आज राममनोहर लोहिया जी का जन्मदिन है
और हमारे अमर शहीद भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी. इसलिए लोहिया जी अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे. और शहीद भगत सिंह और राजगुरु का शहीदी दिवस।
गिरिराज किशोर जी ने अपने फेसबुक पर लिखा है: डा. लोहिया गाँधी जी के बाद दूसरे व्यक्ति हैं जिन्हें न सत्ता से प्यार था, न धन से, न पद से। उन्होंने हर गुलामी का विरोध किया चाहे भारत की हो या गोवा की। आज हमने इस राजनीतिक वातावरण में उनका नाम लेने का भी अधिकार खो दिया। हमने उनकी मूर्तियाँ लगवाने के सिवाय ऐसा कौन सा काम किया जो उनके त्याग और संघर्ष के पासंग भी हो। उनके नाम से राजनीति की पर न उनका कोई सिद्धांत माना न मान रखा। डा. साहब ने अच्छा ही किया कि अपना जन्म नहीं मनाते थे। दिल्ली में मैंने एक बार देखा है कि लोग जाते थे पर बधाई नहीं कहते थे। वे देखकर मुस्कुरा देते थे।
23 मार्च को भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी,और लोहिया जी का जन्म दिन इसी तारीख को पड़ता था,इसीलिये लोहिया जी ने जन्म दिन मनाना छोड़ दिया था। आप सच कहते है,लोहिया जी के नाम पर राजनीति हुई,पर उनके सच्चे अनुयायी नहीं हुए। इस देश ने अपने जिन महान विचारकों का लाभ नहीं उठाया उनमे लोहिया जी भी है।
और हमारे अमर शहीद भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी. इसलिए लोहिया जी अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे. और शहीद भगत सिंह और राजगुरु का शहीदी दिवस।
गिरिराज किशोर जी ने अपने फेसबुक पर लिखा है: डा. लोहिया गाँधी जी के बाद दूसरे व्यक्ति हैं जिन्हें न सत्ता से प्यार था, न धन से, न पद से। उन्होंने हर गुलामी का विरोध किया चाहे भारत की हो या गोवा की। आज हमने इस राजनीतिक वातावरण में उनका नाम लेने का भी अधिकार खो दिया। हमने उनकी मूर्तियाँ लगवाने के सिवाय ऐसा कौन सा काम किया जो उनके त्याग और संघर्ष के पासंग भी हो। उनके नाम से राजनीति की पर न उनका कोई सिद्धांत माना न मान रखा। डा. साहब ने अच्छा ही किया कि अपना जन्म नहीं मनाते थे। दिल्ली में मैंने एक बार देखा है कि लोग जाते थे पर बधाई नहीं कहते थे। वे देखकर मुस्कुरा देते थे।
23 मार्च को भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी दी थी,और लोहिया जी का जन्म दिन इसी तारीख को पड़ता था,इसीलिये लोहिया जी ने जन्म दिन मनाना छोड़ दिया था। आप सच कहते है,लोहिया जी के नाम पर राजनीति हुई,पर उनके सच्चे अनुयायी नहीं हुए। इस देश ने अपने जिन महान विचारकों का लाभ नहीं उठाया उनमे लोहिया जी भी है।
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