शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

Fwd: speil2013 ank 4

नार्वे से छपने वाली स्पाइल-दर्पण का नया अंक 
रोचक और सामयिक समाचारों और सूचनाओं के लिये पढ़िये स्पाइल-दर्पण 
वर्ष 2013 अंक 4
Speil 2014 Nr. 4
इस अंक में   I dette nr 
सांस्कृतिक समाचार, सचित्र समाचार, सम्पादक के नाम पत्र, कविता, लेख, कहानी, खेल समाचार और रोचक फ़िल्मी समाचार 
Nyheter fra India og Norge
आपको पत्रिका कैसी लगी, लिखिये।
speil.nett@gmail.com
सुरेशचन्द्र शुक्ल
Suresh Chandra Shukla
Editor, Speil
Post Box 31, Veitvet
0518 Oslo
Norway  
   



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शनिवार, 30 नवंबर 2013

नार्वे में राजेन्द्र यादव पर शोक सभा - Suresh Chandra Shukla

नार्वे में राजेन्द्र यादव पर शोक सभा

30 नवम्बर ओस्लो (नार्वे)
नयी कहानी के प्रणेता और हंस के सम्पादक राजेन्द्र यादव की स्मृति में एक शोक सभा ओस्लो में संपन्न हुई जिसमें
राजेंद्र यादव के अभूतपूर्व योगदान की चर्चा की गयी. सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने बताया कि वह राजेन्द्र यादव को नार्वे आमंत्रित करना चाहते थे.
शोकसभा में माया भारती ने अपनी कविता से श्रद्धांजलि दी. हिंदी स्कूल की प्रधानाचार्य संगीता शुक्ल सीमोनसेन ने भी शोक व्यक्त किया।  शोक सभा का आयोजन भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम द्वारा किया गया था.
अलका भारत, जावेद भट्टी, राज कुमार, अनुराग विद्यार्थी ने भी अपने विचार प्रगट किये।  भारतीय दूतावास के सिलेश कुमार ने भी राजेंद्र यादव को एक बड़ा कहानीकार बताया। 

हिंदी स्कूल नार्वे में राजेन्द्र यादव श्रद्धांजलि 

हिंदी स्कूल में हुई शिक्षार्थियों और अध्यापकों की सभा में सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने राजेन्द्र यादव के जीवन पर प्रकाश डाला।  'शरद आलोक' ने कहा कि पहले हम हँस को मुंशी प्रेमचन्द से जोड़ते थे अब राजेंद्र यादव जी भी उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की तरह ही हंस को नयी पहचान दी. हिंदी स्कूल की प्रधानाचार्य संगीता शुक्ल सीमोनसेन ने राजेंद्र यादव के बारे में पाठयक्रम में सम्मिलित करने की बात कही. हिंदी स्कूल की शोकसभा में नार्वे के जाने-माने पेंटर दाग हूल भी उपस्थित थे. अध्यापिकाओं में तरु  वांगेन, श्रीमती मंजू और सपना रस्तोगी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।   उन्होंने कहा कि विदेशों में भारतीय संस्थाओं को अपने लेखकों के बारे में अधिक जानना और बताना चाहिए ताकि नयी पीढ़ी भी उनके बारे में जान सके और उनके साहित्य  को पढ़ने में रूचि जागे।
                                                                          - नार्वे से माया भारती

रविवार, 24 नवंबर 2013

स्पाइल-दर्पण (विदेशों में हिंदी पत्रकारिता में मिसाल) की रजत जयन्ती पर -Suresh Chandra Shukla

Speil fyller 25 år. Jeg deler et dikt om denne anledningen på hindi.
स्पाइल-दर्पण (विदेशों में हिंदी पत्रकारिता में मिसाल) की रजत जयन्ती पर
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

ऐश और आराम के खातिर कितने जीते हैं,
मस्ती भरे क्षणों में मधुरस, कितने पीते हैं
अपनी भाषा बिना यहाँ हम कितने रीते हैं
भाषायी संवाद बढ़े, हम रचनाएं सीते हैं.

विदेश में हिंदी को हम घर-घर पहुंचाते है
विदेशों में मातृभाषा की हम यह शिक्षा देते हैं.
अपने धन से सीच रहे पत्रकारिता की क्यारी,
हिंदी पर मरने वालों पर हम भी मरते हैं.

भाषा और साहित्य को घर-घर पहुंचाना है,
अपनी बातों को समाज में हर पल पहुँचाना है,
कभी घटे न संवाद पीढ़ियों का शरद आलोक!
देश-विदेश में हिंदी का परचम लहराना है.

स्पाइल-दर्पण की आज रजत जयन्ती है,
कविता और कहानी से खूब अपनी छनती है,
खुद भी पढ़े और बच्चों को हिंदी रोज पढ़ायें.
दुतकारो या प्यार करो मेरी सबसे बनती है.

रजत जयन्ती वर्ष कह रहा हिंदी फ़ैल रही
मिशन भाव हिंदी शिक्षा से भाषा बेल बड़ी.
स्पाइल-दर्पण से कितने रसाले 25 वर्ष हुए?
कविता-कहानी के विकास का युग ले आये.
जिसने भी सहयोग दिया उसको नमन करूं।

शनिवार, 23 नवंबर 2013

नार्वे से हिंदी पत्रिका स्पाइल -दर्पण - Suresh Chandra Shukla

नार्वे में हिंदी पत्रिका स्पाइल ने  रजत जयन्ती मनाई




ओस्लो, 23 नवम्बर। स्पाइल-दर्पण के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर ओस्लो में रजत जयन्ती मनाई गयी.

शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

 अपने में मस्त  अभिमन्यु अनथ को बहुत बधायी - शुभकामनायें

 

 अपने में मस्त रहने वाले लेखक हैं अभिमन्यु अनथ. चाहे वह १९ ९३ में मारीशस की अपनी धरती पर  या वह लन्दन, यू के में सम्पन्न संपन्न विश्व हिन्दी सम्मलेन हो. 

विश्व हिंदी पत्रिका- दीप्ति गुप्ता के ई-पत्र से  समाचार प्राप्त  कर अति प्रसन्नता हुई कि मारीशस के मशहूर साहित्यकार साथी अभिमन्यु अनत को भारत में साहित्य अकादमी द्वारा मानद महत्तर सदस्यता का सर्वोच्च सम्मान दिया गया है जो इसके लिए सम्माननीय पात्र हैं.

महान मारीशस की भूमि सदा ही हिन्दी के लिए उर्वरा रही है और महात्मा गांधी संस्थान, मोका और वसंत इसके अनेक उदाहरणों में से एक है. आगे चलकर कुछ वर्षों से विश्व हिन्दी सचिवालय ने भी हिन्दी के लिए अनेक उपक्रम कर रही हैं.  जो लोग मारीशस गए हैं या जो मारीशस के हिन्दी प्रेमियों से मिले हैं वे जानते हैं कि मारीशस के संस्कृतिकर्मियों और राजनीतिज्ञों में हिन्दी और भारत के प्रति सम्मान है हम भारतीय लोग भी मारीशस को बहुत सम्मान से देखते हैं.  श्री राजनारायण गति जी, मुकेश्वर चुन्नी जी, भी अभिमन्यु जी की तरह अनेको कार्यक्रमों में मिले हैं और पूरी सहानभूति और स्नेह दिया है. सरिता बुधू को भी भूलना आसान नहीं है. जगदीश  गोबर्धन भी भाषा को लेकर गतिशील रहते हैं. 

भारत से बाहर रहकर विदेशी जमीन पर बैठकर हिन्दी में साहित्य सृजन हिन्दी और  में करना सराहनीय और नयी चुनौतियों से भरा है. पर नार्वे में हमको वह स्थिति और वातावरण नहीं मिला फिर भी हिन्दी साहित्य के सृजन के साथ-साथ हिन्दी की शिक्षा देकर नयी पीढी को हिन्दी से अवगत कराना तथा पत्रिकाएं निकाल कर उसमें सभी हिन्दी और नार्वेजीय भाषियों को जोड़ना उन्हें अभिव्यक्ति देना कुछ हमारी निजी गतिविधियों में से है. नार्वे में हमारी पत्रिका स्पाइल-दर्पण इस वर्ष अपने २५ वर्ष पूरे कर रही है तब और भी सुखद लगता है कि भारत के बाहर हिन्दी की सेवा में लगे रहना कितना सुखकर मिशन है. 
सन १९९० में जब मैंने एक अंतर्राष्ट्रीय समारोह में भाग लिया था तब राजेन्द्र अवस्थी के पुत्र और वर्तमान में आथर्स गिल्ड आफ इंडिया के महामंत्री शिव शंकर अवस्थी के साथ उनके मारीशस में स्थित निवास पर  गया था.  राजेन्द्र  अवस्थी जी वहां पहले से उपस्थित थे.  साथ-साथ भोजन भी किया और विचार-विमर्श भी हुआ था. उनके आँगन में बागीचे में कुछ चित्र भी खींचे गये. एक चित्र उर्दू की पत्रिका 'बाजगश्त'  में सन १९९० में छपा था उसी पत्रिका में जैनेद्र कुमार के साथ लिया गया चित्र भी सन १९८५ में छपा था जिसमें मैं और ऐनक लगाए जैनेन्द्र जी कोकाकोला साथ पी रहे थे. अभिमन्यु अनत से अनेक साहित्यिक समारोहों में मिला जिसमें लन्दन में हुए सन १९९९ में हुए विश्व हिन्दी सम्मेलन और एक वर्ष पूर्व फोन पर मुम्बई में फोन पर कपिल कविराय के निवास पर फोन से बात हुई थी.
अपने मित्र अभिमन्यु अनत और साहित्य अकादमी को बहुत बधायी-शुभकामनायें और धन्यवाद देता हूँ उनके सहयोग और योगदान के लिए.  शेष आगामी ब्लाक में पढ़िये। 
सुरेशचन्द्र शुक्ल ´शरद आलोक´
सम्पादक, स्पाइल-दर्पण
POSTBOX 31, VEITVET
0518- OSLO
NORWAY

रविवार, 6 अक्टूबर 2013

डायरी 06-10-13, Oslo

मुझे अपनी डायरी लिखनी चाहिये। 

मुझे आलोचक और प्रेमचंद पर विशद साहित्य लिखने वाले कमल किशोर गोयनका जी ने कहा था की मुझे अपनी डायरी लिखनी चाहिये।  अतः जो कुछ स्मरण है और चाह रहा हूँ लिख रहा हूँ. 
कल शनिवार था, ५ अक्टूबर २०१३, ओस्लो में मौसम बहुत खूबसूरत था. दिन सामान्य था कवितामय था तो एक विवाहोत्सव में जाना था.
मेरे घर के पीछे मित्रो स्टेशन वाइतवेत है जो इस क्षेत्र का भी नाम है.. मैट्रो   से सेंटर गया. मैंने अकेले एक परिक्रमा की ओस्लो सेंटर की. नगर के मध्य में अनेक कार्यक्रम आयोजित थे. फोल्केतहूस 'ओस्लो कांफ्रेंस सेंटर' में विभिन्न परिधान पहने सैकड़ों सुन्दर और विचित्र भेष-भूषा में आकर्षक युगल, ग्रुप आदि जा रहे थे एक विशाल कार्यक्रम में.  
काव्य संध्या  
शाम छ: बजे स्तोवनेर, ओस्लो में स्थित फोस्सुमगोर में एक काव्यसंध्या थी. कार्यक्रम १८:४० पर शुरू हुआ चालीस मिनट देरी से.  लगभग तीस लोग उपस्थित थे. वहां मैंने अपनी तीन नार्वेजीय कवितायें सुनायी साथ ही लोगों को एक हिन्दी कविता भी सुनायी जिससे लोगों को हिन्दी-उर्दू का भी आनन्द मिले।  


डैनियल और प्रीती के विवाह के रिसेप्शन/प्रीत भोज में  
बड़ा अच्छा लगता है जब किसी उस व्यक्ति की शादी में शामिल होना जिसे आपने जन्म से लेकर विवाह तक देखा हो तो बात और होती है. कल वहां पर मैंने उस युवती के विवाह पर अपनी एक कविता लिखी और आशीर्वाद रूप सुनायी। यह युवती और कोई नहीं चरणजीत और अंजू की बेटी है जो कभी विवाह के पूर्व चरणजीत (चन्नी) वाइतवेत, ओस्लो में  जहाँ मैं रहता हूँ उसी के पास रहते थे.
डैनियल और प्रीती की जोड़ी को दिया अपनी बेटी संगीता और माया भारती के साथ जाकर दिया आशीर्वाद!
चित्र विहीन बचपन 
यदि मैं अपने बचपन पर निगाह डालता हूँ तो मेरा बचपन एक तरह चित्र विहीन रहा है.  कक्षा तीन में पढता था तब सहपाठियों के साथ एक सामूहिक चित्र खींचा गया था. वह भी पैसे के अभाव में नहीं ले सका था. परन्तु जब हाईस्कूल में आया तब से चित्र का शौक ही ऐसा हुआ की चित्र की धीरे-धीरे कमी दूर हो गयी.क्योकि पढाई के साथ-साथ मैं रेलवे के मालडिब्बे और सवारी डिब्बे कारखाने में काम करने लगा था.  
बल्कि अभी कुछ वर्षों से ऐसा हुआ है कि वहुत से समृद्ध (पैसे से समृद्ध) लोगों के पास अपने मृत्यु प्राप्त करने वाले व्यक्ति के चित्र नहीं थे अतः उन्होंने मेरा सहयोग लिया और मुझसे अपने दिवंगत लोगों के चित्र प्राप्त किये जो मैंने अनेक अवसरों पर लिए थे. आदमी मना नहीं कर पाता।
बड़ी विडंबना है. एक कविता साझा कर रहा हूँ: 
एक कविता
"मृत्यु प्रमाण पत्र,
इन्हीं से मिलने हैं बीमा का धन, सुपुत्र!
धन की खबर कभी उनको दी ही नहीं
जिनके थे वे हकदार कुपुत्र!
लड़की का बराबर हक़ है अपने माता-पिता की छोड़ी जायजाद में?
बेटों को भी नहीं बक्शते, हट्टे खट्टे, मुश्टंडे,
स्त्री विमर्श और दलित विमर्श के ठेकेदार अमीर विचित्र! "
 
दलित- स्त्री विमर्श
मैंने दो अध्यापन  करने वाले दलित विद्वानों के घर पर बालकों को कार्य करते देखा तो हैरान हो गया. क्या बाल मजदूरी  कराना अच्छा है? क्या अच्छा है,  मेरे पूछने पर भी उन्हें साथ बैठने और चाय पीने की पेशकश ठुकरा देना।  उन्हें हमारे साहित्य में दलित, स्त्री विमर्श कम दीखता है शायद उन्होंने स्वयम जातिवादी चश्में पहन रखें हैं जो आज तर्कसंगत नहीं है.
दुनिया कहाँ से  कहाँ तरक्की कर  आगे बढ़ रही है और हम अभी भी दकियानूसी ख्यालों में जकड़े हैं? और कब तक?
ऐसा ही जब मैंने मेरठ में डा महेश दिवाकर जी के साथ श्री सिसौदिया जी के निवास पर सफाई कर्मचारी को कुर्सी देने का आग्रह किया तो वहां उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई, उन्हें बैठाया और चाय पिलाई, और बताया कि ये तो इनका घर है चाहे जब चाय पी सकती हैं और चाय पीती भी रहती हैं. 
गंज बासौदा में श्री संजीव कुमार जैन के महाविद्यालय द्वारा  विश्वविद्यालय आयोग के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय सम्मलेन में जिसका विषय था कि 'हिन्दी उपन्यासों में भूमंडलीकरण' वहां मैं भी एक सत्र में मुख्या वक्ता था. इसका जिक्र इस लिए कर रहा हूँ की दो बातें  कहनी हैं. एक सेमीनार में स्त्री विमर्श को लेकर मेरा नार्वे के सन्दर्भ में वक्तव्य और कमलेश्वर के उपन्यासों 'समुद्र में खोया आदमी' और 'कितने पाकिस्तान' पर मेरा  आलोचनात्मक वक्तव्य.
सेमीनार के बाद दूसरी बात तब की है जब मैं अपने मित्र राजेन्द्र रघुवंशी जी के साथ उनके सम्बन्धियों के घर गंज बासौदा में ही उनके निवास पर गया तो लगा कि किसी पुराने जमीदार के घर पर आ गया हूँ. आवाभगत के बाद बाहर देखा कि तीन महिला सफाईकर्मी झाड़ू लगा रही थीं. उस समय जो परिचर्चा हुई उसी से जन्मी मेरी कविता 'पर्यावरण की देवी' जो कविता संग्रह 'गंगा से ग्लोमा' में संग्रहित है.
परिचर्चा जारी रहेगी। . . . . . . आगामी पोस्ट में देखिये!



