गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

भारत के प्रधानमंत्रियों जिनसे मैं मिला। - - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla























आज इंदिरा गांधी जी का शहीदी दिवस है उन्हें  कोटि-कोटि नमन 
इंदिरा जी 31 अक्टूबर 1984 को अपने ही अंगरक्षक द्वारा देश के लिए और राष्ट्रीय एकता के लिए शहीद हो गयीं।
मुझे अनेकों भारतीय प्रधानमंत्रियों से मिलने का अवसर मिला है जिनमें मुख्य हैं:

 भारत के प्रधानमंत्रियों जिनसे मैं मिला। 
पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों में मिला हूँ और उनके विचार सुने हैं वे हैं: इंद्र कुमार गुजराल, चंद्रशेखर, पी वी नरसिम्हा राव और  विश्वनाथ प्रताप सिंह जी.
प्रधानमंत्री बनने से पहले भारतीय प्रवासी दिवस में दो बार नरेंद्र मोदी और एक बार चंद्र शेखर जी से लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी से मिला हूँ और हाथ मिलाया है.
प्रधानमंत्री पद पर होते हुए जिन भारतीय प्रधानमंत्रियों से मिला हूँ वे हैं महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी बाजपेयी। अटल बिहारी बाजपेयी जी से मिलाने का श्रेय श्री भीष्म नारायण सिंह और उनसे परिचय कराया लक्ष्मीमल सिंघवी जी ने प्रवासी भारतीय दिवस दिल्ली में।
तब अटल जी एक सोफे पर बैठे थे उनके घुटने में तकलीफ थी.
- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 31 अक्टूबर 2019.

सरदार पटेल ने जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया - Suresh Chandra Shukla



På bilde fra venstre, Nehru, Mahatma Gandhi og Patel.
भारत के पहले उप प्रधानमन्त्री बल्लभ भाई बल्ल्भ पटेल जी की जयंती 
पर कोटि -कोटि नमन.
सरदार पटेल ने जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया. नेहरू ने उनके दोनों ही बच्चों को संसद में भेजा.
प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू जी ने पटेल जी के बच्चों को मदद देकर राजनीति में लाये.
रोचक लेख के लिए प्रतिष्ठित पत्रकार, देशबन्धु राष्ट्रीय समाचार पत्र के राजनैतिक सम्पादक शेष नारायण सिंह जी का आभार.
सरदार पटेल ने जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया. नेहरू ने उनके दोनों ही बच्चों को संसद में भेजा.
सरदार पटेल के दो बच्चे थे. मणिबहन पटेल उनकी बेटी थीं. और डाह्याभाई उनके बेटे थे. सरदार पटेल की मृत्यु के बाद जवाहरलाल नेहरू ने उनके दोनों ही बच्चों को संसद में भेजा .मणिबहन पटेल दक्षिण कैरा लोकसभा सीट से १९५२ में और आनंद सीट से १९५७ में कांग्रेस के टिकट पर चुनी गयीं . १९६२ में गैप हो गया तो जवाहरलाल ने उनको छः साल के लिए राज्य सभा की सदस्य के रूप में निर्वाचित करवाया . अपनी बेटी इंदिरा गांधी को उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी भी चुनाव लड़ने का टिकट नहीं मिलने दिया जबकि इंदिरा गांधी बहुत उत्सुक रहती थीं. जवाहरलाल की मृत्यु के बाद ही उनको संसद के दर्शन हुए . कामराज आदि भजनमंडली वालों ने इंतज़ाम किया .मणिबहन ने इमरजेंसी का विरोध किया और जनता पार्टी की टिकट पर मेहसाना से १९७७ में चुनाव जीतीं , वह बहुत ही परिपक्व राजनीतिक कार्यकर्ता थीं. उन्होंने १९३० में सरदार की सहायक की भूमिका स्वीकार की और जीवन भर अपने पिता के साथ ही रहीं .यह बात जवाहरलाल ने एक से अधिक अवसरों पर कहा और लिखा है .मणिबहन के नाम पर ही वह शहर बसा है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था.
सरदार पटेल की दूसरी औलाद डाह्याभाई पटेल थे जो बंबई में एक बीमा कंपनी में काम करते थे . वे मणिबहन से तीन साल छोटे थे . जब सरदार पटेल उप प्रधानमंत्री बने तो उनके सेठ ने डाह्याभाई को किसी काम से दिल्ली भेजा . सरदार पटेल ने शाम को खाने के समय अपने बेटे डाह्याभाई को समझाया कि जब तक मैं यहाँ काम कर रहा हूँ , तुम दिल्ली मत आना . वे भी कांग्रेस की टिकट पर १९५७ और १९६२ में लोक सभा के सदस्य रहे . बाद में १९७० में राज्य सभा के सदस्य बने और मृत्युपर्यंत रहे .
यह सूचना उन लोगों के लिए है जो अक्सर कहते पाए जाते हैं कि जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल के बच्चों को अपमानित किया था या उनको ज़रूरी महत्व नहीं दिया था .
- शेष नारायण सिंह

बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

यूरोपीय संघ के सांसदों का कश्मीरी दौरा यूरोपीय वैध नहीं है - NDTV

यूरोपीय संघ के सांसदों का कश्मीरी दौरा यूरोपीय यूनियन का दौरा नहीं है.वैध नहीं है.
https://www.youtube.com/watch?v=ePKZ5BEB3ew



रविवार, 27 अक्टूबर 2019

नौ लाख जो मरे भूख से, उनके लिए भी दीप जलाना। -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

नौ लाख जो मरे भूख से, उनके लिए भी दीप जलाना।
जिन के घर में भरा अँधेरा, उनके घर भी दीप जलाना।। 
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आत्महत्या क्यों रहे तीन कृषक रोज महाराष्ट्र में,
पांच हजार बलात्कार (उ प्र) वह भी एक छमाहीं,
राम और रावण मिलकर जनता का संहार कर रहे.
नर संहार में मारे गये आदिवासियों की करें पैरवी।

सीरिया में तीन तरफ़ा हमले, कैसे जन विश्वास करें?
इथोपिया, इरीथेरिया और सोमालिया में जन संघर्ष?
शक्ति धर्म के नाम पर लहू बहाते अपने-गैरों का,
नेपाल, बंगलादेश और बर्मा, कितनी ग़ुरबत झेल रहे.

सरकार क्यों गरीब और अमीर को लड़ा रही है?
जिनके घर में नहीं हैं खाने, उनके बर्तन बेच रही.
सरकार जो बेच रही सार्वजनिक सम्पत्ति राष्ट्र की ,
उसे दोबारा वापस लाना, अब जनता की मजबूरी है.

बड़े उद्योग तुम्हें मुबारक, स्मार्ट सिटी बहलावा है.
बिन जनता से पूछे निर्णय, जनता से बड़ा छलावा है.
फिर से गाँवों में लौटेंगे, सहकारी नीति अपनाएंगे।
गाँव-गाँव से नेतागिरी को, हम कोसों दूर भगायेंगे।

अब गांधीवादियों को फिर से शाखायें लगाना है.
श्रमदान, प्रबंधन खेती का घर-घर बाग़ लगाना है.
क्षद्म राष्ट्रवादी धंधों से, बच्चों को बहुत बचाना है.
संयुक्त परिवार का खाका, जनता तक पहुँचाना है.

निजी स्कूल हर गाँव में खुलेंगे, मालिक अविभावक होंगे।
रोग से परहेज करेंगे, गॉंव से शराबखाने हम बंद करेंगे।
सम्बन्ध अब रक्त से नहीं चलेंगे, न जात-पात के धन्धों से.
सभी दिव्यांगों को मिले नौकरी, बचें आँख के अंधों से.

गरीब का कर्जा माफ़ करेंगे, अमीरों से कर ज्यादा लेंगे।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा आम करेंगे।
रैलियों पर प्रतिबन्ध, विज्ञापन: नेता-चित्रों से मुक्त रहेगा।
कामगार-सरकारें मिलकर सार्वजनिक उद्योग संभालेंगे।





 

शनिवार, 26 अक्टूबर 2019

जो दूसरों को खिलाता था वह आज भटक गया है? - - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

जो दूसरों को खिलाता था वह आज भटक गया है?


पेड़ पर चिड़िया चहचहा रही हैं.
अपने जीवन की तार जोड़ रही हैं
आपस में  कर रही है सवाल
ये आदमी पेड़ में फँस गया है
बेजान न जाने कब से पेड़ पर झूल रहा है?

