स्वर्गीय श्री नरेंद्र मोहन का जन्मदिन था.

नरेंद्र मोहन 
जन्म १० अक्टूबर १९३४ और मृत्यु २० सितम्बर २००२
नरेंद्र मोहन से मेरी चर्चायें विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरीशस १९९३ और लन्दन में १९९९ में हुई थी. उनसे पत्र व्यवहार भी हुआ था. यदि वह जीवित होते तो ८१ वर्ष के होते। 

ट्यूनीशिया के संवाद चार को शांति का नोबेल पुरस्कार -२०१५ - विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई!

शान्ति नोबेल पुरस्कार -२०१५ - विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई! ट्यूनीशिया के संवाद चार को शांति का नोबेल 



Gratulerer med Nobels fredspris-2015. Fire organisasjoner fra arbeidslivet og rettsvesenet sammen med islamistiske og sekulære partier ville - og klarte - å videreutvikle "den arabiske våren" demokratisk og fredelig. 
Nesten alle land og Tunisias egen befolkning hyller fredsprisvinnerne - fordi de har vist at ikke-vold, demokratisk mangfold og samarbeid er veien videre.
शान्ति नोबेल पुरस्कार -२०१५ - विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई! ट्यूनेशिया की चार संस्थाओं: श्रमिक संगठन, नियोक्ता संगठन (काम देने वाली संस्था), इस्लामिक और सेकुलर संस्था ने मिलकर ऐसा विकास किया कि ये साथ-साथ कार्य करते हुए देश में प्रजातंत्र लाने का सफल प्रयास कर रहे हैं. ट्यूनेशिया के अलावा अधिकतर देश इसकी प्रशंसा कर रहे हैं.

बुधवार, 7 अक्टूबर 2015

ओस्लो के पूर्व एयरपोर्ट एयरपोर्ट फोरनेबू 7-10-1998 के दिन 1998 को आख़िरी बार यहाँ से जहाज उड़ा था.

Siste fly fra Fornebu var den 7. oktober 1998.
Hei. Hvor mange husker Oslos tidligere flyplass Fornebu. 7. oktober (i dag) i 1998 tok siste fly fra Fornebu. बंधुवर नमस्कार। नार्वे में रहने वाले और नार्वे आने वालों को याद है ओस्लो के पूर्व एयरपोर्ट एयरपोर्ट फोरनेबू के बारे में. कितने लोगों को याद है ओस्लो का पुराना एयरपोर्ट फोर्नेबू। आज के दिन 1998 को आख़िरी बार यहाँ से जहाज उड़ा था. 26 जनवरी 1980 को मैं भी पहली बार यहाँ जहाज से आया था. 



चित्र 1998: ओस्लो में मेरी माताजी परिवार के साथ ओस्लो में पूजा कर रही हैं.


शनिवार, 3 अक्टूबर 2015

दो अक्टूबर को गांधी जयन्ती में प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री जी को (उनके जन्मदिन पर) याद किया गया. 


ओस्लो में गांधी जयंती धूमधाम से संपन्न 
पिछली सदी के महामानव विश्व शान्तिदूत महात्मा गांधी जी का जन्मदिन कल धूमधाम से ओस्लो में मनाया गया.
इस कार्यक्रम में भारतीय दूतावास के सचिव श्री एन पुनप्पन जी ने गांधी जी के जीवन से मार्टिन लूथर किंग, नेलसन मंडेला, लेक वालेसा, दलाई लामा, विशप देशमंद टूटू  और अन्य के रोचक संस्मरणों को सुनाया जिसमें उन्होने गांधी जी के सिद्धांतों अहिंसा, सत्याग्रह और सत्य से सीखने और उन्हें अपना आदर्श मानने की बात की.  
सुरेशचन्द्र शुक्ल ने बताया कि भारतीय -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की स्थापना का पहला कार्यक्रम २ अक्टूबर १९८८ को संत हॉवर्ड चर्च, ओस्लो में आयोजित किया गया था जिसमें ओस्लो के तत्कालीन महापौर अलबर्ट नोर्डिंगन, नार्वे की उप विदेशमंत्री, भारत के राजदूत महामहिम रंगराजन, प्रथम सचिव आर वी पण्डित और लेखकों ने हिस्सा लिया था और गांधी जी पर दिखाई गया वृत्तचित्र एक यादगार चित्र था.
सुरेशचन्द्र शुक्ल ने महान गांधीवादियों से मिलने की बात कही जो उनके जीवन के न भूलने वाले क्षणों में हैं. सुरेशचन्द्र शुक्ल बताते हैं कि नेलसन मंडेला से उनकी भेंट ओस्लो के दोमचर्च में सं १९९३ में हुई थी. उसके पहले दलाई लामा से १९८९ में एक साक्षात्कार भी लिया था जो ओस्लो के स्थानीय पात्र ओस्लो ओयस्त Oslo-øst में प्रकाशित हुआ था. लेक वालेसा, राष्ट्रपति ओबामा, मिखाइल गर्वाचोव, कैलाश सत्यार्थी आदि को नोबेल वक्तव्य देते हुए सुना था जो जिनके आदर्श महात्मा गांधी रहे हैं. शुक्ल जी ने गांधी जी के साथ लाल बहादुर शास्त्री जी को एक ईमानदार प्रधानमंत्री बताया जो सादा जीवन उच्च विचार के मानने वाले थे.
लाइफ हेराल्ड ने गांधी जी के जन्मदिन मयाये जाने को एक बहुत जरूरी कार्यक्रम बताया।  तथा भारतीय- नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के कार्य को एक आवश्यक सेतु का कार्य बताया। 
कार्यक्रम में वक्तव्य, कवितापाठ, संगीत और गीतों के साथ संपन्न हुआ. कार्यक्रम का आयोजन भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम ने किया था. 
नवनिर्वाचित ओस्लो पार्लियामेंट के सदस्य मोशब्बिर बनारस ने कार्यक्रम और सुरेशचन्द्र शुक्ल को विभिन्न संस्कृतियों के मध्य जोड़ने वाला बताया और कार्यक्रम की बधाई दी. 
संगीत 
कार्यक्रम में आशी ने एक कविता गाई तथा डॉ राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल ने बांसुरी बजायी और जावेद भट्टी ने टेबल पर सांगत दी. राजकुमार ने गीत गाय और जावेद ने साथ दिया। 
कविगोष्ठी 
कार्यक्रम में अनेक कवियों ने अपनी कविता सुनाईं जिसमें नूरी न्योसेग, लीव एवेनसेन, राय भट्टी, सिग्रिड मारिये रेफ्सुम, गुरु शर्मा, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, गुरू शर्मा, एलिन स्वेर्दरूप थीगेसन और सुरेशचन्द्र शुक्ल ने कवितायेँ पढ़ीं।