हम गाँव न बिकने देंगे, अपने गाँव बचायेंगे
वोट के हम दीवाने हैं, पर उनको नहीं जितायेंगे।
जो जन-जन को लड़वाकर, अपना राज चलायेंगे।।
पारदर्शिता दूर खड़ी है,
न जाने किस दरवाजे पर.
अपने घर को फूक तमाशा,
जिनके पहले भरे हुए घर
।।
देश के सारे नेता मिलकर, कब अपना देश सजायेंगे।
हम अच्छे और वे गंदे हैं, क्या अब तोते पाठ पढ़ायेंगे?
सरकारी फोन कम्पनी बेचा,
देश का खून लगा जिसमें?
अपने घर में देश भिखारी,
घाव में नमक दिया तुमने।।
गाँवों को बेचने की बारी है, उठो मिल गाँव बचायेंगे।
जनता के दुश्मन के नेता से, हम ईज्जत कैसे बचायेंगे?
देशभक्त के नाम के पीछे,
कौन सी चाल बताओ तुम?
जो जनता भूखी निरक्षर है,
उसके नहीं मतवाले तुम..
गली के कुत्ते तो बेहतर हैं, खाकर वे धर्म निभाते हैं.
देश में त्राहि-त्राहि मची है, वे सच को झूठ बताते हैं..
क्यों नहीं पूछा कामगरों से
भैया! कैसे रेल बचाएं हम?
तब वे अपने सब फंड लगाते,
रेल कर्मचारी मालिक होते तब.
बाहिष्कार अगर किया जनता ने, सरकार कहाँ रह पायेंगे?
कमर कसो ऐ देश वासियों, हम फिर अपना नमक बनायेंगे
बुलेट ट्रेन का देकर सपना,
भारतीय रेल क्यों बेच दिया?
दुनिया में जो रेल का रुतबा,
न जाने क्यों मटियामेट किया?
देश के बैंक बंद (मर्ज) हो रहे, कुछ अमीर जो अमीर हो रहे.
जो इस देश में जितना कमायेगा, उनसे उतना टैक्स लिया जायेगा!
ओस्लो, 19.10.19
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