One nation and one election is undemocratic and against the principle of federalism.
एक देश एक चुनाव लोकतंत्र के विरुद्ध है- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
जो लोकतंत्र के विरुद्ध, उनसे करो युद्ध?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
सांसदों के मुख सिल दिये अब,
जब हो गया चुनाव।
ए वी एम की जांच को किया बेदखल,
और दिया दाँव।
विपक्ष शोर करता रहा, पक्ष हँसता रहा,
जैसे चोर पर सिपाही।
जनता की कहाँ की सत्ता ने परवाह,
जैसे जैसे गेहूँ संग घुन की पिसाई।
हम चाहते हैं, न्याय, समाधान और त्याग,
सत्ता का नशा अवसरवाद।
किसी को मिला घर, किसी का घर बेचकर,
क्या यही है आजका क्षद्म राष्ट्रवाद?
माध्यम (मीडिया) डरे-डरे, विज्ञापनों से हरे,
और पीत पत्रकार की कमाई।
मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चों की मौत,
मच रही त्राहि-त्राहि।
जब अस्पताल में दवा की जगह कफ़न रखे हैं?
मरने वाले ने तुम्हारे लिए भी सपन रखे हैं!
लोकतंत्र को बचा न सके, जब सवा सौ करोड़ लोग?
चिकत्सकों की कमी से, क्या भगा सकोगे रोग?
मुखिया मुखौटा पहन पढ़ा रहा पाठ,
एक देश एक चुनाव?
लोकतंत्र का घोट कर गला,
क्या करेगा न्याय?
जोंक खून चूसती रही, आह न निकल रही.
धर्म के नाम पर लड़ाने की तैयारी कर रहा,
चढ़ा रहा तरकश में बाण?
बेखबर जनता,
हो जाओ सावधान!
एक देश एक चुनाव लोकतंत्र के विरुद्ध है- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
जो लोकतंत्र के विरुद्ध, उनसे करो युद्ध?
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
सांसदों के मुख सिल दिये अब,
जब हो गया चुनाव।
ए वी एम की जांच को किया बेदखल,
और दिया दाँव।
विपक्ष शोर करता रहा, पक्ष हँसता रहा,
जैसे चोर पर सिपाही।
जनता की कहाँ की सत्ता ने परवाह,
जैसे जैसे गेहूँ संग घुन की पिसाई।
हम चाहते हैं, न्याय, समाधान और त्याग,
सत्ता का नशा अवसरवाद।
किसी को मिला घर, किसी का घर बेचकर,
क्या यही है आजका क्षद्म राष्ट्रवाद?
माध्यम (मीडिया) डरे-डरे, विज्ञापनों से हरे,
और पीत पत्रकार की कमाई।
मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चों की मौत,
मच रही त्राहि-त्राहि।
जब अस्पताल में दवा की जगह कफ़न रखे हैं?
मरने वाले ने तुम्हारे लिए भी सपन रखे हैं!
लोकतंत्र को बचा न सके, जब सवा सौ करोड़ लोग?
चिकत्सकों की कमी से, क्या भगा सकोगे रोग?
मुखिया मुखौटा पहन पढ़ा रहा पाठ,
एक देश एक चुनाव?
लोकतंत्र का घोट कर गला,
क्या करेगा न्याय?
जोंक खून चूसती रही, आह न निकल रही.
धर्म के नाम पर लड़ाने की तैयारी कर रहा,
चढ़ा रहा तरकश में बाण?
बेखबर जनता,
हो जाओ सावधान!
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