भारत का संविधान दिवस 26 नवम्बर और मेरी पहली क्रिसमस पार्टी
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
बीच में बैठी कथाकार स्तीएन
1-कल शनिवार तारीख 26 नवम्बर 2016 थी. इस दिन भारतीय संविधान लागू किया गया था.
2-कल ओस्लो में लेखकों की बैठक में सम्मिलित होकर मुझे बहुत अच्छा लगा. बैठक के बाद क्रिसमस पार्टी थी जिसमें अपने पुराने कवि मित्र आर्ने रूस्ते Arne Ruste से मिला।
आर्ने रूस्ते Arne Ruste पहले नार्वेजीय लेखक सेंटर के अध्यक्ष रह चुके हैं.
हम दोनों अनेक बार मिले और साथ-साथ अपनी कवितायें एक मंच से पढ़ीं और अनेक साहित्यिक कार्यक्रम में शामिल हुये।
जब वह नार्वेजीय लेखक सेंटर (Norsk Forfattersentrum) अध्यक्ष थे तब हम दो बार सहमत नहीं हुए थे. हमारे अपने-अपने तर्क थे. तब अनेक बार बातचीत और पत्राचार के बाद सहमत हुये थे.
यदि भारत में इस तरह हम असहमत होते तो लोग दुश्मन समझ सकते थे क्योकि अनेक मामलों में भारत में लेखक और उनकी संस्थायें आलोचकों से दूरी बनायी रखती हैं. मेरा विचार है कि कंस्ट्रक्टिव (स्वस्थ) आलोचना हमेशा सही होती है.
हम भले ही विचारों में मतभेद या अलग-अलग विचाओं के हो सकते हिआँ पर साथ बातचीत कर सकते हैं संवाद बहुत जरूरी है.
दूरी बनाये रखने और लड़ने झगड़ने से सत्य को कभी असत्य नहीं साबित किया जा सकता।
समय से ध्यान देने से बल्कि अनेकों बार असत्य को छापने से रोक जा सकता है.
सूरज हमेशा पूरब से निकलता है. यदि कोई कहता है और लिखता है कि सूरज पश्चिम से निकलता है तो गलत है कोई विशवास नहीं कर सकता।
असमंजस की स्थिति में जानकार लोगों से पूछ लेना चाहिये।
एक भारतीय लेखक नार्वे आये. उन्होंने वापस जाकर लिखा कि नार्वे में 6 महीने लगातार दिन रहता है और 6 महीने लगातार रात रहती है. मैंने उन्हें बताया कि जो आपने लिखा वह गलत है. वह गुस्सा हो गये. सत्य यह है कि नार्वे में उत्तर भागों में जहाँ ध्रुवीय रेखा होकर गुजरती हैं वहां दो महीन सूरज नहीं डूबता। केवल दो महीने वह भी गर्मी के महीनों में। इसलिए नार्वे को आधीरात के सूरज वाला देश कहते हैं.
कल मेरी बातचीत से हुई उन्होंने बताया की नोबेल पुरस्कार विजेता वी एस नायपॉल से वह कई बार मिले हैं. नोबेल पुरस्कार विजेता से भी उन्होंने लंबा संवाद किया है.
इसके बाद उत्तरी नार्वे की कहानीकार लेहिक्का से भी बातचीत हुई दोबार आ मिलने का वायदा हम लोगों ने किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें