दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही है
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 24.10.19
कितना ताकतवर है वह कि जिसके
भड़काने पर क्यों क्रूर बन जाते हैं लोग?
जब भीड़ हत्यारी बन जाती है
तब लोग किस पर विश्वास करें?
सीरिया में शक्ति के लिए
जन संघर्ष से लेकर सेनाओं का विलय
हमले जारी हैं, जनता वही है
पर सेनायें अपनी भी और बाहरी भी.
जैसे राम और रावण की सेनायें मिलकर
जनता को कुचल रही हैं.
देश के लोग किस पर विश्वास करें?
खाली पेट अपने मालिकों पर
जो उनके वेतन नहीं दे रहे हैं?
भारतीय बैंकों की तरह
जो जनता का हक़ और
उनका पैसा वापस नहीं दे रहे?
जनता ने चुना जिसे, बहुमत से सरकार
उसे जनता की नहीं है दरकार?
यदि जनता की सहायता करेगी,
तो एलीट वर्ग ठगा महसूस करेगा।
जनता से लूट कर कैसे अपना घर भरेगा?
सरकार खुद क्या कमायेगी?
जब जनता के वायदे निभायेगी?
वायदा बहुमत जनता से
निभाती है एक वर्ग से
उसके उच्चवर्ग का सर्वोपरि है धन
और जनता है गेहूँ में घुन?
खेतों की ठूंठ जब तक खाद बनेगी,
उससे पहले खेत में आत्महत्याएँ होंगी?
महाराष्ट्र राज्य में ही एक दिन में तीन-तीन
किसान आत्महत्या करते हैं?
उस देश के प्रधानमंत्री चुनाव में
अपनी जीत का ढिंढोरा पीट रहे हैं.
भारत में कब से जनता हार रही है.
बैंक खाली हो रहे हैं.
जनता से पूछे बिना
सार्वजनिक सम्पत्ति राष्ट्रवादी बेचने लगे हैं
विरोधियों के गले देशद्रोही का खिताब
मढ़ने लगे हैं.
जनता का अखबार विद्रोही हो गया है,
अपने पाठकों के खिलाफ
उनके घरों में घुसकर उन्हें चुप करा रहा है.
सड़कें सुनसान है.
बिना शोरगुल के
अंतिम संस्कार में लोग भाग ले रहे हैं.
दक्षिण पंथी लहर बढ़ रही
सेकुलर और समाजवादी मारे जा रहे हैं
न शोर न विरोध
चारो तरफ सरकारी रामराज्य है
गायें चारों पर घूम कर प्लास्टिक खाकर
गरीबतर आदमी फांकें खाकर जान दे रहा है?
देश में सब शान्ति है?
रात बीतने का इन्तजार
फिर दिन बिताने को बोझ लिए
समय चक्र चौबीस घंटों में बंट गया है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें