रविवार, 27 अक्टूबर 2019

नौ लाख जो मरे भूख से, उनके लिए भी दीप जलाना। -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

नौ लाख जो मरे भूख से, उनके लिए भी दीप जलाना।
जिन के घर में भरा अँधेरा, उनके घर भी दीप जलाना।। 
-सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आत्महत्या क्यों रहे तीन कृषक रोज महाराष्ट्र में,
पांच हजार बलात्कार (उ प्र) वह भी एक छमाहीं,
राम और रावण मिलकर जनता का संहार कर रहे.
नर संहार में मारे गये आदिवासियों की करें पैरवी।

सीरिया में तीन तरफ़ा हमले, कैसे जन विश्वास करें?
इथोपिया, इरीथेरिया और सोमालिया में जन संघर्ष?
शक्ति धर्म के नाम पर लहू बहाते अपने-गैरों का,
नेपाल, बंगलादेश और बर्मा, कितनी ग़ुरबत झेल रहे.

सरकार क्यों गरीब और अमीर को लड़ा रही है?
जिनके घर में नहीं हैं खाने, उनके बर्तन बेच रही.
सरकार जो बेच रही सार्वजनिक सम्पत्ति राष्ट्र की ,
उसे दोबारा वापस लाना, अब जनता की मजबूरी है.

बड़े उद्योग तुम्हें मुबारक, स्मार्ट सिटी बहलावा है.
बिन जनता से पूछे निर्णय, जनता से बड़ा छलावा है.
फिर से गाँवों में लौटेंगे, सहकारी नीति अपनाएंगे।
गाँव-गाँव से नेतागिरी को, हम कोसों दूर भगायेंगे।

अब गांधीवादियों को फिर से शाखायें लगाना है.
श्रमदान, प्रबंधन खेती का घर-घर बाग़ लगाना है.
क्षद्म राष्ट्रवादी धंधों से, बच्चों को बहुत बचाना है.
संयुक्त परिवार का खाका, जनता तक पहुँचाना है.

निजी स्कूल हर गाँव में खुलेंगे, मालिक अविभावक होंगे।
रोग से परहेज करेंगे, गॉंव से शराबखाने हम बंद करेंगे।
सम्बन्ध अब रक्त से नहीं चलेंगे, न जात-पात के धन्धों से.
सभी दिव्यांगों को मिले नौकरी, बचें आँख के अंधों से.

गरीब का कर्जा माफ़ करेंगे, अमीरों से कर ज्यादा लेंगे।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की सुरक्षा आम करेंगे।
रैलियों पर प्रतिबन्ध, विज्ञापन: नेता-चित्रों से मुक्त रहेगा।
कामगार-सरकारें मिलकर सार्वजनिक उद्योग संभालेंगे।





 

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