 

रविवार, 22 सितंबर 2013

लेखक गोष्ठी में शेष नारायण सिंह सम्मानित
भारतीय  -नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की और से आयोजित  लेखक गोष्ठी में 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

Forfatterkafé på  Veitvetfredag 6. september  kl. 18:00 på Stikk Innom på Veitvetsenter, Oslo    
Tema: ’Demokrati  og stemmerett’


Æresgjest: Shesh Narain Singh, Journalist ( Politisk redaktør i den kjente daglig avis, Deshbandhu)   og forfatter fra India.
Gratis inngang.  Elkel servering.
Det blir diktlesning og musikk i slutten av arrangement.
For mer informasjon, ta kontakt med Suresh Chandra Shukla.
på telefon 90 07 03 18 eller på e-post: speil.nett@gmail.com





बायीं  ओर शेष जी ओस्लो में अपनी पत्नी के साथ
लेखक गोष्ठी में आपका हार्दिक स्वागत है 
गोष्ठी में मुख्य अतिथि का सम्मान, काव्य गोष्ठी और परिचर्चा 'प्रजातंत्र और मताधिकार' पर परिचर्चा होगी 
आज शुक्रवार ६ सितम्बर को शाम छ: बजे (18:00)
स्तिक इन्नोम (Stikk Innom), वाइतवेत सेंटर (Veitvet senter), ओस्लो में
(T-bane til Sinsen og buss nr. 5A og 5C fra Sinsen.
मैट्रो से Sinsen सिनसेन स्टेशन और वहां से बस नम्बर 5A  और 5 C)
जाने-माने पत्रकार शेष नारायण सिंह मुख्य अतिथि होंगे जो भारत के सुप्रसिद्ध अखबार देशबंधु के राजनैतिक संपादक हैं.
प्रवेश निशुल्क है. अंत में काव्य गोष्ठी होगी और संगीत का कार्यक्रम है. 
अधिक सूचना के लिए संपर्क कीजिये सुरेशचन्द्र शुक्ल   टेलीफोन 90 07 03 18 या speil.nett@gmail.com
आयोजक: भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम 
Araangør: Indisk Norsk Informasjons -og Kulturforum
  

रविवार, 1 सितंबर 2013

1 सितम्बर को अर्जुन का जन्मदिन

 आज मेरे बेटे अर्जुन का जन्मदिन है, उसको  हार्दिक बधाई।  
चित्र में दायें अर्जुन जिसका जन्मदिन है साथ में बायें अपने  भाई अनुपम के साथ

मेरा छोटा बेटे  अर्जुन जिसका आज 20वां जन्मदिन है. प्यार से उसे लोग बोबी और आंद्रे कहकर भी पुकारते हैं. वह मेरा सबसे छोटा पुत्र है. संगीता के बाद वह परवार में सबसे ज्यादा क्रांतिकारी है. यदि उसके बाबा जीवित होते तो जरूर गर्व करते। मेरे पिता कहते थे कि मेरे क्रान्तिकारी होने से उन्हें अपने अनुसार मुझे ढालने में परेशानी होने लगी।   वह नहीं चाहते थे कि मैं नौकरी, पढ़ाई के अतिरिक्त समाजसेवा और जन प्रतिनिधित्व न करूँ क्योंकि इससे धन और समय का नुक्सान होता है तथा आदमी परिवार को प्राथमिकता (प्रायोरिटी) नहीं देता है. मैं प्रातःकाल घर से निकल कर रात ग्यारह बजे घर आता था. विवाहित होने के कारण  व्यक्ति को अपना समय परिवार के साथ भी बिताना चाहिये.
मैं कैसे बताऊँ कि रेलवे में आठ घंटे प्रति दिन की नौकरी करते हुए रेगुलर कालेज में शिक्षा भी प्राप्त करता था  और अपने दादा (बाबा) श्री मन्ना लाल शुक्ल से प्रभावित होकर एक सार्वजनिक व्यक्ति के नाते अपनी पहचान भी बनाना चाहता था. इसी क्रम में मेरा पहला काव्यसंग्रह 'वेदना' 1976  में छप गया था.

हाँ तो मैं अर्जुन की बात कह रहा था. बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि अर्जुन फ्रीग फ़ुटबाल टीम का कैप्टन रह चुका है और अनेक टूर्नामेंट में वाइतवेत का भी प्रतिनिधित्व किया। नार्वे के साथ साथ अर्जुन (बॉबी) दो बार मार्शल आर्ट में यूरोप का जूनियर चैम्पियन रह चुका  है.    अर्जुन  व्यवहारशील  और अन्याय पर अपनी बात बेखटक कह देने वाला दूसरों के सम्मान का भी ध्यान रखता है.
वह अपने जीवन में सफल हो यही उसके परिवार और मित्रों की कामना है.  

गुरुवार, 29 अगस्त 2013

आज बहुत ख़ुशी का दिन है, जन्माष्टमी भी है  और इस पावन दिन पर मेरे बेटे अनुराग का विवाह ओस्लो में  हुआ 
आज बहुत ख़ुशी का दिन है. सूरज देवता भी प्रसन्न हैं और अपनी किरणें चहुओर फैला रहे हैं. ओस्लो में अगस्त का महीना, बुधवार तारीख २८ अगस्त २०१३। नार्वे में कुछ देरी से ही सही पर गर्मी ऋतु के सभी कद्रदान हैं। किसी का जन्मदिन तो किसी की शादी की सालगिरह होगी और किसी का नामकरण, विवाह और उपनयन संस्कार आदि होगा।
सभी खुश रहें, प्रसन्न रहें और शतायु हों यही दुआयें हैं हमारी।
हर लम्हे से खुशियाँ मांगें,
और दुआयें मांगे!
फूल में छिपी आस्था सबकी,
गुलदस्तों ने बांचे!
तुम्हें मुबारक, दिन तेरा हो,
मेरी हों बस रातें।
जहाँ रहें अपने-बेगाने,
हों खुशियों की बरसातें!!


एक और ख़ुशी में इजाफा, मेरे बड़े बेटे का विवाह संपन्न हुआ. 


चित्र में बायें  से  मेरेते  की माँ , मेरेते  नव विवाहित  बहू , नवविवाहित  बड़ा  पुत्र अनुराग  और  उसकी माँ  माया भारती  (माया शुक्ला)



 अनुराग की अनोखी  बातें 
मुझे स्मरण है पांच वर्ष तक मुंडन न होने की वजह से अनुपम के केश बढ़ गये  थे. बड़े बालों के कारण अनुराग में एक अलग आकर्षण था. 
वह कभी भारत में अपनी दादी श्रीमती किशोरी देवी और दादा (बाबा) श्री बृजमोहन लाल शुक्ल के साथ के साथ रहा और इसी कारण उसका सम्बन्ध सदा अपनी दादी से भी रहा और दादी की मृत्यु पर सम्मिलित हुआ और औरों की तरह अंतिम संस्कार में केश भी कटवाए थे जैसा कि परिवार की परंपरा है कि शोक में और मरने वाले को सम्मान देने के लिए केश कटाये जाते हैं. 
अब लोग आधुनिक हो गये हैं, सभी लोग केश नहीं कटवाते।  परंपरा और रीति रिवाज स्वयं अपनाने के लिए हम स्वतन्त्र हैं.  वहां अनुराग का महत्त्व पारिवारिक दायरे में बढ़ जाता है. अपनी दादी की तेहरवीं में संगीता और अनुराग उपस्थित भी हुए और दिल खोलकर खर्चकर संतुष्टि प्राप्त की।
विदेशों में नयी पीढ़ी को अपनी और पूर्वजों की संस्कृति के बारे में बताने के लिये  माता -पिता ही उपयुक्त और सही शिक्षक हैं. बेटे के श्रवण कुमार बनने की सम्भावना तब अधिक होती है जब पिता, माता स्वयं उदहारण बनें। 
एक और घटना उस समय की है जब अनुराग को पढ़ाने उसके अध्यापक आते थे या जब वह मोहल्ले में १२/४ में रहने वाली शुक्ला अध्यापिका के घर पढ़ने अनुराग जाता था, सुना है वह बहाने बनाने में बहुत निपुण था.
भोला और सभी के स्नेह का भाजन अनुराग अपनी दादी और बाबा का प्रिय था. बाबा की सबसे प्रिय उसकी बड़ी बहन संगीता और नीलू (मेरी बड़ी  भांजी) रहे हैं. जय प्रकाश मेरा बड़ा भतीजा है जो सदा अपने परिवार के साथ रहता था जहाँ अनुराग और संगीता भी रहे हैं.


 ओस्लो शतरंज चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक
जब अनुराग की चर्चा कर रहा हूँ तो यह भी बताता चलूं  अन्य बच्चों की तरह अनुराग भी माइकेल जैक्सन के संगीत पर बहुत अच्छा नृत्य कर लेता था और उसने मार्शल आर्ट भी सीखी तथा ओस्लो शतरंज चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक अपनी टीम के साथ लाया।  नार्वे में हर फ़ुटबाल खेलता और बरफ के खेल स्की कर लेता है. अनुराग को भी सकी करना और फ़ुटबाल बहुत पसंद है आजकल भी वह अपने पुराने मित्रों के साथ कभी-कभी फ़ुटबाल खेलता है. अनुराग सदा से टेक्नीकल रूचि का रहा है और वह कंप्यूटर हार्डवेयर में ही कार्य करता है.
 मैं चाहता था कि अनुराग सिनेमा से जुड़े
मैं पिता होने के नाते चाहता था कि अनुराग सिनेमा से जुड़े और फोटोग्राफर और एडिटर बने. इसी वजह से मैंने अनुराग को अपनी पहली नार्वेजीय फिल्म 'Reisen til Canada' कनाडा की सैर में फोटोग्राफर के रूप में उतारा और उसने फिल्म का संपादन का भार भी उठाया जिसे उसने भली भांति पालन भी किया। नार्वेजीय समाचारपत्रों ने फिल्म के साथ अनुराग की फोटोग्रागी की भी चर्चा की. अनुराग सिनेमा से तो नहीं जुड़ा पर कंप्यूटर से जुड़ गया जो आज की आवश्यकता है. यहाँ और भारत में उसने अपने भाइयों की कंप्यूटर से मदद की और आज मेरी भी अक्सर कोई समस्या होने पर मदद करता है.

 
बायें अनुराग का बनवाया चश्मा पहने दादी सन  1998 में 
नार्वे में दादी का चश्मा 
मैं और  अन्य अनेक प्रवासी लोग आँखों का चश्मा सस्ता और बेहतर होने के कारण भारत से बनवाते हैं.  नार्वे में बहुत धन लगता है नजर की ऐनक बनवाने में इसलिए अपने-अपने देश में (यानि भारत में ) बनवाते हैं पर अनुराग ने दादी का चश्मा नार्वे से बनवाया। उसका कहना था कि दादी के चश्में के लिए धन क्या बचाना। इससे मुझे प्रेमचंद की कहानी 'ईदगाह' की याद आ गयी जिसमें हामिद अपनी दादी के लिए अपने खिलौने की जगह  चिमटा खरीदकर लाता है.
२८ अगस्त को जन्माष्टमी के दिन शादी 
हर माता-पिता, भाई-बहन चाहते हैं कि क्रमशः उसकी संतान उसका भाई विवाहित हो. तो यह सपना भी पूरा हुआ अनुराग के विवाह के बाद. कल जन्माष्टमी के शुभ दिन अनुराग और मेरेते वैवाहिक बंधन में बन्ध गए जो १२ वर्षों से साथ-साथ रह रहे थे.




थिंगहूस (कोर्ट) ओस्लो के बाहर   एक ग्रुप फोटो 









 थिंगहूस (कोर्ट) ओस्लो के अन्दर जज के साथ   एक ग्रुप फोटो





विवाह के बाद हम सभी उपस्थित लोगों ने साथ-साथ भोजन किया। मुझे अपने उन मित्रों की याद आयी जो संगीत के माहिर हैं और अनेक साजों के साथ गीत  और गजलें गाते हैं. 
मेरा मन भी चाहा कि कुछ गुनगुनाऊं, पर ऐसा नहीं कर सका. भावुक हो गया था. मेरा छोटे बेटे 
अर्जुन ने इस अवसर पर कुछ शुभकामनाओं के शब्द कहे जो हमेशा याद रहेंगे।     
शरद आलोक, ओस्लो, नार्वे     

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

३१ अगस्त को अमृता प्रीतम जी का जन्मदिन है


 अमृता जी की एक कविता है
 ए़क दर्द था
जो सिगरेट की तरह
मैने चुपचाप पिया
सिर्फ कुछ नज्में हैं
जो सिगरेट से मैने
राख की तरह झाड़ी हैं !!

- अमृता प्रीतम

अमृता जी, का जीवन कुछ हद तक खुली किताब की तरह रहा है. मैंने साथ -साथ सिगरेट पी है. साथ-साथ पीये भी हैं और खाया भी है. २८ साल पहले।  ( यह बात और है कि  अब सिगरेट आदि नहीं पीता।) ओस्लो की तीन महफ़िलों और दो मंचों पर  महान  साहित्यकारों के साथ रहे इनमें अमृता जी, आक्तावियो पाश (नोबेल पुरस्कार विजेता) और अहमद फराज थे.  मौका था  'प्रथम ओस्लो इंटरनेशन पोएट्री फेस्टिवल' का.  अक्सेल जेनसेन एक जिन्दा दिल इंसान और एक अच्छे लेखक थे. वे भारत से प्यार करते थे और उन्होंने भारतीय सुयोग्य महिला प्रतिभा जी से विवाह किया था.  पहले वे अपनी एक नाव में रहते थे. जिस नाव में रहते थे वह सागर किनारे आकेरब्रीगे, ओस्लो में थी. वह थे तो आर्किटेक्ट पर लेखक भी कम अच्छे नहीं थे 'एप' (Epp) पुस्तक से वे ख्याति प्राप्त कर चुके थे. हमारे राजदूत कमल नयन बक्शी जी और एक्सेल येनसेन  के साथ महफ़िलों में रहना कभी भुलाए भी नहीं भूलेगा।

मेरा जीवन कुछ ज्यादा ही खुली किताब की तरह रहता है. माया जी कहती हैं कि लोकलाज और समाज के लिए कुछ छिपाया भी करो.  आजकल जाने-माने पत्रकार शेष नारायण सिंह नार्वे आये हुए हैं. उनसे रोज मुलाकात हो जाती है. वे रोज इंटरनेट पर कलम चलाते  हैं हिन्दी में. मैंने  विचार किया  रोज कुछ न कुछ हिन्दी में मैं भी ब्लाग में लिखा करूँ। (ब्लाग लेखन तो काफी समय से करता हूँ पर  रोज नहीं लिखता).  ओस्लो के चालीस प्रतिशत भाग में जहाँ आकेर्स आवीस ग्रूरुददालेन का प्रसार है लोग मुझे जानने लगे हैं पर मैं हरगिज मशहूर आदमी नहीं हूँ. यह तो वही बतायेगा जो समाचारपत्र पढता है  या यहाँ आयोजित हमारी-तुम्हारी गोष्ठियों में  कभी आया हो.  ओस्लो के एक  समाचार पत्र के अनुसार लोग मेरी दो चीजों से परिचित हैं कविता या मेरी टोपी (हैट) से.   मैं एक सांस्कृतिक लेखक-मजदूर-पत्रकार हूँ. 
कुछ पंक्तियाँ मैंने भी अमृता की याद में लिखी हैं, उन्हें आपके साथ साझा कर रहा हूँ.

अमृता जी! तुम्हारे साथ पी हैं  सिगरेटें
ओस्लो की महफ़िलों में,
चुपचाप चश्में के मध्य देखती पैनी आँखें 
साथ थे अपने सिफारत खाने के बक्शी जी,
जिन्हें भुलाने से भी भूल न सकता कभी!
ओक्तावियो पाश (मेक्सिको के) ने मिलाया हाथ में ले जाम.
एक ही मंच से कविता पढ़ीं थीं तीन शामें!
अहमद फराज मंच पर भी पीते रहे। … ,
एक शाम थी बस तुमारे नाम!

२८ बरस बाद भी लग रहा है कल.
गुनगुनाने लगा अनबूझ गीत
आज दोहराने लगा हूँ 
वे पल!! 
 फिर गुनगुनाने लगा हूँ
कुछ शब्द आतुर हैं पाने को स्थान ,
आगे भी दिखने लगे जब अतीत 
समझ लेना रुक   रही है जिन्दगी,
बढ़ रही है एक पथ अनजान !
             शरद आलोक  ओस्लो, २७ -०८ -१३

शनिवार, 24 अगस्त 2013

नार्वे में राजनैतिक पार्टियों में आपसी कड़वापन कम है -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla

फ्रोग्नेर ओस्लो में राजनैतिक संवाद -सभा
नार्वे में राजनैतिक पार्टियों में आपसी कड़वापन कम है  - शरद आलोक
रुसी-नार्वेजीय कल्चर सेंटर Norsk-Russisk kultursenter  की ओर से फ्रोग्नेर प्लस से थोड़ी दूर पर चर्च भवन में में चार राजनैतिक पार्टियों की एक पैनेल सम्वाद-सभा (डिबेट) २२ अगस्त की शाम को सम्पन्न हुयी।
इस राजनैतिक वाद-विवाद (डिबेटसभा) में अर्बाइदर (श्रमिक) पार्टी Ap की श्रीमती मारित नीबाक Marit Nybakk, होइरे पार्टी (H) के श्री मिकाएल थेचनेर Michael Tetzschner, एस वे  (SV) पार्टी की सुश्री रानवाईग क्विफ्ते अन्द्रेसेन Ranveig Kvifte Andresen और  फ्रेमस्क्रित्स पार्टी (प्रोग्रेसिव) (FrP) के क्रिस्तिआन थीब्रिंग येद्दे Christian Tybring-Gjedde सम्मिलित थे ।
 
बाएं खड़े राइसा  और हैट  पहने शरद आलोक और  बैठे हुये बायें से मारित नीबाक, मिकाएल थेचनेर, रानवाइग क्विफ्ते अन्द्रेसेन और क्रिस्तियान थीब्रिंग येद्दे  

रुसी-नार्वेजीय एशोसिएशन द्वारा आयोजित राजनैतिक बैठक का सञ्चालन कर रहे थे श्री मागनार सूरस्तोसलोयकेन Magnar Sorståsløkken ।   डिबेट में हिस्सा लेने वाले चारो राजनेताओं का फूलों का गुलदस्ता भेंटकर स्वागत किया संस्था की अध्यक्ष राइसा खिरखोवा Raisa Cirkova ने।
इस डिबेट में मेरे साथ भारत से आये थे जाने-माने पत्रकार शेष नारायण सिंह जो भारत के प्रतिष्ठित पत्र देशबंधु के सम्मानित पत्रकार हैं।  जो लोग छत्तीसगढ़ से परचित होने वे 'देशबंधु' से भली भांति परिचित होंगे, हालांकि यह  समाचार पत्र अब दिल्ली में भी अपने पाँव पसार चुका है।
मुझे अपने पुराने दिन याद आ गये जब मुझे नार्वे के राष्ट्रीय पार्लियामेंट में प्रवासी समस्यायों पर आयोजित पैनल डिबेट में मुख्यवक्ता होने का सौभाग्य मिला था l  तब मैं नार्वेजीय अर्बाइदर (श्रमिक) सत्ताधारी पार्टी के इंटरनेशनल फोरम की कार्यकरिणी का सदस्य और बिएर्के बीदेल का मंत्री था।  और इसमें मैं मारित नीबाक के नेतृत्व  में ही सम्मिलित हुआ था।   वर्तमान समय में मैं चुनाव के लिए चुनने वाले प्रतिनिधियों  की 'चयन समिति' में सदस्य हूँ। 
जैसे ही फ्रोग्नेर, ओस्लो में राजनैतिक संवाद -सभा में आया तो हमारी पुरानी राजनीतिज्ञ साथी मारित नीबाक से भेंट हुई, उन्होंने मुझे अपने गले लगाया l  श्रीमती मारित नीबाक नार्वेजीय पार्लियामेंट की उपाध्यक्ष (डिप्टी) स्पीकर और उत्तरीय देशों की उत्तरीय देशीय काउन्सिल (नोरदिक कौसिल) की अध्यक्ष हैं l
और श्री मिकाएल थेचनेर से मुलाक़ात हुई जो २८ वर्षों पहले ओस्लो नगर पार्लियामेंट के सर्वोच्च पद (बीरोद्स्लेदेर)  पर रह चुके थे और अब होइरे पार्टी के सांसद हैं l  हमारे और मिकाएल थेचनेर Michael Tetzschner, के राजनैतिक विचार बिलकुल अलग हैं फिर भी हम परिचित हैं l यहाँ नार्वे में मुझे मेरी राजनैतिक पार्टी ने दूसरी पार्टी के लोगों से मिलने के लिए मना नहीं किया l  अपनी पार्टी के प्रति वफादारी काफी है l



चित्र में बायें से श्री शेष नारायण सिंह, राइसा, शरद आलोक और एक आयोजक समिति की सदस्य ठीक डिबेट से पहले

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

ओस्लो में भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर कार्यक्रम

 स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें  ।। - सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

धन्यवाद आप सभी को धन्यवाद जिन्होंने १५ अगस्त के कार्यक्रम में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और स्वतंत्रता दिवस साथ मनाया।  इसके पहले इतने लोग एक साथ उपस्थित नहीं हुए. यह प्रसन्नता की बात है.  
15 अगस्त 2013 पर ओस्लो में स्वतंत्रता दिवस समारोह सम्पन्न हुआ जिसका आयोजनवाइत वेत सेंटर ओस्लो में  भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum ने किया था. 


ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लिए कुछ चित्र प्रस्तुत हैं :












































भारतीय राजदूत के निवास पर प्रातः 09:00 बजे ध्वजारोहण समारोह 
और
शाम छ: Kl.  18:00 बजे Veitvetsenter, Oslo में सांस्कृतिक कार्यक्रम  
कविता, संगीत और नृत्य 
प्रवेश नि:शुल्क
भारत एक सेकुलर देश है. सभी  धर्म के लोगों का वहां सम्मान है. अनेकता में एकता का दूसरा उदाहरण दुनिया में कहीं नहीं मिलता।

ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

 ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
बृहस्पतिवार 15 अगस्त को शाम छ: बजे 
चिली कल्चर सेंटर, वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में 
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
  • पंद्रह अगस्त क्यों मनाया जाता है? 
  • भारत के राष्ट्रपति का सन्देश
  • भारत के राष्ट्रीयगान का सामूहिक गायन 
  • कवितायें ( हिन्दी, पंजाबी और नार्वेजीय में)
  •  नृत्य 
  • संगीत 
  • जलपान 
कार्यक्रम समय से आरम्भ होगा।   वाइतवेत आने के लिए आपको तेबाने (मैट्रो) के लिए चलाई जा रही बस से वाइतवेत  आना है. प्रवेश निशुल्क है.
यदि आप कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं तो आप ई-मेल से या फोन पर संपर्क कर सकते हैं.
E-mail: speil.nett@gmail.com
फोन: +47 - 90 07 03 18

Kulturfest på Veitvetsenter
  • Vi feirer Indias frigjøringsdag (nasjonaldag) 
  • torsdag den 15. august kl. 18:00
  • på Chilensk Kulturhus, Veitvetsenter, Oslo
med dikt, musikk og dans
Lett servering
Gratis inngang!

For mer informasjon skriv e-post eller ta kontakt på tlf. 90 07 03 18.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है.  हमारे बच्चों को अपने पर्वों की भी जानकारी हो और सभी साथ-साथ मिलकर मनायें।  नार्वे के साथ-साथ हम अपने मूल देश भारत और उसके मूल्यों पर गर्व करें।
आइये मिलकर भारत का स्वतंत्रता दिवस मनायें! 
Arrangør: 
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम
Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum
Postboks 31, Veitvet, 0518 Oslo

गुरुवार, 8 अगस्त 2013

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा २०१२ के लिए पुरस्कार घोषित। पुरस्कृत लोगों को हार्दिक शुभकामनायें।-शरद आलोक

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा २०१२ के लिए पुरस्कार घोषित। पुरस्कृत लोगों को हार्दिक शुभकामनायें।-शरद आलोक
गोपाल दास नीरज, सोम ठाकुर, चौथी राम यादव, विनोद चन्द्र  पाण्डेय और अन्य बहुत से विद्वान पुरस्कृत होंगे।   
यूके के तेजेन्द्र शर्मा को प्रवासी भूषण पुरस्कार के लिए नामित। 
ये पुरस्कार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा १४ सितम्बर को दिये जायेंगे।  सभी पुरस्कृत किये जाने वाले मित्रों को शुभकामनायें।

आज ईद है. आपको ईद मुबारक। - sharad aalok - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

आज ईद है. आपको ईद मुबारक।- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
यहाँ ओस्लो में कई लोगों ने एक  दूसरे को ईद के अवसर पर शुभकामनायें दीं. मुझे स्मरण हो रहा है बचपन के दिन. मेरा घर लखनऊ में स्थित ऐशबाग ईदगाह के सबसे करीब था. ईद और बकरीद के अवसर पर मेरे पिताजी के परिचित -मित्र जो ऐशबाग ईदगाह नमाज पढ़ने आते थे वे अपनी साइकिल मेरे घर के सामने खड़ी कर जाते थे.
आज जो लोग कार और मोटर साइकिलों पर चलते हैं पहले उसी तरह लोगों के पास स्कूटर और साइकिल हुआ करती  थी.
इस तरह स्टैंड में साइकिल खड़ी करने से बाख जाते थे जिसमें कुछ समय भी लगता था.  और नमाज शुरू हो चुके होने पर समय की कमी में उसमे सम्मिलित होने का पुण्य। ऐशबाग ईदगाह से मुझे काफी लगाव था. सुबह -दोपहर पेड़ों पर चढ़कर गूलर और इमली तोड़ना और नीम के पेड़ पर चढ़कर मित्रों के साथ दातून तोड़ना. उस समय बहुत आनंद आता था. मौलवी साहेब को लकडियाँ बीनकर देते थे. अतः वे कुछ न कहते थे.


ऐशबाग ईदगाह की गुम्बदें और दीवारें जीर्ण शीर्ण हो गयीं थी. जब नेताजी मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे.
गुम्बदें नयी जैसी हो गयीं।   उसकी दीवारें बन गयीं और मस्जिद के चारो तरफ फुटपाथ पर पत्थर और ईंटें लग गयीं।
हालाँकि अभी भी पहले की तरह आरा-मशीनों के लिए लकड़ी के थोक खरीदारों का जमघट प्रातःकाल ईदगाह के नुक्कड़ पर लगता है.  ट्रकों से बड़े- बड़े लट्ठे सड़क पर गिराने से वहां सड़क अक्सर टूट जाती है.
लीजिये इसी बहाने मैंने ईदगाह के बारे में विस्तृत लिख दिया।
मेरे प्रिय लेखक लेखक मुंशी ने अपनी कहानियों में ईदगाह का जिक्र किया है और लिखा है कि सड़क के किनारे इमली के पेड़ थे. लखनऊ ईदगाह से  दो मार्ग एक जो लाल माधव चौराहा दूसरी ओर डी ए वी कालेज तक तब सड़क के दोनों ओर कुछ दूरी पर इमली के पेड़ लगे होते थे. हो न हो यही ईदगाह रही होगी जो प्रेमचंद की कहानियों में वर्णित है. 

पिछले वर्ष दक्षिण अफ्रीका में लखनऊ की यादें फिर ताजी हो गयीं।  लखनऊ के श्री एस एम आसिफ और उनकी पत्रकार बेटी लुबना मिले।  बिटिया लुबना फोटोग्राफी में भी माहिर हैं. एस एम आसिफ और उनकी पत्रकार बेटी लुबना 'इन दिनों' हिन्दी समाचार पत्र का संपादन और प्रकाशन लखनऊ और दिल्ली से करते हैं. तीन दिन तक हम मिलते रहे और बातचीत करते रहे.

रविवार, 4 अगस्त 2013

सावधान ब्रिटेन की महारानी कुछ भी कह और लिख सकती हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

सावधान? होशियार!  ब्रिटेन की महारानी कुछ भी कह और लिख सकती हैं - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
अभी कुछ दिनों पूर्व बी बी सी ने एक लेख छापा था जो वक्तव्य के रूप में  यदि दुनिया में विश्वयुद्ध होता तो सार्वजनिक करना था.
विश्वयुद्ध हुआ नहीं और ब्रिटेन और राज परिवार द्वारा उठाये कुछ क़दमों अथवा  स्थिति का वर्णन किया गया है.  क्या यह यदि किसी ब्रिटेन के नागरिक ने लिखा होता तो क्या प्रतिक्रिया होती। क्या कोई ऐसी प्रतिक्रिया महारानी जी के इस लेख के प्रकाशन के बाद ब्रिटिश अखबारों ने निंदा  के रूप में उठायी है?
युद्ध हुआ नहीं और उनके वक्तव्य को तीसरे विश्व युद्ध के वक्तव्य के रूप में स्थान भी मिल गया कितना सच-कितना झूठ. शक्तिशाली लोग कुछ भी लिख सकते हैं क्या उन्हें कुछ नहीं होता? विश्वसनीयता तो घटती है?

इंग्लैंड में यूनीफ़ॉर्म नीति के तहत लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी - 'शरद आलोक' suresh@shukla.no

 हम अक्सर महिलाओं के कपड़ों की बात करते हैं. जब हम पश्चिम देशों में बैठकर यह देखते हैं कि लड़कियों या लड़कों को कौन सी पोषाक या  कपड़े पहनने हैं और उसका निर्णय पहनने वाला या माता - पिता के अलावा कोई और करे तो बड़ा अटपटा और अतार्किक लगता है.  पर ऐसा फरमान और कहीं नहीं यह इंग्लैण्ड के एक स्कूल का है. आगे पूरी रिपोर्ट पढ़िये। 
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' suresh@shukla.no  

इंग्लैंड के रेडिच शहर में स्थित वॉकवुड सी ऑफ़ ई मिडिल स्कूल ने अपनी यूनीफ़ॉर्म नीति के तहत लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर पाबंदी लगा दी है.
स्कूल प्रशासन के अनुसार छात्राएं ब्लाउज़ पहन कर भी स्कूल नहीं आ सकती हैं.
स्कूल का कहना है कि गर्मियों के दौरान लड़कियाँ क्या पहन कर स्कूल आ सकेंगी इस बारे में विचार-विमर्श जारी है.
स्कूल के हेडमास्टर डेविड डाउटफ़ायर ने छात्राओं के माता-पिता को एक ख़त लिखकर कहा कि स्कूल यूनीफ़ॉर्म में होने वाला बदलाव सितंबर के महीने से लागू होगा और फिर धीरे-धीरे पूरे साल में इस पर अमल किया जाएगा.
हेडमास्टर ने अपने ख़त में लिखा है, ''सभी लड़कियों से उम्मीद की जाती है कि वे पैंट पहनेंगी.''

'तुग़लक़ी फ़रमान'

स्कूल प्रशासन ने ये भी स्पष्ट किया है कि लड़कियों की पैंट भी ठीक उसी तरह के कपड़े की होंगी जैसा कि लड़कों की पैंट होती है.
स्कूल ने अपने यूनिफॉ़र्म के रंग को भी बदलते हुए स्लेटी से काला करने का फ़ैसला किया है.
भारत और इसके आस-पास के देश या फिर अरब देशों में तो इस तरह की बातें अक्सर सुनी जाती हैं कि लड़कियां क्या पहन कर स्कूल या कॉलेज जा सकती हैं और क्या पहन कर नहीं जा सकती हैं.
लेकिन किसी पश्चिमी देश के किसी स्कूल ने इस तरह का फ़ैसला शायद पहली बार किया है.
अभी कुछ ही दिनों पहले राजधानी दिल्ली से कुछ ही दूरी पर बसे क्लिक करें अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने भी छात्राओं के कपड़ों को लेकर एक फ़रमान जारी किया था लेकिन लड़कियों के विरोध और भारतीय मीडिया में ख़बरें आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना फ़ैसला वापस ले लिया था.
(यह समाचार बी बी सी ने भी दिया है. )

शनिवार, 27 जुलाई 2013

ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

 ओस्लो में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
बृहस्पतिवार 15 अगस्त को शाम छ: बजे 
चिली कल्चर सेंटर, वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में 
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
  • पंद्रह अगस्त क्यों मनाया जाता है? 
  • भारत के राष्ट्रपति का सन्देश
  • भारत के राष्ट्रीयगान का सामूहिक गायन 
  • कवितायें ( हिन्दी, पंजाबी और नार्वेजीय में)
  •  नृत्य 
  • संगीत 
  • जलपान 
कार्यक्रम समय से आरम्भ होगा।   वाइतवेत आने के लिए आपको तेबाने (मैट्रो) के लिए चलाई जा रही बस से वाइतवेत  आना है. प्रवेश निशुल्क है.
यदि आप कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं तो आप ई-मेल से या फोन पर संपर्क कर सकते हैं.
E-mail: speil.nett@gmail.com
फोन: +47 - 90 07 03 18

Kulturfest på Veitvetsenter
  • Vi feirer Indias frigjøringsdag (nasjonaldag) 
  • torsdag den 15. august kl. 18:00
  • på Chilensk Kulturhus, Veitvetsenter, Oslo
med dikt, musikk og dans
Lett servering
Gratis inngang!

For mer informasjon skriv e-post eller ta kontakt på tlf. 90 07 03 18.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है.  हमारे बच्चों को अपने पर्वों की भी जानकारी हो और सभी साथ-साथ मिलकर मनायें।  नार्वे के साथ-साथ हम अपने मूल देश भारत और उसके मूल्यों पर गर्व करें।
आइये मिलकर भारत का स्वतंत्रता दिवस मनायें! 
Arrangør: 
भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम
Indisk-Norsk Informasjons -og Kulturforum
Postboks 31, Veitvet, 0518 Oslo
  
 


रविवार, 21 जुलाई 2013

ओस्लो में लेखक गोष्ठी में नेलसन का जन्मदिन मनाया गया

ओस्लो में लेखक गोष्ठी में नेलसन मंडेला  का जन्मदिन मनाया गया - शरद आलोक



नेलसन  मंडेला जन्म १८ जुलाई १९१८ को दक्षिण अफ्रीका में  हुआ था।  वह स्वतंत्रता के प्रतीक  बन गये हैं. वह ९५ वर्ष के हो गये. वह काफी दिनों से बीमार चल रहे हैं और अब उनके स्वास्थ में कुछ सुधार है 
दक्षिण अफ्रीका में पहले रंग भेदभावपूर्ण प्रथकवासन  (अपार्टहाइड) व्यवस्था थी  नेलसन मंन्डेला अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन में सम्मिलित हुये। उन्हें २७ वर्ष का कारावास दिया गया और उन्हें वहां के शासन द्वारा एक आतंकवादी कहा गया. जब वह जेल से छूटे तो पूरी दुनिया में स्वतंत्रता के प्रतीक बन गये।         
उन्हें २५० पुरस्कार दिए गये। सन १९७९  में भारत के भारतीय सांस्कृतिक परिषद् (भारत सरकार  की ओर से १९७९ को नेहरु पुरस्कार दिया गया।  उसी वर्ष जब मदर टेरेसा को नार्वे में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला था।  
जब  नेलसन मंडेला को सन १९९३ में ओस्लो में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला तो उस सिटी हाल में मैं भी उपस्थित था,  तब उन्होंने महात्मा गांधी के अहिंसात्मक और असहयोग आन्दोलन का
जिक्र करते हुये कहा था  कि जब वह जेल में  थे (२७ वर्ष उन्होंने जेल में बिताये थे) तब वहां उन्हें महात्मा गांधी के आदर्शों से  बहुत  कुछ सीखने को मिला था।  उन्होंने ओस्लो स्थित राजकीय चर्च दोम चर्च में प्रार्थना के बाद उनसे मिलने का अवसर मिला था.  यहाँ के एक चर्चित समाचार पत्र  दागब्लादे में एक चित्र छपा था जिसमें नेल्सन मंडेला के साथ विशप ओरफ्लोट और मेरा संयुक्त चित्र छपा था। 
मैं पिछले वर्ष विश्व हिन्दी सम्मलेन में भाग लेने दक्षिण अफ्रीका गया था तब मुझे जुहानेस्बर्ग,  प्रीटोरिया और डरबन नगर जाने का अवसर मिला था तब वहां मैंने अनेकों म्युजियमों में देखा था कि महात्मा गांधी पर प्रचुर मात्रा में साहित्य और सामान दर्शनार्थ उपलब्ध था चाहे वह गांधी म्यूजियम हो या अफ्रीकन आर्ट और राष्ट्रीय म्यूजियम। 
वहां के सभी लोग महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला को आदर से देखते हैं जिन्होंने दक्षिण अफ्रीकी वासियों  के लिए भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी 
संयुक्त राष्ट्र संघ ने निर्णय लिया कि उनके जन्म दिन को मंडेला दिवस के नाम से मनाये जाने का निर्णय लिया।  
लेखक गोष्ठी में नेलसन का जन्मदिन मनाया
शुक्रवार १९ जुलाई को   वाइतवेत सेंटर, ओस्लो  में नेल्सन मंडेला के जन्मदिन पर एक लेखक गोष्ठी संपन्न सम्पन हुई। कार्यक्रम का शुभारम्भ केक काटने से हुआ।
   गोष्टी का आयोजन भारतीय नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की  ओर से किया गया था जिसमे  नेल्सन मंडेला के जीवन पर प्रकाश डाला गया तथा जिन लोगों ने अपनी कवितायें पढी उनके
 नाम थे सुरेशचन्द्र शुक्ल, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, नोशीन, माया भारती, दिव्या विद्यार्थी, लीला पॉल,   राजकुमार और जावेद भट्टी तथा खालिद थथाल थे।   माया भारती ने सभी का आभार व्यक्त किया।      

शनिवार, 13 जुलाई 2013

हिन्दी फिल्म के स्तम्भ के मुख्य स्तम्भ प्राण अब नहीं रहे - शरद आलोक (लेखक और फिल्मकार)

हिन्दी फिल्म के मुख्य स्तम्भ कलाकार प्राण अब नहीं रहे - शरद आलोक (लेखक और फिल्मकार)


 नार्वे से स्वसम्पादित पत्रिका 'स्पाइल-दर्पण' के पिछले अंक में हमने हिन्दी फिल्म के मुख्य स्तम्भ, पहले और आख़िरी महानायक- खलनायक 'प्राण' के बारे में लिखा था. उन्होंने हिन्दी फिल्म में अभिनय की नयी उंचाइयाँ छुईं।  अनेक दशकों तक हिन्दी फिल्मों के में खलनायक और चरित्र अभिनेता के रूप में अपना सिक्का चलाया। 
उनका कल १२ जुलाई २०१३ लीलावती अस्पताल, मुंबई  में देहांत हो गया. प्राण का जन्म १२ फरवरी १९२० को पुरानी  दिल्ली में हुआ था. उनका विवाह शुक्ल अहलुवालिया से १९४५ में हुआ था. उनके पीछे अब उनके दो पुत्र: अरविन्द और सुनील तथा पुत्री पिंकी तथा पांच पोते और उनके परिवार हैं.
प्राण ने कपूर खानदान की चार पीढी के साथ  काम किया।
उनके भाई का परिवार अभी भी कपूरथला, पंजाब में रहता है जहाँ प्राण अक्सर जाकर रहा करते थे.   डेनमार्क में सन लाईट रेडियो का सञ्चालन करने वाले देशबंधु भी कपूरथला पंजाब से हैं, उन्होंने बताया की प्राण को पान खाने का बहुत शौक था.  
मनोज कुमार और दिलीप कुमार उनके अच्छे दोस्त थे जिनके साथ उन्होंने अनेक सफल फिल्मों में काम किया।
अमिताभ बच्चन को उन्होंने प्रकाश मेहरा से परिचित कराया और उन्हें फिल्म जंजीर में काम दिलाया।
अशोक कुमार के साथ उन्होंने २७ फ़िल्में की। उन्होंने ३५० फिल्मों में काम किया। सी एन एन टी वी ने उन्हें २०१० में एशिया के २५ फिल्म  कलाकारों में चुना।  उन्हें भारत का पद्मविभूषण सम्मान मिल चुका । उन्हें देर से ही सही दादा साहेब फाल्के पुरस्कार इसी वर्ष २०१३ में मिल चुका है जिसे
केन्द्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने उनके घर जाकर प्रदान किया।  
 प्राण की मुंबई में अपनी फ़ुटबाल टीम थी। 
वह सिगार पीने के शौक़ीन थे और उनके पास सिगार का एक अच्छा संग्रह था। 
हमारी प्राण को काव्यांजलि प्रस्तुत है:
प्राण के जाने का दुःख हुआ है,
श्रद्धा सुमन अर्पित किया है.
इतिहास भूल न पायेगा उनको,
हिन्दी फिल्म का नायक महा है. 

कला के अनेक उपमान देकर,
जिसके दिल में  सागर छिपा है
असमानता की खाई पाटकर
फिल्म को अम्बर दिया है। 

ओस्लो, नार्वे १३ जुलाई २०१३

शनिवार, 29 जून 2013

Skeivedager i Oslo den 29. juni kl. 13:00 på Grønland i Oslo

Kulturminister Hadia Tajik ledet  paraden til Skeivedager i Oslo og Heikki Holmås, Politimester i Oslo, Byrådslederen og kulturbyråd var med paraden.

 Fra venstre kulturbyråd, politimester i Oslo, Suresh Chandra Shukla, Heikki Holmås og Byrådsleder i Oslo


 Fra venstre er Politimester i Oslo, Kultuminister Hadi Tajek, Suresh Chandra Shukla og Utviklings minister Heikki Holmås


Har du interessert å starte en foretak? - Suresh Chandra Shukla

 Informasjonsmøte om  muligheter for å starte eget foretak
Har du interessert å starte en foretak?  Det ble holdt et informasjonsmøte på torsdag den 27. juni på kontret til Bydel Grorud på Ammerudveien 22, Oslo. Cathrine Fochsen var foredragsholder og Faisal Hashmi var koordinator til møte. Det møttes flere organisasjons representanter og visste interesse for å starte eget foretak.
Gruppebilde av deltakere på møte:  
 På bilde nedenfor fra venstre er Fasal Hashmi koordinator, Cathrine Fochsen foredragsholder, Suresh Chandra Shukla forfatter og deltaker og representant for Bateriet, Kristine Ford 


 क्या आप अपना व्यापार शुरू करना चाहते हैं?
इस सम्बन्ध में एक कोर्स आयोजित किया जाएगा। इसलिये ग्रूरुद बीदेल, ओस्लो में स्थानीय संस्थाओं के अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया था सूचनाएं दी गयीं। विषय था कि  कैसे कोई अपना व्यापर आरम्भ कर सकता है?  इस कार्यक्रम के संयोजनकर्ता थे फैसल हाश्मी और सूचना दी काथरीने फोसेन ने।

 

रविवार, 23 जून 2013

'राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड' सुरेशचन्द्र शुक्ल को



१ १ जून को दिल्ली में पूर्व युवा प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की स्मृति में विभिन्न क्षेत्रों में पूरे जीवन में अभूतपूर्व योगदान के लिये सुरेशचन्द्र शुक्ल को 'राजीव गांधी एक्सीलेंस  अवार्ड' (लाइफ़ टाइम एक्चीवमेन्ट)  प्रदान किया गया।  यह सम्मान भारतीय केन्द्रीय मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल द्वारा दिया गया।  कार्यक्रम के संयोजक श्री वर्मा और संचालक नवीन चन्द्र शुक्ल थे।  इसमें पूर्व राज्य पाल और राज्यमंत्री जी भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम कान्टीटयूशन क्लब आफ इण्डिया, नयी दिल्ली के प्रांगण में आयोजित था।

रविवार, 16 जून 2013

वाइतवेत, ओस्लो, नार्वे में लेखक गोष्ठी सम्पन्न 


लेखक गोष्ठी में महिलाओं के मताधिकार के सौ वर्ष और नार्वे तथा स्वीडेन की यूनियन भंग होने आदि विशोयं पर विचार विमर्श किया गया।  इस अवसर पर थूरस्ताइन विन्गेर, नीना तथा सुरेशचंद्र शुक्ल ने अपने विचार
रखे और मीना मुरलीधर, अलका भरत, जयकार, हेमलता नोशीन आदि ने गीत गाये तथा इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन ने अपनी कवितायें पढीं।
हिन्दी स्कूल की संगीता शुक्ल सीमोनसेन ने सूचना दी कि हिन्दी की परीक्षायें स्कूलों में फिर से लागू कर दी गयीं हैं।  कार्यक्रम में रॉल्फ और तरु वांगेन, सपन रस्तोगी भी सम्मिलित हुईं। 


नेपाल में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मलेन और पुरस्कार समारोह ९ जून से १ १ जून तक संपन्न

काठमांडू १ १ जून २०१३  
संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया जाये- अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला मंच 
आशा पाण्डेय को पुरस्कृत करते हुए
चित्र में बाएं से तीर्थंकर विश्व विद्यालय के कुलपति, आनंद सुमन सिंह, इलाहाबाद विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो हरिराज सिंह, आशा पाण्डेय, शरद आलोक, शेर बहादुर सिंह और डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल 
काठमांडू, शंकर होटल में ९ से १ १ जून तक अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मलेन और पुरस्कार समारोह संपन्न हुआ जिसमें ५० पुस्तकों  और पत्रिकाओं का लोकार्पण हुआ।  इस सम्मलेन में एक दिन में जितने शोधपत्र और लेख प्रस्तुत किये गये उतने पहले एक साथ कभी प्रस्तुत नहीं किये गये।  शोधपत्रों और लेखों का स्तर ऊंचा था और सभी लेख सामयिक थे।  कार्यक्रम में नार्वे, संयुक्त  राष्ट्र अमेरिका, सिंगापुर और यू के के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाने पर अपने विचार प्रस्तुत किये।   
'हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य' शीर्षक पुस्तक में उन  अधिकाँश लेखों  को प्रकाशित किया गया था जो यहाँ पढ़े और प्रस्तुत किये गये थे।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ महेश दिवाकर थे।  मीडिया देख रहे थे मयंक पवार।
सभी भाग लेने वाले प्रतिनिधिगण या तो हिन्दी के अध्यापक, लेखक और सम्पादक तथा हिन्दी सेवी थे।
इस तीन दिन के कार्यक्रम में एक कवि सम्मलेन का आयोजन भी किया गया था जिसमें नेपाल, भारत, सिंगापुर, नार्वे, यू एस ए  और यू के के बहुत से कवियों ने अपनी रचनाओं से भाव विभोर कर दिया जिसका सफल सञ्चालन मनोज कुमार मनोज ने किया और जिसमें देवेन्द्र सफल,  राजेश्वर नेपाली,  करुणा पाण्डेय, मीना कॉल, आशा पाण्डेय ओझा, कमलेश अग्रवाल, सुरेशचन्द्र शुक्ल और बहुत से कवियों ने हिस्सा लिया था।
प्रसिद्द साहित्यकार डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल, डॉ महेश्वेता चतुर्वेदी, शेर बहादुर सिंह, सावित्री,  प्रो. बाबूराम डॉ विनय कुमार शर्मा, राम कठिन सिंह, राजा आनंद सुमन सिंह, चन्द्रकान्त मिसाल, राम गोपाल भारतीय और बहुत से विद्वानों ने कार्यक्रम को सफल बनाया। 
कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी ने मुझसे मेरे कैमरे का मेमोरी कार्ड कार्यक्रम के चित्र कापी करने  के लिए माँगा जिसमें मेरे भोपाल, दिल्ली और नार्वे के बहुत जरूरी चित्र थे, पर जब मेमोरी कार्ड वापस मिला तो उसका कोना  टूटा था, अतः  भोपाल, दिल्ली आदि के चित्र आपके साथ साझा नहीं कर सका।  कभी-कभी ऐसा भी होता है।  काठमांडू में एक फोटो-कैमरे की दूकान से दूसरा मेमोरी कार्ड और एक पेन ड्राइव खरीदा, मेरे साथ डॉ रामगोपाल भारतीय भी थे।

अटल बिहारी विश्वविद्यालय का शिलान्यास और विज्ञान संगोष्ठी

अटल बिहारी विश्वविद्यालय का शिलान्यास और विज्ञान संगोष्ठी 
राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन 



६ एवं ७ जून को भोपाल, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन संपन्न हुआ।  संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को प्रतिष्ठित करने वाले अप्रतिम वक्ता, सुप्रसिद्ध कवि, एवं पूर्व यशस्वी प्रधानमंत्री और विपक्ष के सफल नेता अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर देश को गौरवपूर्ण उपलब्धि  देने के लिए मध्य प्रदेश शासन, द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना १९  दिसंबर २०११ को की गयी है।
अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के शिलान्यास के लिए महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुकर्जी ने अपने कर कमलों से किया।  इस  शिलान्यास  कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और देश की लोकसभा की नेता सुषमा स्वराज, उच्च  शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश और कुलपति प्रो.मोहनलाल छीपा तथा कार्यक्रम के संयोजक प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल ने अपने संदेशों से राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन को प्रोत्साहित किया और सफल बनाने के लिए शुरुआत की। संयोजक प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल  मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हैं तथा गत दिसंबर में उज्जैन में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन कर चुके हैं जिसमें प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, प्रेम भारती,  श्री पराड़कर जी सहित बहुत से विद्वतजन देश-विदेश से भाग लेने आये थे।

इस  राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान हिन्दी सम्मलेन में देश विदेश के जाने माने हिन्दी के विद्वानों ने हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी विषयों पर अच्छी सुगम पाठ्य पुस्तकें लिखने का वचन दिया और इसके लिए औरों को भी लिखने के लिए आह्वाहन किया।  
चिकित्सा विश्व विद्यालय जबलपुर के उपकुलपति प्रो. लोकवानी और  लखनऊ मेडिकल कालेज के प्रोफ़ेसर प्रो. सूर्यकान्त  सहित अनेक विद्वानों ने अपने हिन्दी में शोधपत्र और्परीक्षा देने और चिकित्सा की पुस्तकों को हिन्दी में लिखने पर बल देते हुए कहा कि  जो बच्चा अपनी मात्र भाषा में शिक्षा गृहण करता है उसके दिमाग के दोनों तरफ के चक्छुओं का इस्तेमाल होता है और इससे बच्चे को कम थकावट होती है, यह शोध द्वारा सिद्ध हो चुका है।  इसके साथ ही बच्चा पांच - छ: भाषाओँ को बचपन में सीखने की छमता रखता है।
मारीशस से विश्व हिन्दी सचिवालय के सचिव और लेखक गुलशन सुखलाल और नार्वे से पधारे स्पाइल-दर्पण हिन्दी-नार्वेजीय द्विभाषी पत्रिका के सम्पादक और अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी समिति के सलाहकार  सुरेशचन्द्र शुक्ल ने बताया की विदेशों में हिन्दी का पठन-पाठन  तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि केवल नार्वे में हिन्दी शिक्षा देने के लिए निजी संस्थायें तेजी से संख्या में बढ़ रही हैं। हिन्दी स्कूल ओस्लो एक धार्मिक और राजनैतिक रूप से स्वतन्त्र स्कूल है जहाँ कक्षा एक से दसवीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है। विश्वविद्यालय के क्षात्र भी जहाँ यदा -कदा आते रहते हैं। 
देश के कोने-कोने से आये विद्वानों ने वैदिक गणित, राम साहित्य, अनुवाद साहित्य आदि अनेक विषयों से लाभान्वित कराया। लखनऊ की डॉ  विद्याविन्दु सिंह, वाराणसी से प्रो. दुबे, प्रो विद्योत्मा मिश्र,  प्रो शेशारतनम आदि सहित बहुत लोगों ने अपने विचारों से लाभान्वित कराया।