जहाँ भूखा बच्चा स्कूल न जाये,
बिन पैसे सबको पानी साफ़ पिलायेंगे।
बिन पैसे सबको पानी साफ़ पिलायेंगे।
सुरेशचन्द्र
शुक्ल 'शरद आलोक'
लेखक महात्मा गाँधी जी की दक्षिण अफ्रीका में पोती श्रीमती इला गांधी जी के साथ
प्रिय मित्रों दोबारा वही कविता लेआउट और बाद बड़े आकार के अक्षर के साथ प्रस्तुत है. धन्यवाद।
जहाँ भूखा बच्चा स्कूल न
जाये,
बिन पैसे सबको पानी साफ़
पिलायेंगे।
साफ़ करो ठेकेदारों और
कॉर्पोरेटरों से भारत,
हम अपनी रोटी अपने आप
पकायेंगे।।
कट्टर पूंजीवादी का रथ हाक रहे नेता
कट्टर पूंजीवादी का रथ हाक रहे नेता
अपनी बर्बादी के लडडू
खाने को
तैयार नहीं है जनता। देर बहुत हो जायेगी प्यारे,
अपदस्त करेगी शासन से
खून-पसीने वाली जनता।
जो मर-मर कर भी जाग रही है।
छोटे व्यापारी को मरने न देना,कारपोरेटों की कतार खड़ी है गिद्धों सी
तैयार नहीं है जनता। देर बहुत हो जायेगी प्यारे,
अपदस्त करेगी शासन से
खून-पसीने वाली जनता।
जो मर-मर कर भी जाग रही है।
छोटे व्यापारी को मरने न देना,कारपोरेटों की कतार खड़ी है गिद्धों सी
जनता की लाचारी पर हमला न
करने देना।
कितने आये हैं और जायेंगे।
कितने आये हैं और जायेंगे।
नहीं तुम्हें मालुम है
जनता की ताकत
वह जनतंत्र की सख्त कमर है, तुमको अंदाजा?
वह जनतंत्र की सख्त कमर है, तुमको अंदाजा?
कब तक अपने दर्पण को साफ़
करेंगे?
जब नहीं देख पायेंगे चेहरे पर कालिख?
नेता-कार्पोरेटर! कब तक कहर तुम ढाओगे?
जनता को अनपढ़ समझकर
अपनी मर्जी से कब तक
सादे कागज़ में अँगूठा नित्य लगाओगे।
जब नहीं देख पायेंगे चेहरे पर कालिख?
नेता-कार्पोरेटर! कब तक कहर तुम ढाओगे?
जनता को अनपढ़ समझकर
अपनी मर्जी से कब तक
सादे कागज़ में अँगूठा नित्य लगाओगे।
ये भारत है जनता माफ़ करेगी।
पर विदेशी भूमि पर तुमको
कौन माफ़ करेगा?
आज तुम्हारे व्यापार वहां
पर
कल सूखे फिर घर आओगे।
तब जनता यदि न आने देगी।
तब तुम और कहाँ जाओगे?
वक्त तुम्हे देता हूँ,
भारत में अन्याय छोड़ दो
प्यारे।
हम तो तुमको माफ़ कर भी
दें
क्या तुम स्वयं खुद से
माफी मॉंग सकोगे?
दूसरे को तो माफ़ कर सकते
हो!
अपने को कैसे माफ़ करोगे?
किसानों की आत्महत्या से
बहुत परेशान हैं हम,
तुमको हम भारत में
आत्महत्या न करने देंगे?
पैसे वाले जालिम अंतरिक्ष
तुम्हें मुबारक।
हम अपनी जमीन के मालिक
हैं,
तेरे जुल्मों से धरती लाल
न होने देंगे?
एयरकंडीशन में बैठ
हमारी जमीन छीनने वालों!
क्या तेरे बच्चे!
तप्ती रेत में चलकर सड़क बनाएंगे?
क्या तेरे बच्चे!
तप्ती रेत में चलकर सड़क बनाएंगे?
एयरकंडीशन में रहने
वालों,
सड़क खाली करों कारों से,
जनता साइकिल और रिक्शा लेकर आती है.
सड़क खाली करों कारों से,
जनता साइकिल और रिक्शा लेकर आती है.
शाम सुबह साइकिल पैदल वालों से
सार्वजनिक वाहनों और
कामगारों से सड़कें
बिना धुंवाँ सड़कें भर जायेगी।
बिना धुंवाँ सड़कें भर जायेगी।
नहीं चाहिये हमको मोटर
गाड़ी,
दो रोटी खाएंगे औरों को
भी खिलाएंगे।
नहीं चाहिये हमको बोतल
पानी।
जब व्यापारी पानी बेच न
पाएंगे?
मोटर-गाड़ी के धुंआ से
मुक्त करो सड़कों को.
मुक्त करो सड़कों को.
सार्वजनिक वाहन ही
सड़कों पर रह पायेंगे।
सड़कों पर रह पायेंगे।
नहीं चाहिए हमको बहुत
तरक्की।
अब नहीं और सहेंगे
अन्याय-असमानता।
हम अपनी रोटी
उगाएंगे-खायेंगे।
ओस्लो, 1 जुलाई 2017
ओस्लो, 1 जुलाई 2017
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें