आओ मिलकर काम करें,
अब नहीं और आराम करें।।
पढ़ लिखकर सब साक्षर होंगे,
न कोई दलित न सवर्ण बनेगा।
देश विकास में बाल युवा सब,
अपनी आहुति, बढ़ कर देगा।।
गरीब-अमीर ही दो धारायें है,
इनके मध्य दूरियाँ कम हों।
कभी धाराओं में कभी बंटें ना,
सर्व प्रथम देश की जय-जय हो।।
अपने अन्दर और घरों में,
जब कम से कम कचरा होगा।
गाँधी जी का मानवता का,
सबका सपना पूरा होगा।।
भूखे स्कूल ना बच्चें
जायें,
जहाँ सब समान शिक्षा पायें।
आरक्षण को तुरंत हटायें,
निशुल्क स्वास्थ-शिक्षा सब पायें।।
अवकाश बाद श्रमदान करें
आओ मिलकर मार्ग बनायें
।
गाँव-गाँव में, राह बनायें,
सबको पानी साफ़ पिलायें।।
ऐसा देश बनायें भारत को,
पानी मिट्टी नहीं बिकेगी।
घर-घर कर्मों के देवालय,
कामगरों का देश बनायें।।
आओ जिनके पास हाथ हैं,
आओ मिलकर काम करें,
हमें चाहिये प्रायोगिक शिक्षा,
अब नहीं और आराम करें।।
आये दिन हो रहा तमाशा,
लोकतंत्र को लूट रहे हैं?
वोट मांगकर गद्दी पाकर,
कर्तव्यों को भूल गए हैं।।
नहीं चाहिए मोटर गाड़ी,
बहुत लोग भूखे सोते हैं।
साइकिल और ई रिक्शे से,
अपनी यात्रा पूर्ण करेंगे।।
तेल का कम आयात करेंगे,
बैंकों का राष्ट्रीयकरण करेंगे।
जितने भी उद्द्योग देश में,
उनका राष्ट्रीयकरण करेंगे।।
अमीर भी अब काम करेंगे,
नहीं बैठ आराम करेंगे।।
निजी बैंक अब नहीं रहेंगे।
देश को मालामाल करेंगे।।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo, 12.03.2020
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