लन्दन पुस्तक मेले में नेशनल बुक ट्रस्ट ने
की भारतीय लेखकों के साथ बैठक
एन.बी.टी. के अध्यक्ष श्री बलदेव भाई शर्मा, संपादक - कुमार विक्रम ने ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के हिन्दी लेखकों से एक बातचीत का कार्यक्रम रखा।
शर्मा जी का उद्देश्य था कि लेखकों से सीधे बात की जाए ताकि बीच की ग़लतफ़हमियों को ख़त्म कर एक सीधा रिश्ता जुड़ सके।
इस कार्यक्रम में भारतीय उच्चायोग के मन्त्री समन्वय श्री ए.एस. राजन, हिन्दी अधिकारी श्री तरुण कुमार, साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासरॉव व पब्लिकेशन डिवीज़न के श्री राजेन्द्र भी उपस्थित थे।
हिन्दी लेखकों में नॉर्वे से पधारे सुरेश चन्द्र शुक्ल, बाथ से मोहन राणा, बर्मिंघम से वन्दना मुकेश शर्मा एवं डॉ. मुकेश शर्मा, नॉटिंघम से जय वर्मा एवं डॉ. महिपाल वर्मा, हर्टफ़र्डशायर से दिव्या माथुर, लफ़बरॉ से गुरचरण सिंह, सर्रे से कादम्बरी मेहरा के अतिरिक्त लंदन से अरुणा सभरवाल, शिखा वार्ष्णेय, इन्दु बैरॉट, गीता शर्मा आदि ने शिरकत की।
मोहन राणा के पहले सवाल के जवाब में श्री शर्मा ने सूचित किया कि एन.बी.टी. कविता की पुस्तकें प्रकाशित नहीं करता है।
कादम्बरी मेहरा चाहती हैं कि भारतीय पौधों पर और उनके आर्थिक उपयोग पर किताब प्रकाशित होनी चाहिये। श्री कुमार विक्रम ने आश्वस्त किया कि इस तरह की सीरीज़ पहले से चल रही है इसलिये कोई कठिनाई नहीं होगी।
शिखा का सवाल था कि क्या यात्रा वृतान्त जैसी विधा के बारे में एन.बी.टी. का रुख़ सकारात्मक है। तो जवाब हां में मिला।
गुरचरण सिंह पहले से ही एन.बी.टी. के लिये एक प्रोजेक्ट से जुड़े हैं जिसके तहत वे प्रवासी लेखकों की कहानियों का अनुवाद कर रहे हैं।
कुमार विक्रम ने डायस्पोरा के जीवन और विश्व भर के श्रेष्ठतम हिन्दी कहानियों का संकलन निकालने के बारे में भी प्रोपोज़ल रखे।
तेजेन्द्र शर्मा ने साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासरॉव के सामने प्रस्ताव रखा कि अब भारत के बाहर जिन लेखकों के पास ओवरसीज़ सिटिज़नशिप ऑफ. इण्डिया है, उन्हें भी साहित्य अकादमी के पुरस्कारों में शामिल किया जाना चाहिये।
श्री बलदेव भाई शर्मा, श्री राजन एवं डॉ. श्रीनिवासरॉव ने भी लेखकों को सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन श्री कुमार विक्रम ने किया। कुल मिला कर एक सार्थक संवाद का आयोजन हुआ जिससे सभी को उम्मीद बन्धी कि कुछ सकारात्मक नतीजे निकलेंगे।
तेजेन्द्र शर्मा की फेसबुक से सूचना ली गयी है.
सुरेशचन्द्र शुक्ल ने अपने अनुभव साझे किये और बैठक के आयोजन के लिए सभी का बाहर व्यक्त किया।
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