आपातकाल के दौर पर आधारित हिन्दी फिल्म 'इंदु सरकार ' की
रिलीज़ से जुड़े विवाद पर फैसला सुनाते हुए अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फिल्म
की रिलीज़ को मंजूरी दे दी है। दरअसल एक याचिकाकर्ता ने इस फिल्म पर
प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उसका कहना था कि इस फिल्म में गांधी परिवार
की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है। अदालत ने इस याचिका को खारिज
कर दिया है।
गुरुवार, 27 जुलाई 2017
किसी का राम नाम सत्य, किसी का राम है. अब राजनीति भी स्वार्थ की गुलाम है? -सुरेशचन्द्र शुक्ल A poem in Hindi by Suresh Chandra Shukla
(एक सामयिक कविता राजनीति पर सुरेशचन्द्र शुक्ल A poem in Hindi by Suresh Chandra Shukla)
"सम्भावना और अवसरों को नकार, आदर्शो की राजनीति बदल आकार,
मौसमों का अपना मोह बरकरार, न जाने देश में किसकी बने सरकार.
चौखटों का अपना एक मुकाम है. अब न कहो कि जुगनू को जुकाम है.
क्या सत्ता आज जमीन जायजाद है? फ़ूट डालने पर कर रहा कोई गुमान है,
किसी का राम नाम सत्य, किसी का राम है. अब राजनीति भी स्वार्थ की गुलाम है?"
- शरद आलोक, ओस्लो, 28.07.17
श्री नितीश कुमार जी मुख्यमंत्री और सुशील मोदी जी उपमुख्यमंत्री, बहुत-बहुत बधाई।
Et dikt av meg på hindi om politikk i India. Ny valgt delstatasministere i Bihar i Inida: Nitish Kumar og Sushil Modi.
"सम्भावना और अवसरों को नकार, आदर्शो की राजनीति बदल आकार,
मौसमों का अपना मोह बरकरार, न जाने देश में किसकी बने सरकार.
चौखटों का अपना एक मुकाम है. अब न कहो कि जुगनू को जुकाम है.
क्या सत्ता आज जमीन जायजाद है? फ़ूट डालने पर कर रहा कोई गुमान है,
किसी का राम नाम सत्य, किसी का राम है. अब राजनीति भी स्वार्थ की गुलाम है?"
- शरद आलोक, ओस्लो, 28.07.17
श्री नितीश कुमार जी मुख्यमंत्री और सुशील मोदी जी उपमुख्यमंत्री, बहुत-बहुत बधाई।
Et dikt av meg på hindi om politikk i India. Ny valgt delstatasministere i Bihar i Inida: Nitish Kumar og Sushil Modi.
मंगलवार, 25 जुलाई 2017
नव निर्वाचित राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद जी. बहुत-बहुत बधाई। New President of India HE Ramnaath Kovind, Congratulations. -Suresh Chandra Shukla, Oslo
भारत केनव निर्वाचित राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद जी. बहुत-बहुत बधाई।
एक चित्र में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गाड़ी बग्घी में. दूसरे चित्र में विदाई देते महामहिम प्रणव मुकर्जी एवं नव निर्वाचित राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद जी. बहुत-बहुत बधाई। महात्मा गाँधी जी, श्री जवाहर लाल नेहरू जी एवं डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की परम्परा को बढ़ाते हुए. नीवं को मजबूत करने को प्रतिबद्ध डॉ राजेंद्र प्रसाद और नेहरू जी ने जो नीव रखी उसे आगे बढ़ाते हुये।
एक चित्र में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गाड़ी बग्घी में. दूसरे चित्र में विदाई देते महामहिम प्रणव मुकर्जी एवं नव निर्वाचित राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद जी. बहुत-बहुत बधाई। महात्मा गाँधी जी, श्री जवाहर लाल नेहरू जी एवं डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की परम्परा को बढ़ाते हुए. नीवं को मजबूत करने को प्रतिबद्ध डॉ राजेंद्र प्रसाद और नेहरू जी ने जो नीव रखी उसे आगे बढ़ाते हुये।
नेहरू और पटेल को अलग करके देखना इतिहास विरुद्ध होगा -Suresh Chandra Shukla (प्रसिद्द लेखक और चिंतक गिरिराज किशोर जी के फेसबुक से साभार।)
नेहरू और पटेल को अलग करके देखना इतिहास विरुद्ध होगा
(प्रसिद्द लेखक और चिंतक गिरिराज किशोर जी के फेसबुक से साभार।)
शपथ-भाषण में राष्ट्रपति ने संकेत दिए हैं कि वे पार्टी लाइन से प्रभावित हैं। सबसे बड़ा संकेत है जवाहरलाल नेहरू का नाम न लेना। पार्टी नेहरू को पसंद नहीं करती। नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे संघ के ख़िलाफ़ थे। लेकिन देश में औद्योगिक संस्कार के बीज बोने वाले नेहरू थे। आज जिस मेक इन इंडिया की बात ज़ोर शोर है उसका आगाज़ यू एस एस आर के साथ मिलकर नेहरू ने किया था। हैवी इन्डस्ट्री की स्थापना नेहरू ने की वैज्ञानिक संस्कार नेहरू की देन है. देश के वैक्षानिकों को उन्होंने जोड़ा। आई आई टी वे लाए। एकेडेमीज़ उन्होंने और मौलाना आज़ाद ने बनाई। अंतिरक्ष अनुसंधान की नींव उनके ज़माने में रखी गई। कोल्ड वार के दौरान नानएलायनमंट का दर्शन देकर देश को रूस और अमेरिका के समकक्ष लाने वाले नेहरू थे। पटेल उनके निकटतम सहयोगी थी। देश को एक जुट करने की सोच दोनों की थी। प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री में कोई अंतर नहीं था। यह सोचना कि पटेल अकेले विज़नरी थे यह कहीं न कहीं पूर्वग्रह की ओर संकेत करता है। यदि दस बीस साल बाद वर्तमान वित्त राजनीतिक वैमनस्य जेटली को नोट बंदी और जीएस टी का जनक बता कर वर्तमान प्रधानमंत्री को गिराने की कोशिश की गई तो वह ऐतिहासिक भूल होगी। प्रधानमंत्री के पास किसी भी योजना को वीटो करने का अधिकार होता है। ज़मीदारी उन्मूलन नेहरू के ज़माने में हुआ जो सबसे ज़्यादा कठिन था। नेहरू और पटेल को अलग करके देखना इतिहास विरुद्ध होगा। जितने खुलेपन से उस ज़माने के नेता एक दूसरे से सहमत असहमत हो सकते थे वह आज संभव नहीं। पटेल के बिना नेहरू असहाय थे और पटेल नेहरू के बिना। मुझे लगा बिना अतीत पर ध्यान दिए राष्ट्रपति जी ने दिया गया भाषण पढ़ दिया।
(प्रसिद्द लेखक और चिंतक गिरिराज किशोर जी के फेसबुक से साभार।)
शपथ-भाषण में राष्ट्रपति ने संकेत दिए हैं कि वे पार्टी लाइन से प्रभावित हैं। सबसे बड़ा संकेत है जवाहरलाल नेहरू का नाम न लेना। पार्टी नेहरू को पसंद नहीं करती। नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे संघ के ख़िलाफ़ थे। लेकिन देश में औद्योगिक संस्कार के बीज बोने वाले नेहरू थे। आज जिस मेक इन इंडिया की बात ज़ोर शोर है उसका आगाज़ यू एस एस आर के साथ मिलकर नेहरू ने किया था। हैवी इन्डस्ट्री की स्थापना नेहरू ने की वैज्ञानिक संस्कार नेहरू की देन है. देश के वैक्षानिकों को उन्होंने जोड़ा। आई आई टी वे लाए। एकेडेमीज़ उन्होंने और मौलाना आज़ाद ने बनाई। अंतिरक्ष अनुसंधान की नींव उनके ज़माने में रखी गई। कोल्ड वार के दौरान नानएलायनमंट का दर्शन देकर देश को रूस और अमेरिका के समकक्ष लाने वाले नेहरू थे। पटेल उनके निकटतम सहयोगी थी। देश को एक जुट करने की सोच दोनों की थी। प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री में कोई अंतर नहीं था। यह सोचना कि पटेल अकेले विज़नरी थे यह कहीं न कहीं पूर्वग्रह की ओर संकेत करता है। यदि दस बीस साल बाद वर्तमान वित्त राजनीतिक वैमनस्य जेटली को नोट बंदी और जीएस टी का जनक बता कर वर्तमान प्रधानमंत्री को गिराने की कोशिश की गई तो वह ऐतिहासिक भूल होगी। प्रधानमंत्री के पास किसी भी योजना को वीटो करने का अधिकार होता है। ज़मीदारी उन्मूलन नेहरू के ज़माने में हुआ जो सबसे ज़्यादा कठिन था। नेहरू और पटेल को अलग करके देखना इतिहास विरुद्ध होगा। जितने खुलेपन से उस ज़माने के नेता एक दूसरे से सहमत असहमत हो सकते थे वह आज संभव नहीं। पटेल के बिना नेहरू असहाय थे और पटेल नेहरू के बिना। मुझे लगा बिना अतीत पर ध्यान दिए राष्ट्रपति जी ने दिया गया भाषण पढ़ दिया।
शनिवार, 22 जुलाई 2017
22. juli, et minne dag om terrorangrep i Norge. 22 जुलाई को 6 साल पहले नार्वे में नृशंस हमलाहुआ था-उसकी स्मृति के दो चित्र।
आज ही के दिन 22 जुलाई को 6 साल पहले नार्वे में पार्लियामेंट सेक्रेटेरिएट भवन और उतओइया पर नृशंस हमला हुआ था जिसमें 69 जाने गयीं थीं. प्रेम से ही हम घृणा पर विजय पा सकते हैं. उसकी स्मृति के दो चित्र।
Den 22. juli-det var seks år siden. Det å minne om terror angrep mot Regjeringskvartalet og på Utøya gir oss omtanke og bilder. प्रेम से ही हम घृणा पर विजय पा सकते हैं.
विद्वान गलतबयानी कर रहे हैं जिससे उनके भाव सामने नहीं आ पा रहे हैं.-Suresh Chandra Shukla
बंधुवर आदाब अर्ज।
हिंदी के विद्वान गलतबयानी कर रहे हैं जिससे उनके भाव सामने नहीं आ पा रहे हैं.
श्री डॉ सुनील कुमार स्नेही की फेसबुक पर पोस्ट पढ़ी उसमें लिखा था,
" आज देश का संविधान अपने आप को बहुत ही गोरांवित महसूस कर रहा है; कि आज देश के अंतिम पंक्ति मे खड़े वर्ग का व्यक्ति आज देश का महामहिम प्रथम व्यक्ति बना है।
माननीय कोंविद जी को राष्ट्रपति बनने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।"
मैंने जवाब दिया,
"धन्यवाद पोस्ट के लिए और आपको जन्मदिन पर शुभकामनायें। महामहिम आदरणीय कोविंद जी के चुने जाने पर हम-आप गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. (संविधान एक आब्जेक्ट है वह गौरवान्वित नहीं हो रहा?) हम संविधान पर गर्व कर रहे हैं. सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.
जातपात के नारों को तुम कभी न देना भाव.
चाहे अपने भाई-बहन हों, न सहना अन्याय।"
डॉ सुनील स्नेही जी का जन्मदिन है उन्हें ढेर सारी शुभकामनायें।
हिंदी के विद्वान गलतबयानी कर रहे हैं जिससे उनके भाव सामने नहीं आ पा रहे हैं.
श्री डॉ सुनील कुमार स्नेही की फेसबुक पर पोस्ट पढ़ी उसमें लिखा था,
" आज देश का संविधान अपने आप को बहुत ही गोरांवित महसूस कर रहा है; कि आज देश के अंतिम पंक्ति मे खड़े वर्ग का व्यक्ति आज देश का महामहिम प्रथम व्यक्ति बना है।
माननीय कोंविद जी को राष्ट्रपति बनने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।"
मैंने जवाब दिया,
"धन्यवाद पोस्ट के लिए और आपको जन्मदिन पर शुभकामनायें। महामहिम आदरणीय कोविंद जी के चुने जाने पर हम-आप गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. (संविधान एक आब्जेक्ट है वह गौरवान्वित नहीं हो रहा?) हम संविधान पर गर्व कर रहे हैं. सभी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.
जातपात के नारों को तुम कभी न देना भाव.
चाहे अपने भाई-बहन हों, न सहना अन्याय।"
डॉ सुनील स्नेही जी का जन्मदिन है उन्हें ढेर सारी शुभकामनायें।
सोमवार, 17 जुलाई 2017
Avoid Fake news. Do not share anothers post on facebook. कृपया फेक न्यूज से बचें, टिप्पड़ी, वीडियो, दूसरों के बयान और चित्र (हिंसात्मक, भड़काऊ, आग्रही) कभी भी शेयर न कीजिये -Suresh Chandra Shukla
कृपया फेक न्यूज Fake news से बचें, टिप्पड़ी, वीडियो, दूसरों के बयान और चित्र (हिंसात्मक, भड़काऊ, आग्रही) कभी भी शेयर न कीजिये
कृपया किसी भी धार्मिक और राजनैतिक सुनी या लिखी टिप्पणी शेयर न करें. किसी भी वीडियो और हिंसात्मक फ़ोटो को कभी भी शेयर न करें. अधिकतर ये फ़ेक और अतार्किक होते हैं. धन्यवाद. आजकल फ़ेक न्यूज पर वैश्विक सम्मेलन चल रहा है.
कृपया किसी भी धार्मिक और राजनैतिक सुनी या लिखी टिप्पणी शेयर न करें. किसी भी वीडियो और हिंसात्मक फ़ोटो को कभी भी शेयर न करें. अधिकतर ये फ़ेक और अतार्किक होते हैं. धन्यवाद. आजकल फ़ेक न्यूज पर वैश्विक सम्मेलन चल रहा है.
शनिवार, 15 जुलाई 2017
नॉर्वे की नोबेल समिति की अध्यक्ष को नहीं मिला चीन का वीजा - Suresh Chandra Shukla
नॉर्वे की नोबेल समिति की अध्यक्ष Berit Reiss Andersen को नहीं मिला चीन का वीजा
ओस्लो। विश्व प्रतिष्ठित
नोबेल शांति पुरस्कार
के लिए विजेता
का चयन करने
वाली नॉर्वे की
नोबेल समिति की
अध्यक्ष बेरित रेइस अंदरसेन को चीन ने वीजा
देने से इंकार
कर दिया है।
वह नोबेल
शांति पुरस्कार से सम्मानित
चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं लोकतंत्र समर्थक लियू शियाओबो के अंतिम संस्कार में
भाग लेने के लिए चीन आना चाहती थीं।
ओस्लो स्थित चीन के वाणिज्य दूतावास ने उनकी वीजा
संबंधी अर्जी को अस्वीकार कर दिया। उनसे कहा गया कि वीजा के लिए दी गई अर्जी गलत है।
उनके पास उस व्यक्ति का भेजा आमंत्रण पत्र नहीं है जिसके पास वह जा रही हैं। दूतावास
को जब बताया कि वह एक अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए चीन जाना चाहती हैं। जिस व्यक्ति
का आमंत्रण पत्र मांगा जा रहा है, वह अब दुनिया में नहीं है। तब कहा गया कि मृतक के
रिश्तेदार का आमंत्रण पत्र होना चाहिए।
एंडरसन के यह बताने पर कि मृतक शियाओबो की पत्नी
किसी से मिल नहीं पा रही हैं। वे मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं। उन्होंने यह
भी बताया कि चीन में ठहरने के लिए उन्होंने होटल तक बुक करा लिया है और उनके पास वापसी
का टिकट भी है। ऐसे में उन्हें वहां रुककर किसी खास उद्देश्य को पूरा नहीं करना। लेकिन
दूतावास कर्मियों ने उनकी बात नहीं सुनी और आवेदन अस्वीकार कर दिया। गौरतलब है कि इस
पांच सदस्यीय समिति का चयन नॉर्वे की संसद करती है और इसमें देश के बहुत ही सम्मानित
लोग होते हैं। (वार्ता)
बुधवार, 12 जुलाई 2017
Film about Bharat Ratn Awardee Amartya Sen भारत रत्न अमर्त्य सेन पर बनी डॉक्युमेंट्री फिल्म -सुरेशचन्द्र शुक्ल -Suresh Chandra Shukla
भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर बनी डॉक्युमेंट्री फिल्म -सुरेशचन्द्र शुक्ल
चित्र में लेखक सुरेशचन्द्र शुक्ल और आदरणीय अमर्त्य सेन जी
फिल्म निर्माता - अर्थशास्त्री सुमन घोष को बहुत-बहुत बधाई।
इस डॉक्युमेंट्री में अमर्त्य सेन के जीवन के अलावा उनकी कई स्पीच को भी
शामिल किया गया है जिसमें उन्होंने भारत में वर्तमान राजनीति के कई मुद्दों
पर अपने विचार रखे हैं।
इस फिल्म को कोलकाता की एक अर्थशास्त्री सुमन घोष ने बनाया है।
शनिवार, 8 जुलाई 2017
प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी और श्रीमती अर्ना सूलबर्ग Shri Narendra Modi and Erna Solberg i Hamburg in Jermany-Suresh Chandra Shukla
दो आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी और श्रीमती अर्ना सूलबर्ग हैमबर्ग, जर्मनी में
दो आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी और श्रीमती अर्ना सूलबर्ग हैमबर्ग, जर्मनी में जी-20 देशों की बैठक में.
9 सितम्बर 2017 के बाद आदरणीय देबराज प्रधान जी ( दूतावास) के सहयोग से प्रयास करूँगा कि हमारे मिलनसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी नार्वे यहाँ की सरकार द्वारा आमंत्रित किया जाये। नार्वे में लेबर (अरबाइदार) पार्टी की सरकार ने भारतीय प्रधान मंत्री को आमंत्रण दिया था और इंदिरा जी ने सन 1983 में नार्वे की यात्रा की थी, पर इंदिरा जी के आगमन पर होइरे (दायें बाजू की ) नार्वे में पार्टी की सरकार थी.
Photo from HE Debraj Pradhans wall. Thanks.
दो आदरणीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी और श्रीमती अर्ना सूलबर्ग हैमबर्ग, जर्मनी में जी-20 देशों की बैठक में.
9 सितम्बर 2017 के बाद आदरणीय देबराज प्रधान जी ( दूतावास) के सहयोग से प्रयास करूँगा कि हमारे मिलनसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी नार्वे यहाँ की सरकार द्वारा आमंत्रित किया जाये। नार्वे में लेबर (अरबाइदार) पार्टी की सरकार ने भारतीय प्रधान मंत्री को आमंत्रण दिया था और इंदिरा जी ने सन 1983 में नार्वे की यात्रा की थी, पर इंदिरा जी के आगमन पर होइरे (दायें बाजू की ) नार्वे में पार्टी की सरकार थी.
Photo from HE Debraj Pradhans wall. Thanks.
ट्रंप और पुतिन में हुआ गजब का संवाद, हुई 2 घंटे सोलह मिनट लंबी बात-Suresh Chandra Shukla
ट्रंप और पुतिन में हुआ गजब का संवाद, हुई 2 घंटे सोलह मिनट लंबी बात,
8 जुलाई 2017, हैमबर्ग, जर्मनी
आधे घंटे की प्रस्तावित बातचीत दो घंटे सोलह मिनट चली.
हैम्बर्ग। जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच पहली बार मुलाकात हुई। इस पर दुनियाभर की नजर थी।
दोनों नेताओं की मुलाकात के लिए करीब 30 मिनट का कार्यक्रम तय किया गया था लेकिन दोनों काफी देर तक बात करते रहे। इस मुलाकात को खत्म करने के लिए ट्रंप की पत्नी मेलानिया को बीच में भेजा गया, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। मेलानिया से मिलने के बाद पुतिन और ट्रंप फिर बातें करने बैठ गए। दोनों के बीच यह मुलाकात दो घंटे 16 मिनट तक चली। इस मीटिंग के दौरान मौजूद अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलेर्सन ने बाद में बताया कि दोनों नेता इतने मशगूल हो गए कि वक्त का पता नहीं चला।
वेबदुनिया से साभार: https://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1572063297138418470#editor/target=post;postID=1034308018539031274
8 जुलाई 2017, हैमबर्ग, जर्मनी
आधे घंटे की प्रस्तावित बातचीत दो घंटे सोलह मिनट चली.
हैम्बर्ग। जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच पहली बार मुलाकात हुई। इस पर दुनियाभर की नजर थी।
दोनों नेताओं की मुलाकात के लिए करीब 30 मिनट का कार्यक्रम तय किया गया था लेकिन दोनों काफी देर तक बात करते रहे। इस मुलाकात को खत्म करने के लिए ट्रंप की पत्नी मेलानिया को बीच में भेजा गया, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। मेलानिया से मिलने के बाद पुतिन और ट्रंप फिर बातें करने बैठ गए। दोनों के बीच यह मुलाकात दो घंटे 16 मिनट तक चली। इस मीटिंग के दौरान मौजूद अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलेर्सन ने बाद में बताया कि दोनों नेता इतने मशगूल हो गए कि वक्त का पता नहीं चला।
वेबदुनिया से साभार: https://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1572063297138418470#editor/target=post;postID=1034308018539031274
रविवार, 2 जुलाई 2017
2 जुलाई 1972 को ऐतिहासिक शिमला समझौता कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के मध्य हुआ था.-Suresh Chandra Shukla
2 जुलाई 1972 को ऐतिहासिक शिमला समझौता कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के मध्य हुआ था.
आज के दिन भारत में पहली महिला प्रधानमन्त्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी और स्व. श्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. सन 1971 में बांग्लादेश बना था अतः यह समझौता बहुत विशिष्ट माना जाता रहा है.
आज के दिन भारत में पहली महिला प्रधानमन्त्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी और स्व. श्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किये थे. सन 1971 में बांग्लादेश बना था अतः यह समझौता बहुत विशिष्ट माना जाता रहा है.
मोटर-गाड़ी के धुंआ से मुक्त करो सड़कों को. सार्वजनिक वाहन ही सड़कों पर रह पायेंगे। (संवर्धित सामयिक कविता) सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla
जहाँ भूखा बच्चा स्कूल न जाये,
बिन पैसे सबको पानी साफ़ पिलायेंगे।
बिन पैसे सबको पानी साफ़ पिलायेंगे।
सुरेशचन्द्र
शुक्ल 'शरद आलोक'
लेखक महात्मा गाँधी जी की दक्षिण अफ्रीका में पोती श्रीमती इला गांधी जी के साथ
प्रिय मित्रों दोबारा वही कविता लेआउट और बाद बड़े आकार के अक्षर के साथ प्रस्तुत है. धन्यवाद।
जहाँ भूखा बच्चा स्कूल न
जाये,
बिन पैसे सबको पानी साफ़
पिलायेंगे।
साफ़ करो ठेकेदारों और
कॉर्पोरेटरों से भारत,
हम अपनी रोटी अपने आप
पकायेंगे।।
कट्टर पूंजीवादी का रथ हाक रहे नेता
कट्टर पूंजीवादी का रथ हाक रहे नेता
अपनी बर्बादी के लडडू
खाने को
तैयार नहीं है जनता। देर बहुत हो जायेगी प्यारे,
अपदस्त करेगी शासन से
खून-पसीने वाली जनता।
जो मर-मर कर भी जाग रही है।
छोटे व्यापारी को मरने न देना,कारपोरेटों की कतार खड़ी है गिद्धों सी
तैयार नहीं है जनता। देर बहुत हो जायेगी प्यारे,
अपदस्त करेगी शासन से
खून-पसीने वाली जनता।
जो मर-मर कर भी जाग रही है।
छोटे व्यापारी को मरने न देना,कारपोरेटों की कतार खड़ी है गिद्धों सी
जनता की लाचारी पर हमला न
करने देना।
कितने आये हैं और जायेंगे।
कितने आये हैं और जायेंगे।
नहीं तुम्हें मालुम है
जनता की ताकत
वह जनतंत्र की सख्त कमर है, तुमको अंदाजा?
वह जनतंत्र की सख्त कमर है, तुमको अंदाजा?
कब तक अपने दर्पण को साफ़
करेंगे?
जब नहीं देख पायेंगे चेहरे पर कालिख?
नेता-कार्पोरेटर! कब तक कहर तुम ढाओगे?
जनता को अनपढ़ समझकर
अपनी मर्जी से कब तक
सादे कागज़ में अँगूठा नित्य लगाओगे।
जब नहीं देख पायेंगे चेहरे पर कालिख?
नेता-कार्पोरेटर! कब तक कहर तुम ढाओगे?
जनता को अनपढ़ समझकर
अपनी मर्जी से कब तक
सादे कागज़ में अँगूठा नित्य लगाओगे।
ये भारत है जनता माफ़ करेगी।
पर विदेशी भूमि पर तुमको
कौन माफ़ करेगा?
आज तुम्हारे व्यापार वहां
पर
कल सूखे फिर घर आओगे।
तब जनता यदि न आने देगी।
तब तुम और कहाँ जाओगे?
वक्त तुम्हे देता हूँ,
भारत में अन्याय छोड़ दो
प्यारे।
हम तो तुमको माफ़ कर भी
दें
क्या तुम स्वयं खुद से
माफी मॉंग सकोगे?
दूसरे को तो माफ़ कर सकते
हो!
अपने को कैसे माफ़ करोगे?
किसानों की आत्महत्या से
बहुत परेशान हैं हम,
तुमको हम भारत में
आत्महत्या न करने देंगे?
पैसे वाले जालिम अंतरिक्ष
तुम्हें मुबारक।
हम अपनी जमीन के मालिक
हैं,
तेरे जुल्मों से धरती लाल
न होने देंगे?
एयरकंडीशन में बैठ
हमारी जमीन छीनने वालों!
क्या तेरे बच्चे!
तप्ती रेत में चलकर सड़क बनाएंगे?
क्या तेरे बच्चे!
तप्ती रेत में चलकर सड़क बनाएंगे?
एयरकंडीशन में रहने
वालों,
सड़क खाली करों कारों से,
जनता साइकिल और रिक्शा लेकर आती है.
सड़क खाली करों कारों से,
जनता साइकिल और रिक्शा लेकर आती है.
शाम सुबह साइकिल पैदल वालों से
सार्वजनिक वाहनों और
कामगारों से सड़कें
बिना धुंवाँ सड़कें भर जायेगी।
बिना धुंवाँ सड़कें भर जायेगी।
नहीं चाहिये हमको मोटर
गाड़ी,
दो रोटी खाएंगे औरों को
भी खिलाएंगे।
नहीं चाहिये हमको बोतल
पानी।
जब व्यापारी पानी बेच न
पाएंगे?
मोटर-गाड़ी के धुंआ से
मुक्त करो सड़कों को.
मुक्त करो सड़कों को.
सार्वजनिक वाहन ही
सड़कों पर रह पायेंगे।
सड़कों पर रह पायेंगे।
नहीं चाहिए हमको बहुत
तरक्की।
अब नहीं और सहेंगे
अन्याय-असमानता।
हम अपनी रोटी
उगाएंगे-खायेंगे।
ओस्लो, 1 जुलाई 2017
ओस्लो, 1 जुलाई 2017
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