भारत देश पर किसकी नजर है? - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
भारत एक लोकतंत्र देश है. 21 राजनीतिक पार्टियों के विरोध के बाद भी सरकार चुनाव में ए वी एम मशीन का प्रयोग मतदान में करती है. हम कितना लोकतंत्र को मानते हैं. सवाल का जवाब देना सीखा ही नहीं वरन जबान बंद करने को कहते हैं. गौतम गंभीर जो नए -नए सांसद बने थे उन्होंने एक अन्याय की घटना पर टिप्पणी की तो अनुपम खेर ने उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से रोका।
अरे भाई चूड़ियाँ पहन कर बैठने और मौन व्रत रखने को किसने कहा है? राजनीति में तो कम से कम न आओ जब जनता की आवाज नहीं उठा सकते।
लगता है किसी की हमारे देश और राजनीति पर गहरी नजर है और वह यहाँ पैसे से राजनीतिज्ञों की मदद कर रहा है.
राहुल जी अम्बानी जी पर दोष लगाते रहे पर अकेले अम्बानी पर दोष देना ठीक नहीं और भी लोग या शक्तियां हैं. पर जब लोग टूटेंगे या तोड़े जाएंगे लालच में तब पता चलेगा कि दाल में काला क्या है.
बिना लहर के मोदी कैसे जीते?
सबसे बड़ी बात तो यह दिखती है कि बिना लहर के बी जे पी इतने बड़े बहुमत से जीत जाती है जनता चूँ नहीं बोलती, नेता मौन हो जाते हैं। पहले से ही दो सौ से अधिक वर्तमान संसद में अपराधी छवि वाले हैं (बेशक सजा नहीं काट रहे हों). सरकार ने विपक्ष की ए वी एम वोट की मशीन में पुर्ची का मिलान करने से पूर्व मना कर दिया। यदि ए वी मशीन में गड़बड़ी नहीं हुई फिर जांच क्यों नहीं होने दी गयी?
बी जे पी और अन्य पार्टी के पास चुनाव और रैलियों के पैसे कहाँ से आये? अम्बानी ने तो इतने पैसे नहीं दिए हैं और कहीं से साथ-गाँठ लगती है. कौन हिम्मत करेगा पता लगाने की और जांच कराने की. जब आपस में खींचतान बढ़ेगी तभी पता चलेगा।
केवल प्रधानमंत्री ही विदेश यात्रा पर क्यों, उनके साथ या अकेले विदेश मंत्री क्यों नहीं?
भारतीय संसद में जो सदस्य हैं वह मौन व्रत के लिए क्यों हैं. क्या वह सरकार और पूरी संसद की कार्यवाही और अपने विचार अगर नहीं रखते तो जनता को पक्का ही दाल में काला लगने लगेगा!
महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि एक प्रहसन
अमेरिका ने एक बे जे पी के समर्थक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्हें और पूरी पार्टी को महात्मा गाँधी से प्रेम दिखावा है? ईश्वर करे यह बात सच न हो? फिर शक काहे का हो?
जब एक पत्रकार से अमेरिका में बात हुई तो उन्होंने बताया कि महात्मा गाँधी के हत्यारे की प्रशंसा करने वाले और स्वयं आतंकी मामले में सालों सजा काटने वाली को संसद का टिकट देकर बी जे पी ने अपने माथे पर कलंक लगा दिया है. " यदि अफरा तफरी में बी जे पी ने यह निर्णय किया है तो जल्दी भूल सुधरे और पार्टी से निलंबित करे. वरना दोबारा पछताना न पड़े जैसे महात्मा गाँधी जी की ह्त्या के समय लगे इल्जाम से बचने में समय लगा था.
राज्य सदा किसी का नहीं होता। क्या मुखिया केवल विश्व की सिम्पेथी/हमदर्दी के लिए हमारे नेता नाटक कर रहे हैं और महात्मा गाँधी का झूठे ही नाम ले रहे हैं?
क्या विदेशी किसी साजिश की गंध है?
"एक चुनाव एक देश जैसी चीज से विदेशी किसी साजिश की बू तो नहीं दिखाई देती है पी एम मोदी के बयान में."
इसकी जांच कौन करे यदि यह सत्य निकला तो पुरस्कार किसी मिलेगा? बड़े प्रश्न हैं जो समय बतायेगा। भारत की जनता को सख्त और जागरूक होना पड़ेगा। भूखे रहकर भी देह के नाम और राष्ट्र के नाम पर बहला कर लिया वोट तभी तक मुमकिन है जब तक जनता साक्षर नहीं होती। इसी लिए किसी बी सरकार की नियति जनता को साक्षर बनाने और सभी को उचित और जरूरत पड़ने पर स्वास्थ लाभ देने की नहीं है.
बिहार में 130 बच्चे मरे पर घोषणाओं के सिवाय कुछ नहीं
केंद्रीय स्वास्थ मंत्री ने 2014 में उसी मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल में दौरा किया और घोषणा की पर कुछ नहीं हुआ. आज फिर दौरा किया और घोषणा की जहाँ सौ से अधिक बच्चे मरे थे
क्या देश के बच्चों को उन्हें प्यार नहीं है?
अभी 130 बच्चे मरे हैं. कोई उचित कार्यवाही नहीं की गयी है बस टी वी पर इंटरव्यू और घोषणा की गयी है.
समस्या अभी है और घोषणाओं का असर अगर हुआ तो साल भर बाद ही संभावना दिखेगी। "कितने निर्दयी और बेशरम हैं हम कोई भारत के इन नेताओं से सीखे" यह अस्पातल के सामें लोग धरना देते हुए कह रहे हैं.
150 चिकित्सकों की जरूरत वाला अस्पताल 50 डाक्टरों की सहायता से चल रहा है.
चुनाव की रैलियों के लिए जिनसे बी जे पी ने पैसा लिया था उसी तरह पैसा लेकर देश की सेवा में लगाए पर क्या यह संभव नहीं है क्योकि किसी तरह से चुनाव जीत लिया? उत्तर तो वही दे सकते हैं जो चुने गए हैं और इस लेनदेन की साठगांठ में निर्लिप्त हैं या नहीं वही जाने?.
जिस साजिश को हमने दुनिया में दूसरे देशों में देखा क्या यह धीरे-धीरे सत्ताधारियों के जरिये हमारे देश में समस्या में फंस रहे हैं कहीं भारत को तो नहीं फंसा रहे हमारे नेता? उनकी जांच कौन करे पर आप सभी नजर रखिये। सच क्या है झूठ क्या है यह समय बताएगा हम तो आगाह कर रहे हैं.
पूरी दुनिया में न्याय हो और भाई चारा बढ़े. पर बहुत से लोग शक कर रहे हैं कि धर्मों के नाम पर ध्रुवीकरण बढ़ेगा।
आशा है कि सभी कुछ ठीक हो. मैं आशा वादी हूँ पर भारत में करप्शन के कारण किस पर विश्वास करें और किस पर नहीं करें?
भारत एक लोकतंत्र देश है. 21 राजनीतिक पार्टियों के विरोध के बाद भी सरकार चुनाव में ए वी एम मशीन का प्रयोग मतदान में करती है. हम कितना लोकतंत्र को मानते हैं. सवाल का जवाब देना सीखा ही नहीं वरन जबान बंद करने को कहते हैं. गौतम गंभीर जो नए -नए सांसद बने थे उन्होंने एक अन्याय की घटना पर टिप्पणी की तो अनुपम खेर ने उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से रोका।
अरे भाई चूड़ियाँ पहन कर बैठने और मौन व्रत रखने को किसने कहा है? राजनीति में तो कम से कम न आओ जब जनता की आवाज नहीं उठा सकते।
लगता है किसी की हमारे देश और राजनीति पर गहरी नजर है और वह यहाँ पैसे से राजनीतिज्ञों की मदद कर रहा है.
राहुल जी अम्बानी जी पर दोष लगाते रहे पर अकेले अम्बानी पर दोष देना ठीक नहीं और भी लोग या शक्तियां हैं. पर जब लोग टूटेंगे या तोड़े जाएंगे लालच में तब पता चलेगा कि दाल में काला क्या है.
बिना लहर के मोदी कैसे जीते?
सबसे बड़ी बात तो यह दिखती है कि बिना लहर के बी जे पी इतने बड़े बहुमत से जीत जाती है जनता चूँ नहीं बोलती, नेता मौन हो जाते हैं। पहले से ही दो सौ से अधिक वर्तमान संसद में अपराधी छवि वाले हैं (बेशक सजा नहीं काट रहे हों). सरकार ने विपक्ष की ए वी एम वोट की मशीन में पुर्ची का मिलान करने से पूर्व मना कर दिया। यदि ए वी मशीन में गड़बड़ी नहीं हुई फिर जांच क्यों नहीं होने दी गयी?
बी जे पी और अन्य पार्टी के पास चुनाव और रैलियों के पैसे कहाँ से आये? अम्बानी ने तो इतने पैसे नहीं दिए हैं और कहीं से साथ-गाँठ लगती है. कौन हिम्मत करेगा पता लगाने की और जांच कराने की. जब आपस में खींचतान बढ़ेगी तभी पता चलेगा।
केवल प्रधानमंत्री ही विदेश यात्रा पर क्यों, उनके साथ या अकेले विदेश मंत्री क्यों नहीं?
भारतीय संसद में जो सदस्य हैं वह मौन व्रत के लिए क्यों हैं. क्या वह सरकार और पूरी संसद की कार्यवाही और अपने विचार अगर नहीं रखते तो जनता को पक्का ही दाल में काला लगने लगेगा!
महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि एक प्रहसन
अमेरिका ने एक बे जे पी के समर्थक कार्यकर्ता ने कहा कि उन्हें और पूरी पार्टी को महात्मा गाँधी से प्रेम दिखावा है? ईश्वर करे यह बात सच न हो? फिर शक काहे का हो?
जब एक पत्रकार से अमेरिका में बात हुई तो उन्होंने बताया कि महात्मा गाँधी के हत्यारे की प्रशंसा करने वाले और स्वयं आतंकी मामले में सालों सजा काटने वाली को संसद का टिकट देकर बी जे पी ने अपने माथे पर कलंक लगा दिया है. " यदि अफरा तफरी में बी जे पी ने यह निर्णय किया है तो जल्दी भूल सुधरे और पार्टी से निलंबित करे. वरना दोबारा पछताना न पड़े जैसे महात्मा गाँधी जी की ह्त्या के समय लगे इल्जाम से बचने में समय लगा था.
राज्य सदा किसी का नहीं होता। क्या मुखिया केवल विश्व की सिम्पेथी/हमदर्दी के लिए हमारे नेता नाटक कर रहे हैं और महात्मा गाँधी का झूठे ही नाम ले रहे हैं?
क्या विदेशी किसी साजिश की गंध है?
"एक चुनाव एक देश जैसी चीज से विदेशी किसी साजिश की बू तो नहीं दिखाई देती है पी एम मोदी के बयान में."
इसकी जांच कौन करे यदि यह सत्य निकला तो पुरस्कार किसी मिलेगा? बड़े प्रश्न हैं जो समय बतायेगा। भारत की जनता को सख्त और जागरूक होना पड़ेगा। भूखे रहकर भी देह के नाम और राष्ट्र के नाम पर बहला कर लिया वोट तभी तक मुमकिन है जब तक जनता साक्षर नहीं होती। इसी लिए किसी बी सरकार की नियति जनता को साक्षर बनाने और सभी को उचित और जरूरत पड़ने पर स्वास्थ लाभ देने की नहीं है.
बिहार में 130 बच्चे मरे पर घोषणाओं के सिवाय कुछ नहीं
केंद्रीय स्वास्थ मंत्री ने 2014 में उसी मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल में दौरा किया और घोषणा की पर कुछ नहीं हुआ. आज फिर दौरा किया और घोषणा की जहाँ सौ से अधिक बच्चे मरे थे
क्या देश के बच्चों को उन्हें प्यार नहीं है?
अभी 130 बच्चे मरे हैं. कोई उचित कार्यवाही नहीं की गयी है बस टी वी पर इंटरव्यू और घोषणा की गयी है.
समस्या अभी है और घोषणाओं का असर अगर हुआ तो साल भर बाद ही संभावना दिखेगी। "कितने निर्दयी और बेशरम हैं हम कोई भारत के इन नेताओं से सीखे" यह अस्पातल के सामें लोग धरना देते हुए कह रहे हैं.
150 चिकित्सकों की जरूरत वाला अस्पताल 50 डाक्टरों की सहायता से चल रहा है.
चुनाव की रैलियों के लिए जिनसे बी जे पी ने पैसा लिया था उसी तरह पैसा लेकर देश की सेवा में लगाए पर क्या यह संभव नहीं है क्योकि किसी तरह से चुनाव जीत लिया? उत्तर तो वही दे सकते हैं जो चुने गए हैं और इस लेनदेन की साठगांठ में निर्लिप्त हैं या नहीं वही जाने?.
जिस साजिश को हमने दुनिया में दूसरे देशों में देखा क्या यह धीरे-धीरे सत्ताधारियों के जरिये हमारे देश में समस्या में फंस रहे हैं कहीं भारत को तो नहीं फंसा रहे हमारे नेता? उनकी जांच कौन करे पर आप सभी नजर रखिये। सच क्या है झूठ क्या है यह समय बताएगा हम तो आगाह कर रहे हैं.
पूरी दुनिया में न्याय हो और भाई चारा बढ़े. पर बहुत से लोग शक कर रहे हैं कि धर्मों के नाम पर ध्रुवीकरण बढ़ेगा।
आशा है कि सभी कुछ ठीक हो. मैं आशा वादी हूँ पर भारत में करप्शन के कारण किस पर विश्वास करें और किस पर नहीं करें?
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