एक चिड़िया ने कहा
आओ इसे पेड़ से मुक्त करायें?
घर आये मेहमान को सहलायें।
दूसरी चिड़िया बोली
मैं दाना लेकर गयी थी
उसके लटके मुँह पर डाला
पर वह नजर नहीं उठा पाया।

आओ मिलकर चहचचायें,
लोगों को बतायें।
एक चिड़िया बोली, मैं इसे जानती हूँ
इसके साथ खेतों में चुने हैं दाने।
इसके आँगन में गयी
फुदक-फुदक कर खाने।

जो दूसरों को खिलाता था
वह आज भटक गया है?
घर से दूर आज
इस पेड़ में लटक गया है.

लोकसभा टी वी - सुरेशचन्द्र शुक्ल, एक विदेश में रहने वाले भारतीय लेखक का साक्षात्कार।

लोकसभा टी वी - सुरेशचन्द्र शुक्ल, एक विदेश में रहने वाले भारतीय लेखक का साक्षात्कार।
Interveue Loksabha TV- Suresh Chandra Shukla

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

महराष्ट्र में कॉर्पोरेटरों और सरकार को धनतेरस की बधाई - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

महराष्ट्र में धनतेरस की बधाई 
- सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

महाराष्ट्र में जनता ने सरकार बनवायी,
सरकार ने  कार्परेटरों के लिए
धनतेरस और दीवाली बनायी
जनता हाथ मल रही है,
जिताकर फिर से जनता हार गयी है?
नैतिकता और सत्य का गला घुट रहा है
नेता का हौंसला बढ़ रहा 
जनता की उम्र कम हो रही है.
हाँ यह भारतीय प्रजातंत्र है?
जहाँ सभी बच्चे स्कूल नहीं जाते?
साक्षरता, बच्चों की शिक्षा  पर
कार्पोरेटर और सरकार मौन वृत है?
देश की सार्वजानिक प्रॉपर्टी की
नीलामी और टेंडर भी नहीं?
केवल अपने चहेतों को स्थान्तरित हो रही हैं?
इसी तरह रामराज्य की स्थापना हो रही है?

आज धनतेरस है,
जनता ने महाराष्ट्र में दोबारा सरकार बनाकर,
सरकार को दिया है तोहफा।
सरकार ने आत्महत्या कर रहे किसानों को
कर दिया अनदेखा।

गरीबों की मृत्यु पर तुम्हारा जश्न
नैतिकता से उसे कुचलना जारी है.
तुम्हारी विजय जनता की लाचारी है.

सरकार सोचती है चुनाव के पहले
सरकार का दलबदल अभियान
जनता जाएगी भूल
नए नाम से उसे चुभाने आएंगे शूल.
जनता को मरने-मिटने पर
खुद राज्य मिलने पर नेता-सेनापति
झोक रहे हैं जनता की आँखों में धूल..

दलबदल  का ठेका
शक्ति से निपटने का सरकारी दाँव,
विपक्षी को फँसाने का हथियार
खुले आम वार कर रहे हैं?
सभी अपनी पारी का
इन्तजार कर रहे हैं?
                        -सुरेशचन्द्र शुक्ल, लेखक, ओस्लो





गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही है - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही है 
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 24.10.19 
 
 कितना ताकतवर है वह कि जिसके
भड़काने पर क्यों क्रूर बन जाते हैं लोग?
जब भीड़ हत्यारी बन जाती है
तब लोग किस पर विश्वास करें?

सीरिया में शक्ति के लिए
जन संघर्ष से लेकर सेनाओं का विलय
हमले जारी हैं, जनता वही है
पर सेनायें अपनी भी और बाहरी भी.
जैसे राम और रावण की सेनायें मिलकर
जनता को कुचल रही हैं.

देश के लोग किस पर विश्वास करें?
खाली पेट अपने मालिकों पर
जो उनके वेतन नहीं दे रहे हैं?
भारतीय बैंकों की तरह
जो जनता का हक़ और
उनका पैसा वापस नहीं दे रहे?

जनता ने चुना जिसे, बहुमत से सरकार
उसे जनता की नहीं है दरकार?
यदि जनता की सहायता करेगी,
तो एलीट वर्ग ठगा महसूस करेगा।
जनता से लूट कर कैसे अपना घर भरेगा?

सरकार खुद क्या कमायेगी?
जब जनता के वायदे निभायेगी?
वायदा बहुमत जनता से
निभाती है एक वर्ग से
उसके उच्चवर्ग का सर्वोपरि है धन
और जनता है गेहूँ में घुन?

खेतों की ठूंठ जब तक खाद बनेगी,
उससे पहले खेत में आत्महत्याएँ होंगी?
महाराष्ट्र राज्य में ही एक दिन में तीन-तीन
किसान आत्महत्या करते हैं?
उस देश के प्रधानमंत्री चुनाव में
अपनी जीत का ढिंढोरा पीट रहे हैं.

भारत में कब से जनता हार रही है.
बैंक खाली हो रहे हैं.
जनता से पूछे बिना
सार्वजनिक सम्पत्ति राष्ट्रवादी बेचने लगे हैं
विरोधियों के गले देशद्रोही का खिताब
मढ़ने लगे हैं.

जनता का अखबार विद्रोही हो गया है,
अपने पाठकों के खिलाफ
उनके घरों में घुसकर उन्हें चुप करा रहा है.
सड़कें सुनसान है.
बिना शोरगुल के
अंतिम संस्कार में लोग भाग ले रहे हैं.

 दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही
सेकुलर और समाजवादी मारे जा रहे हैं
न शोर न विरोध
चारो तरफ सरकारी रामराज्य है
गायें चारों पर घूम कर प्लास्टिक खाकर
गरीबतर आदमी फांकें खाकर जान दे रहा है?

देश में सब शान्ति है?
रात बीतने का इन्तजार
फिर दिन बिताने को बोझ लिए
समय चक्र चौबीस घंटों में बंट गया है.



सोमवार, 21 अक्टूबर 2019

ओस्लो में महात्मा गाँधी जी जयन्ती ऐतिहासिक दिन Mahatma Gandhis 150th years celebration in Oslo- सुरेसचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


















ओस्लो में महात्मा गाँधी जी जयन्ती ऐतिहासिक दिन
मेरे लिये यह विशिष्ट दिन था। जब पचास साल पहले 1969 को मैंने महात्मा गाँधी जी की जन्म शताब्दी में अपने प्रिय विद्यालय 'गोपीनाथ लक्ष्मण दास रस्तोगी महाविद्यालय, ऐशबाग, लखनऊ में नौवीं कक्षा के छात्र के रूप में भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया था। 
यहाँ भारतीय दूतावास ओस्लो द्वारा आयोजित गाँधी जी की 150वीं जयन्ती के कार्यक्रम में मैंने अपनी महात्मा गाँधी पर स्वरचित नार्वेजीय कविता का पाठ किया और 50 साल पहले अपने विद्यालय में गाँधी जी की अहिंसा पर अपना भाषण देने का अवसर मिला था।  दोनों बार महात्मा गाँधी जी की आत्मकथा की पुस्तक अन्य उपहारों के साथ मिली। 
प्रवासी भारतीय दिवस में महात्मा गाँधी जी के चित्र के साथ चरखा भी मिला था। 
महात्मा गाँधी जी मेरे साथ-साथ विश्व के अनेक बड़े महान व्यक्तियों के लिए प्रेरणा रहे हैं।
ओस्लो में शान्ति के लिए दुनिया का सबसे बड़ा नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया जाता है। 
अपने पत्रकार पेशे के कारण दो दर्जन से अधिक नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह में सम्मिलित हुआ हूँ।  मुझे बहुत से नोबेल पुरस्कार विजेताओं के मुख से उनके अपने नोबेल भाषणों में महात्मा गाँधी की प्रशंसा सुनी और अनेकों ने उन्हें अपनी प्रेरणा बताया था।
2006 में नार्वेजीय नोबेल कमेटी के सचिव/सेक्रेट्री गाइर लुन्दस्ताद ने महात्मा गाँधी जी को नोबेल पुरस्कार नहीं दिये जाने पर खेद जताया और कहा कि महात्मा गाँधी जी के बिना नोबेल कमेटी कुछ नहीं कर सकता। उनका इशारा नोबेल पुरस्कार दिये जाने की शर्तों में गाँधी जी के सिद्धांत निहित हैं।

गाँधी जी की 150वीं जयंती लिटरेचर हाउस ओस्लो में मनायी गयी जिसका आयोजन भारतीय दूतावास ओस्लो ने किया था जिसमें मैंने भी गाँधी जी पर स्वरचित कविता नार्वेजीय भाषा में सुनायी।
नार्वे की विदेश विभाग की डायरेक्टर लीसा गोल्डेन, पूर्व मंत्री और पूर्व संयुक्त राष्ट्र में उपसचिव एरिक सूलहाइम, प्रोफेसर असीम दत्तोराय और फ्रांक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि दुनिया के सभी स्कूलों में गाँधी जी की जीवनी और सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया जाना चाहिये।
एरिक सूलहाइम ने आज आर्थिक संकट के समय गाँधी जी के लघु और गृह  उद्योग को भारत के लिए एक विकल्प बताया और कहा जवाहर लाल नेहरू जी बड़े उद्योगों के पक्ष धर थे जिसने भारत को बड़े उद्योगों का देश बनाया। 
चित्र में बायें से स्वयं मैं, नार्वे के पूर्व मंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ में कार्य कर चुके एरिक सूलहाइम और भारतीय दूतावास के अमर जीत जी।



शनिवार, 19 अक्टूबर 2019

हम गाँव न बिकने देंगे अपने गाँव बचायेंगे - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 19.10.19

 
हम गाँव न बिकने देंगे, अपने गाँव बचायेंगे 
वोट के हम दीवाने हैं, पर उनको नहीं जितायेंगे।
जो जन-जन को लड़वाकर, अपना राज चलायेंगे।।
पारदर्शिता दूर खड़ी है,
न जाने किस दरवाजे पर.
अपने घर को फूक तमाशा,
जिनके पहले भरे हुए घर ।।
देश के सारे नेता मिलकर, कब अपना देश सजायेंगे।
हम अच्छे और वे गंदे हैं, क्या अब तोते पाठ पढ़ायेंगे?
सरकारी फोन कम्पनी बेचा,
देश का खून लगा जिसमें?
अपने घर में देश भिखारी,
घाव में नमक दिया तुमने।।
गाँवों को बेचने की बारी है, उठो मिल गाँव बचायेंगे।
जनता के दुश्मन के नेता से, हम ईज्जत कैसे बचायेंगे?
देशभक्त के नाम के पीछे,
कौन सी चाल बताओ तुम?
जो जनता भूखी निरक्षर है,
उसके नहीं मतवाले तुम..
गली के कुत्ते तो बेहतर हैं, खाकर वे धर्म निभाते हैं.
देश में त्राहि-त्राहि मची है, वे सच को झूठ बताते हैं.. 
क्यों नहीं पूछा कामगरों से
भैया! कैसे रेल बचाएं हम?
तब वे अपने सब फंड लगाते,
रेल कर्मचारी मालिक होते तब.
बाहिष्कार अगर किया जनता ने, सरकार कहाँ रह पायेंगे?
कमर कसो ऐ देश वासियों,  हम फिर अपना नमक बनायेंगे
बुलेट ट्रेन का देकर सपना,
भारतीय रेल क्यों बेच दिया?
दुनिया में जो रेल का रुतबा,
न जाने क्यों मटियामेट किया?
देश के बैंक बंद (मर्ज) हो रहे, कुछ अमीर जो अमीर हो रहे.
जो इस देश में जितना कमायेगा, उनसे उतना टैक्स लिया जायेगा!
ओस्लो, 19.10.19

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

What is Article 370 of the Indian constitution? भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370


 

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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख था जो जम्मू और कश्मीर को स्वायत्तता का दर्जा देता था।[1][2] संविधान के भाग XXI में लेख का मसौदा तैयार किया गया है: अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान।[3] जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन लेखों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए। बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थायी विशेषता माना गया।
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम २०१९ पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान का अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया गया । जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाली केंद्रशासित क्षेत्र होगा।
What is Article 370 of the Indian constitution?


Article 370 of the Indian constitution gave special status to Jammu and kashmir a state in India. located in the northern part of the Indian subcontinent, and a part of the larger region of Kashmir.
The article 370 was drafted in Part XXI of the Constitution: Temporary, Transitional and Special Provisions.
On 5 August 2019, President of India Ram Nath Govind issued a constitutional order superseding the 1954 order, and making all the provisions of the Indian constitution applicable to Jammu and Kashmir based on the resolution passed in both houses of India's parliament with 2/3 majority] Following the resolutions passed in both houses of the parliament, he issued a further order on 6 August declaring all the clauses of Article 370 except clause 1 to be inoperative.
Kilder: Wikkipedia