शेषनारायण सिंह का जाना मेरी निजी क्षति
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
श्री राजीव रंजन श्रीवास्तव जी को फोन करने पर पता चला कि प्रसिद्ध पत्रकार शेषनारायण सिंह की कोरोना ने जान ले ली।
मेरे
पत्रकारिता में दिल्ली में सहयोगी, मित्र शेष नारायण सिंह जी कोरोना से
संक्रमित हुए और हम सभी को छोड़कर चले गये। वह कोलकाता गये थे , मेरी उनसे
बातचीत तब हुई थी जब वह अभी कोलकाता में चुनाव की रिपोर्टिंग कर रहे थे।
मेरी लगभग 15 मिनट बात हुई थी।
मेरा
परिचय श्री शेषनारायण जी से सन 2004 में हुआ था। वह दो बार नार्वे आ
चुके हैं। वह TV में एक्सपर्ट के रूप में अक्सर आते थे। वह टीवी db
देशबंधु, IBN, News 24, NDTV में ऐंकर और राजनैतिक एक्सपर्ट के रूप में आते
थे।
वह राष्ट्रीय समाचार पत्र देशबंधु के राजनैतिक संपादक थे। सहित वह उर्दू और अंग्रेजी में भी लेख लिखते थे।
उन्होंने मेरा परिचय पत्रकार अमलेन्दु उपाध्याय सहित प्रेसक्लब के पदाधिकारियों सहित कई टीवी एंकरों, से कराया था।
उनके
साथ मैं बीजेपी मुख्यालय, नयी दिल्ली अनेक बार गया हूँ। हर भारत यात्रा
में कम से कम दो-तीन बार मिलना होता था। जिसमें प्रेस क्लब में यादगार
बैठकें शामिल हैं।
भारतीय साहित्यिक पत्रिका के
संपादकों से पुनः बात ही नहीं कराई बल्कि मेरे साहित्य की तरफ उनका आकर्षण
भी बढ़ाया। इसी के तहत राजीव कटारा जी ने मुझसे कहानी और कवितायें
प्रकाशनार्थ मांगी थी।
जब
राष्ट्रपति प्रणब मुकर्जी आये थे तो मेरे पास और भारतीय दूतावास के पास
मुझे राष्ट्रपति जी से मिलाने के लिए राष्ट्रपति भवन से पत्र आया था. और
मेरी राष्ट्रपति जी से तीन-चार मिनट बात हुई थी.
साहित्यकार
के रूप में जो मेरी प्रतिष्ठा भारत में राजेंद्र अवस्थी जी के साथ शुरू
हुई थी वह अब शेषनारायण जी के साथ रहकर फल फूल रही थी. उनके साथ भी का असर
था कि मेरे ऊपर किसी दल या गुट का ठप्पा नहीं है.
उन्होंने मेरे ऊपर दो लेख लिखे थे वह मुझपर पुस्तक लिख रहे थे।
उन्होंने मेरा परिचय देशबंधु अखबार से कराया बाद में संपादक श्री राजीव रंजन श्रीवास्तव जी ने मुझे यूरोपीय संपादक बनाया।
एक बड़े पत्रकार और बहुत अच्छे इंसान और अपने निजी मित्र को खोकर बहुत दुःखी हूं।
अब न आदरणीय ललित सुरजन जी हैं और न ही शेषनारायण जी.
अब केवल उनकी अमिट स्मृतियाँ शेष हैं.
विनम्र श्रद्धांजलि. ईश्वर आपकी आत्मा को शांति प्रदान करे.
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