मोदी जी के रंग में रच गयी होली,
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', 11.03.17
मोदी जी के रंग में रच गयी होली,
बी जे पी करे ठिठोली।
जीती बी जे पी कई राज्यों में,
खेलकर आँख मिचौली।
होली है भाई होली।
प्रजातन्त्र की होली। .
रंग रंग में दर्शन सोहे,
अंग-अंग पिचकारी।
राष्ट्रभाव अब भारी पड़ गये,
वरदान मिले या गारी।
वीर जवानों ने सीमा पर,
रखकर जान हथेली,
देश की सुरक्षा खातिर,
खायें सीने में गोली।
ये मर्दानों की होली।
देशभक्ति की होली।।
जो विदेश में रहकर खेलें,
करें स्वदेश की यादें।
सद्भावों में रंग मिलकर,
फागुन की फरियादें।
बबुआ-बुआ की बोली सुन,
मन में भर दे खुशहाली।
होली है भाई होली,
परदेसी की होली।।
फेसबुक और ट्वीटर में
भेजें शब्दों की पिचकारी।
लाखों मीलों की दूरी हो,
भेजें फूलों की फुलवारी।।
ठंडक में ठिठुरा देती है,
जब विदेश में होली।
गाल-माथे गुलाल लगाते,
जब होली हो बर्फीली।
खादी के कपड़ों में लिपटे ,
भारत के नर और नारी।
ठंडी-ठण्डी हवा चली है,
राजा हो रंक सभी संग
खेले भारत में होली।
रिश्ते-नाते भेद मिटाकर,
होली खेलें बन हमजोली।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', 11.03.17
मोदी जी के रंग में रच गयी होली,
बी जे पी करे ठिठोली।
जीती बी जे पी कई राज्यों में,
खेलकर आँख मिचौली।
होली है भाई होली।
प्रजातन्त्र की होली। .
रंग रंग में दर्शन सोहे,
अंग-अंग पिचकारी।
राष्ट्रभाव अब भारी पड़ गये,
वरदान मिले या गारी।
वीर जवानों ने सीमा पर,
रखकर जान हथेली,
देश की सुरक्षा खातिर,
खायें सीने में गोली।
ये मर्दानों की होली।
देशभक्ति की होली।।
जो विदेश में रहकर खेलें,
करें स्वदेश की यादें।
सद्भावों में रंग मिलकर,
फागुन की फरियादें।
बबुआ-बुआ की बोली सुन,
मन में भर दे खुशहाली।
होली है भाई होली,
परदेसी की होली।।
फेसबुक और ट्वीटर में
भेजें शब्दों की पिचकारी।
लाखों मीलों की दूरी हो,
भेजें फूलों की फुलवारी।।
ठंडक में ठिठुरा देती है,
जब विदेश में होली।
गाल-माथे गुलाल लगाते,
जब होली हो बर्फीली।
खादी के कपड़ों में लिपटे ,
भारत के नर और नारी।
ठंडी-ठण्डी हवा चली है,
राजा हो रंक सभी संग
खेले भारत में होली।
रिश्ते-नाते भेद मिटाकर,
होली खेलें बन हमजोली।
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