'परिचय' हिन्दी पत्रिका का सम्पादन पांच साल (1980-1985) किया। -सुरेशचंद्र शुक्ल
ओस्लो, नार्वे में हिन्दी की पहली पत्रिका का प्रकाशन 1978 में शुरू हुआ.
इसका प्रकाशन भारतीय कल्याण परिषद (इंडियन वेलफेयर सोसाइटी) करती थी जो उस समय ओस्लो, नार्वे में भारतीयों की एकमात्र संस्था थी.
अधिकाँश पत्रिका हस्तलिखित होती थी. इस पत्रिका की चर्चा धर्मवीर भारती जी ने धर्मयुग के प्रथम पृष्ठ पर मेरे नाम के साथ की थी. कादम्बिनी में इसके सम्पादक के दो बार साक्षात्कार पत्रिका के कवर पेज के पृष्ठ के साथ छपे थे.
आइये अवलोकन करते हैं 'परिचय' पत्रिका के 1983 में छपे अंक का कवर पेज, सम्पादकीय और पेज दो (विषय सूची).
यह पत्रिका 'परिचय' हिन्दी, पंजाबी (गुरुमुखी) और अंगरेजी में संयुक्त रूप से छपती थी.
इस अंक में नार्वे के सुरेशचंद्र शुक्ल (बसंत के अंकुर का दूसरा भाग और एक टुकड़ा बादल और जितेन्द्र कुमार बधवार की और इंसानियत लटक गयी )कहानियाँ और दो साक्षात्कार स्थानीय भारतीय राजनीतिज्ञों अवतार सिंह और अमलेंदु गुहा के थे. सम्पादकीय भी प्रभावी था.
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