नार्वे से प्रकाशित स्पाइल-दर्पण का 2019 का अंक 2 अवलोकनार्थ
ओस्लो, नार्वे से गाठ 31 वर्षों से हिन्दी पत्रिका स्पाइल-दर्पण जाने-माने साहित्यकार नाटककार सुरेशचंद्र शुक्ल के सम्पादन में छप रही है. देश -विदेश के लेखकों, हिंदी प्रेमियों और पाठकों द्वारा यह मांग की जा रही थे कि स्पाइल-दर्पण नेट पर उपलब्ध क्यों नहीं है?
इसे देखते हुए अभी इस ब्लॉग में बाद में आपके सहयोग से स्वतन्त्र रूप में नेट पर प्रकाशित करेंगे, अभी हम दो अंक अवलोकनार्थ दे रहे हैं ताकि पाठकों को पता चले कि विदेशों में हिन्दी की पत्रिकायें, उनक स्वरूप और सामग्री। कृपया अपनी प्रतिक्रियायें या इसे बेहतर करने का सुझाव हो तो निसंकोच नीचे दिए ई मेल पर दीजियेगा।
सुपरिचित कथाकार, नाटककार सुरेशचंद्र शुक्ल के सम्पादन में द्विभाषी, द्वैमासिक (हिन्दी और नार्वेजीय भाषा) में स्पाइल-दर्पण छप रही है.
ओस्लो, नार्वे से गाठ 31 वर्षों से हिन्दी पत्रिका स्पाइल-दर्पण जाने-माने साहित्यकार नाटककार सुरेशचंद्र शुक्ल के सम्पादन में छप रही है. देश -विदेश के लेखकों, हिंदी प्रेमियों और पाठकों द्वारा यह मांग की जा रही थे कि स्पाइल-दर्पण नेट पर उपलब्ध क्यों नहीं है?
इसे देखते हुए अभी इस ब्लॉग में बाद में आपके सहयोग से स्वतन्त्र रूप में नेट पर प्रकाशित करेंगे, अभी हम दो अंक अवलोकनार्थ दे रहे हैं ताकि पाठकों को पता चले कि विदेशों में हिन्दी की पत्रिकायें, उनक स्वरूप और सामग्री। कृपया अपनी प्रतिक्रियायें या इसे बेहतर करने का सुझाव हो तो निसंकोच नीचे दिए ई मेल पर दीजियेगा।
सुपरिचित कथाकार, नाटककार सुरेशचंद्र शुक्ल के सम्पादन में द्विभाषी, द्वैमासिक (हिन्दी और नार्वेजीय भाषा) में स्पाइल-दर्पण छप रही है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें