मेरी प्रवासी डायरी 6 मई (1 )- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
आज ओस्लो में मौसम अच्छा था. आज सूरज निकला हुआ था. आज ओस्लो में तापमान निम्नतम 1 और अधिकतम 10 डिग्री सेंटीग्रेट था. आये दिन अपने प्रिय लेखकों और परिजनों की मृत्यु की खबर मन दहला रही है. जब भी कोई घंटी बजती है तब अजीब हालत होती है कि कहीं कोई बुरी खबर तो नहीं है.
मेरी दिनचर्या में पत्रकारिता और साहित्य लेखन से जुडी है.
कल कामराज संधू, कोलकाता के डॉ अमरनाथ, दिल्ली से नासिरा शर्मा आदि से कुशल क्षेम पूछा। सभी कुशल पूर्वक थे. मुझे तो वैक्सीन की दोनों खुराक के रूप में टीका लग चुका है पर अभी भी बहुत से लोग टीका की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
सामयिक लेख पढ़ा. आम आदमी महँ है कविता लिखी और उसे यू ट्यूब पर पोस्ट किया।
धन, वैक्सीन, आक्सीजन, अस्पतालों में बिस्तर की कमी बहुत बड़ी समस्या है इसको भूलकर लोग प्रदर्शन और अपनी पार्टी के प्रचार में अभी लगे हुए हैं क्या यह होना चाहिए? भारतीय समाचार पत्र इस समाचार से भरे हैं.
कोविड महामारी का संकट पूरी विश्व में बहुत बड़ा और तेजी से फ़ैल रहा है. बंगाल में भी चुनाव, प्रदर्शन और रैलियों से महामारी बढ़ी है और कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
अभी बंगाल में चुनाव हुए 24 घंटे भी नहीं हुए प्रदर्शन, पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री बिना कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट लिए बंगाल पहुंचे। इससे बंगाल में महामारी बढ़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटना पूरे देश में नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
डायरी, ओस्लो, 06.05.21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें