बुधवार, 18 जून 2025
नार्वे में लेखक सेमिनार - सुरेश चंद्र शुक्ल
सोमवार, 9 जून 2025
राहुल गाँधी : मैच फिक्स किए गए चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर हैं!
वैश्विका में: ( 18.06.25)
मैंने तीन फरवरी को संसद में दिए अपने भाषण और उसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया को लेकर चिंता जाहिर की थी. देश में हुए चुनावों को लेकर मैंने पहले भी संदेह जताया है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हर चुनाव में और हर जगह धांधली होती है, लेकिन जो हुआ है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. मैं छोटी-मोटी गड़बड़ियों की नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्रीय संस्थानों पर कब्जा करके बड़े पैमाने पर की जा रही धांधलियों की बात कर रहा हूं.
पहला चरण-अम्पायर तय करने वाली समिति में हेराफेरी
चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि चुनाव आयुक्त प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा 2:1 के बहुमत से चुने जाएं, जिससे तीसरे सदस्य, विपक्ष के नेता के वोट को अप्रभावी किया जा सके. यानी जिन लोगों को चुनाव लड़ना है, वही अम्पायर भी तय कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर उनकी जगह चयन समिति में एक कैबिनेट मंत्री को लाने का फैसला गले से नहीं उतरता. सोचिए, महत्वपूर्ण समिति से एक निष्पक्ष निर्णायक को हटाकर कोई अपनी पसंद का सदस्य क्यों लाना चाहेगा? जैसे ही आप खुद से यह सवाल पूछेंगे, आपको जवाब मिल जाएगा.
दूसरा चरण - फर्जी मतदाताओं के साथ मतदाता सूची मैं वृद्धि
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी. पांच साल बाद, मई 2024 के लोकसभा
चुनावों में यह संख्या बढ़कर 9.29 करोड़ हुई. लेकिन उसके सिर्फ पांच महीने बाद, नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 9.70 करोड़ हो गई. यानी पांच साल में 31 लाख की मामूली वृद्धि, वहीं सिर्फ पांच महीनों में 41 लाख की जबरदस्त बढ़ोत्तरी! पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 9.70 करोड़ पहुंचना असाधारण है, क्योंकि यह सरकार के खुद के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र के वयस्कों की कुल आबादी, 9.54 करोड़ से भी अधिक है.
तीसरा चरण फर्जी मतदाता जोड़ने के बाद, मतदान प्रतिशत भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाना
ज्यादातर मतदाताओं और ऑब्जर्वर्स के लिए महाराष्ट्र में मतदान का दिन बिल्कुल सामान्य था. बाकी जगहों की तरह ही, लोगों ने पंक्तिबद्ध होकर मतदान किया और घर चले गए. जो लोग शाम 5 बजे तक मतदान केंद्रों के अंदर पहुंच चुके थे, उन्हें मतदान करने की अनुमति थी. कहीं से भी किसी मतदान केंद्र पर ज्यादा भीड़ या लंबी कतारों की कोई खबर नहीं आई. लेकिन चुनाव आयोग के अनुसार, मतदान का दिन कहीं अधिक नाटकीय था. शाम 5 बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22 था. हालांकि, मतदान खत्म होने के बाद भी मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ता ही रहा. अगली सुबह जो आखिरी आंकड़ा सामने आया, वह 66.05% था. यानी 7.83% की अचानक बढ़ोत्तरी हुई, जो कि करीब 76 लाख वोटों के बराबर है. वोट प्रतिशत में इस तरह की बढ़ोत्तरी महाराष्ट्र के पहले के किसी भी विधानसभा चुनाव से कहीं ज्यादा थी.
(संलग्न तालिका देखें).
वर्ष प्रोविजनल अंतिम अंतर (%)
मतदान (%) मतदान (%)
2009 60.00 59.50 -0.50
2014 62.00 63.08 1.08
2019 60.46 61.10 0.64
2024 58.22 66.05 7.83
चौथा चरण- चुनिंदा जगहों पर फर्जी वोटिंग ने बीजेपी को ब्रैडमैन बना दिया
इनके अलावा भी कई और गड़बड़ियां हैं. महाराष्ट्र में करीब 1 लाख बूथ हैं, लेकिन नए मतदाता ज्यादातर सिर्फ 12,000 बूथों पर ही जोड़े गए. ये बूथ उन 85 विधानसभा के थे, जहां भाजपा का पिछले लोकसभा चुनाव में बुरा प्रदर्शन था. मतलब हर बूथ में शाम 5 बजे के बाद औसतन 600 लोगों ने वोट डाला. अगर मान लें कि हर व्यक्ति को वोट डालने में एक मिनट भी लगता है, तब भी मतदान की प्रक्रिया 10 घंटे तक और जारी रहनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कहीं नहीं हुआ। ऐसे में सवाल यह है कि ये अतिरिक्त वोट आखिर डाले कैसे गए? जाहिर है कि, इन 85 सीटों में से ज्यादातर पर एनडीए ने जीत दर्ज की.
चुनाव आयोग ने मतदाताओं की इस बढ़ोत्तरी को 'युवाओं की भागीदारी का स्वागत योग्य ट्रेंड' बताया. लेकिन यह 'ट्रेंड' सिर्फ उन्हीं 12,000 बूथों तक सीमित रहा, बाकी 88,000 बूथों में नहीं। यदि यह मामला गंभीर नहीं होता, तो इसे एक शानदार चुटकुला समझकर हंसा जा सकता था.
कामठी विधानसभा इस धांधली की एक अच्छी केस स्टडी है. वर्ष 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को वहां 1.36 लाख वोट मिले, जबकि बीजेपी को 1.19 लाख. 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फिर लगभग उतने ही, 1.34 लाख वोट मिले. लेकिन बीजेपी के वोट अचानक बढ़कर 1.75 लाख हो गए. यानी 56,000 वोटों की सीधी बढ़ोत्तरी. उन्हें यह बढ़त उन 35,000 नए मतदाताओं के कारण मिली जिन्हें इन दोनों चुनावों के बीच कामठी में जोड़ा गया था. ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डाला था और जो नए मतदाता जुड़े, उनमें से लगभग सभी चुंबकीय ढंग से भाजपा की ओर खिंचते चले गए. इससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि वोट को आकर्षित करने वाला चुंबक कमल के आकार का था.
ऊपर चर्चा किए गए चार तरीकों को अपनाकर बीजेपी ने 2024 के विधानसभा चुनाव में जिन 149 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 132 जीत लीं, यानी 89% की स्ट्राइक रेट. यह अब तक के किसी भी चुनाव में उसका सबसे बेहतर प्रदर्शन था. जबकि सिर्फ 5 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी की स्ट्राइक रेट मात्र 32% थी.
पांचवां चरण - सबूतों को छुपाने की कोशिश
चुनाव आयोग ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब या तो चुप्पी से दिया या फिर आक्रामक रवैया अपनाकर. उसने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की फोटो सहित मतदाता सूची सार्वजनिक करने की मांग को सीधे खारिज कर दिया है. इससे भी गंभीर बात यह है कि विधानसभा चुनाव के ठीक एक महीने बाद, जब एक उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज साझा करने का निर्देश दिया, तो केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से सलाह लेने के बाद निर्वाचनों के संचालन नियम, 1961 की धारा 93(2) (a) में बदलाव कर दिया. इस बदलाव के जरिये सीसीटीवी और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डस तक पहुंच को सीमित कर दिया गया है. यह बदलाव और इसका समय दोनों ही अपने आप में बहुत कुछ बयां करते हैं. हाल ही में एक जैसे या डुप्लीकेट ईपीआईसी नंबर सामने आने के बाद फर्जी मतदाताओं को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई हैं. हालांकि असली तस्वीर तो शायद इससे भी ज्यादा गंभीर है.
मतदाता सूची और सीसीटीवी फुटेज लोकतंत्र को मजबूत करने के औजार हैं, न कि ताले में बंद करके रखे जाने वाले सजावटी सामान. वो भी खासकर तब, जब लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ हो रहा हो. देश के लोगों का अधिकार है कि उन्हें भरोसा दिलाया जाए कि किसी भी रिकॉर्ड को नष्ट नहीं किया गया है और आगे भी ऐसा नहीं किया जाएगा. कई जगह यह आशंका जाहिर की जा रही है कि अगर रिकॉर्डस की जांच की जाए तो जानबूझकर कुछ मतदाताओं के नाम सूची से हटाने या मतदान केंद्र बदले जाने जैसी धांधली सामने आ सकती हैं. ये भी संदेह है कि इस तरह की चुनावी धांधली कोई एक बार की नहीं, बल्कि कई सालों से चलती आ रही है. इसमें कोई शक नहीं कि रिकॉर्डस की गहराई से जांच की जाए तो न सिर्फ पूरे धोखाधड़ी के तरीके का पता चल सकता है, बल्कि ये भी सामने आ सकता है कि इसमें किन-किन लोगों की भूमिका थी. लेकिन दुख की बात ये है कि विपक्ष और जनता, दोनों को हर कदम पर इन रिकॉर्डस तक पहुंचने से रोका जा रहा है.
यह समझना कठिन नहीं है कि महाराष्ट्र में नवंबर 2024 के चुनाव में इस हद तक धांधली क्यों की गई लेकिन चुनाव में धांधली मैच फिक्सिंग की तरह होती है. भले ही टीम मैच फिक्स करके एक खेल जीत जाए, लेकिन इससे संस्थाओं की साख और जनता के भरोसे का जो नुकसान होता है, उसे फिर से बहाल नहीं किया जा सकता.
मैच फिक्स किए गए चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर हैं!
शनिवार, 7 जून 2025
आज ना जागे तो देर हो जायेगी Poem-Suresh Chandra Shukla
आज ना जागे तो देर हो जायेगी
सोमवार, 26 मई 2025
प्रवास की पहली उड़ान (नार्वे से कहानी) - सुरेश चंद्र शुक्ल
प्रवास की पहली उड़ान
सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo, Norway
“अम्मा! बाबू जी (पिताजी) अभी घर
नहीं आये हैं। उनके नेता अस्पताल,
आई
सी यू में भर्ती हैं। बाबू जी ड्राइवर हैं। मालिक अस्पताल में हैं। क्यों नहीं
बाबू जी घर आ जाते”,
कमला ने माँ से कहा।
“बाबू जी अपने मालिक को
छोड़कर नहीं आने वाले। ठीक भी है। मालिक का न कोई आगे है न कोई पीछे, बाबू जी जो नेताजी के ड्राइवर हैं, कैसे अपने नेता को आई सी यू में छोड़कर चले
जायें,
माँ राधा ने जवाब दिया ।
कमला ने अपनी माँ राधा
से संवाद जारी रखा,
“अम्मा देखो, अखबार आज किन खबरों से भरा है, ‘रक्त में सिंदूर’ जो आत्म हत्या, कायरता का प्रतीक है। और ‘विज्ञापन में
सिंदूर’ देश की सम्पत्ति को पोस्टर प्रदूषण में बर्बाद का प्रतीक बन गया है’, जो देश में देशवासियों में चिंता का विषय
है।”
“अम्मा! देखो ना दो दिन
हो गये, बाबू जी अभी भी घर नहीं आए हैं। नेता जी अस्पताल में अंतिम सांसें गिन रहे
हैं। मेरे पिताजी (बाबू जी) तो नेता जी के ड्राइवर हैं। लोग कह रहे हैं। कि बाबू
जी को पुलिस गिरफ़्तार करके ले गई है। वे बाबू जी से पता लगाना चाहते हैं कि आई सी यू में साँसे
गिन रहे बाबू जी और कौन सी हकीकत जनता को बताना चाहते हैं, ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके।”
“बेटी, कमला परेशान न हो। बाबू जी को कुछ नहीं
होगा। बाबू जी के साथ राजनीतिक कैदी सा व्यवहार होगा। उसमें बुराई क्या है। लोकतंत्र बचाने के लिए
किसी- न किसी को तो आगे आना होगा।”
“अम्मा! मुझे। डर लग रहा है। अगर बाबू जी को कुछ हो
गया तो?”
“ बेटी कमला बिलकुल परेशान मत हो। बस डरना ही नहीं है। अगर हम डर गये तो
धीरे-धीरे हमारे लोकतांत्रिक अधिकार छिनते
जायेंगे।”
“अम्मा तुम किस मिट्टी की बनी
हो। आज जिन्हें आवाज उठाना चाहिए घरों में दुबके पड़े हैं। जैसे डर का करोना आ गया
हो। अम्मा! मुझे जोर की भूख
लगी है।”
“आ बेटी, मैं
तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रही थी।
चाय
बनाकर लायी हूँ। पहले चाय पी लो”, कहकर मेज पर दो
कप चाय लेकर आयी और बैठ गयी।
कमला कुर्सी पर बैठ गई
और चाय के प्याले से चाय सुड़कते हुए कहा,
“अम्मा, चाय बहुत स्वादिष्ट बनी है, मजा आ गया।”
“बेटी, तू मेरी और पिताजी की चिंता न कर। तू बता
तेरा अमरीकी यूनिवर्सिटी में एडमिशन हो गया था। तेरा काल लेटर भी आ गया है, उसकी तैयारी कर।“
“अम्मा मेरी हॉर्वर्ड
यूनिवर्सिटी में शीर्ष नेता/ सरकार ने रोक लगा दी है कि विदेशी स्टूडेंट अब नहीं
पढ़ सकेंगे। पर मेरे पास कोई ऐसा पत्र तो नहीं आया।”
“इन नेताओं की सभी बातों
पर भरोसा मत किया कर। ये सनकी नेता उजूल-फजूल कहते रहते हैं", कहकर आगे राधा ने बात जारी रखी,
“आज हम सब सनकी ट्रंप
जैसों के समय में उनके राज्य में जीने को मजबूर हैं। जहाँ न्याय और सत्य के लिए
विरोध करने वाले को गिद्ध मीडिया
नोचता है, लोकतंत्र वधू की ईज्जत
को तार-तार करने में सरकारी एजेंसियाँ लगी हैं।
सनकी राजा मदारी और अंधभक्त जमूरे की
तरह तमाशाई बने हैं। सच्चाई से अन्याय का विरोध करने
वाले विपक्षी नेता आई सी यू में रहने के बावजूद छापे और सरकारी एफ आई आर से परेशान
हैं।”
“अम्मा! यह बताओ, जहाँ आतंकी हमला होता है वहाँ कोई सिपाही नहीं था
और आज विपक्ष का नेता जो आई सी यू (अस्पताल) में भरती है उसके वार्ड के बाहर सरकारी एजेंसी और पुलिस
वालों की फौज़ लगी है। आई सी यू का मरीज नेता कैसे भाग जायेगा जो शायद अंतिम सांसे
गिन रहा है”, कमला ने पूछा।
माँ राधा ने चिंता
व्यक्त करते हुए कहा,
“नेता जी ने ही तेरे
अमेरिका में हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी की फीस के लिए लोन लिया है। तुम्हारे पिता को
भाई की तरह मानते हैं। तू यहाँ पढ़ाई में अव्वल रही इसकी वजह से तेरा प्रवेश हो
गया। शुक्र मना कि तेरा वीज़ा भी लग गया। वरना अमेरिकी प्रेसिडेंट तो विदेशी
स्टूडेंट के अमेरिका में रोक लगाने की बात कह रहे हैं।”
कमला ने जवाब दिया,
“अम्मा, मैं तुम्हें यहाँ इस हालत में छोड़कर जाने
वाली नहीं हूँ।”
राधा ने तंज कसते हुए
नेताओं की भाषा में कहा,
“एक सौ चालीस करोड़
भारतीय हैं हमारे साथ। तुम चिंता न करो। देख तेरा अमेरिका जाने का एयर टिकट
कोरियर-डाक से आ गया है। मैंने उसे खोलकर देखा और तेरी दराज में रख दिया है। तेरे जाने की तैयारी में भी लग
गयी।”
कमला ने दराज से टिकट
निकाला और फूली नहीं समायी और उसने अपनी माँ को बाहों से भरकर गले लगाया और बताया,
“अम्मा! तीन दिन बाद मेरी फ्लाइट
है।”
कमला कुछ आगे कहती कि
माँ राधा ने जवाब दिया,
“मैंने तेरी अटैची में
भागवत गीता, रामायण रख दी
है। साथ ही चाय की पत्ती। तुझे आसाम की चाय पसंद है न। रास्ते के लिए तेरी पसंद के
आलू के पराठे योगेश की पत्नी दिल्ली में बना देगी। योगेश एयरपोर्ट पर लोडर का काम
करता है। जहाज में पता
नहीं कैसा खाना मिले।”
कमला की आँखों में ख़ुशी
के आँसू आ गये। उसने कहा,
“अम्मा! तुम कितनी अच्छी हो। मैं
अपनी सहेलियों को बुला लेती हूँ। उनसे मिल लूँगी।”
राधा ने जवाब दिया,
“तुम्हारे पास समय नहीं
है। आजकल तो तुम जब
चाहो फेस टाइम पर मोबाइल से बात कर सकती हो। तेजी से तैयारी करो। एक महीने का अमेरिका लिए
यहाँ से ही प्रीपेड इंटरनेट, फोन आदि का
इंतज़ाम आज ही कर लो। यह तो अच्छा है कि नेता जी की भतीजी भी विदेश में पढ़ती है, उससे भी तुझे मदद मिल जायेगी।”
कमला ने माँ से कहा,
“अम्मा! अमेरिका में प्रवेश और
फीस जमा होने के बाद वहाँ से भी सारी जानकारी आयी थी कि किस बात का ध्यान रखना है
और किस बात का ध्यान नहीं रखना है।”
“कल सुबह की रेल से ही
सुबह दिल्ली के लिए निकल जा। ताऊ जी का बेटा योगेश इन्दिरा गाँधी इंटरनेशनल
एयरपोर्ट में लोडर है। उसी के घर रुक जाना।
तेरी टिकट देखने के बाद
मैंने योगेश और उसकी पत्नी से बात कर ली है।
अच्छा हुआ तुमने वीजा के
लिए आवेदन के पहले स्वास्थ संबंधी सभी आवश्यकतायें पूरी कर ली सारे टीके लगवा लिए
थे। देखना, तुम्हारा अप टू डेट रहना सदा काम आयेगा।”
आज सभी जागरूक लोग
आत्मनिर्भर और समय और स्थिति के हिसाब से अपडेट रहते हैं। आज समय की भी यही आवश्यकता है।
कमला ने अपनी माँ राधा
से पूछा,
“अम्मा जाने के पहले
नेताजी और पिताजी से मिल लूँ।”
माँ ने कहा,
“बिलकुल नहीं। कहीं तुम्हें पूछताछ के
लिए रोक लिया तो मुश्किल हो जायेगी। भगवान का नाम लो, सभी के बारे में शुभ-शुभ सोचो। सारे बिजली, फोन,
बीमा
आदि की फाइल संभाल कर रख दो और अपना यूनिवर्सिटी और जरुरी नंबर, एयर टिकट की कापी आदि आज ही कराकर रख दो।”
समय बीतते देर नहीं
लगती। कमला रेल से
दिल्ली और दिल्ली में हवाईअड्डे पर टिकट खिड़की से बुकिंग की अटैची जमा की और हैंड
बैग और पीठ के थैले में लैपटॉप और पराठे लेकर सुरक्षा जाँच के बाद अमेरिका जाने
वाले जहाज पर सवार हो गई है। माँ को जहाज में सवार होने की सूचना देकर फोन को
एयरमोड पर कर लिया है।
कितनी भाग्यशाली है वह
कि उसे हॉर्वर्ड में पढ़ाई के लिए प्रवेश मिला है। अफवाह है कि अमेरिकी प्रेसीडेंट
के पुत्र को हॉर्वर्ड में प्रवेश नहीं मिला है इसीलिए उसने उस विश्वविद्यालय की
आर्थिक मदद बंद करने के आदेश दिये हैं।
वह सोचती है कि अच्छा है कि वह कभी वाट्सऐप यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ी अर्थात्
वह फेकन्यूज़, अफवाह और
उलटे-गलत समाचारों से बची रही। वही समय पढ़ाई और अपने तथा परिवार की देखरेख में
लगाया।
वह एक खिलाड़ी की तरह
आगामी भविष्य के एक-एक घंटे का सक्रिय प्रयोग करेगी।
माँ राधा ने आसमान पर
नजर डाली। एक जहाज आसमान
पर उड़ रहा था और वह संतुष्ट है कि उसकी बेटी ने अपने प्रवास की नयी उड़ान भरी है।
Address: Suresh Chandra Shukla,
Vollebekkveien 2 L, 0598 – Oslo, Norway
मंगलवार, 20 मई 2025
आखिरी कदम से पहले (कहानी) - सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
नार्वे से कहानी
मंगलवार, 13 मई 2025
आँखियों के खरोखे में -सुरेश चंद्र शुक्ल
आँखियों के खरोखे में
सुरेश चंद्र शुक्ल
ओस्लो, नार्वे
एक
दिलासा दे रहे हैं अमलतास।
खिलखिलाते रहे हैं अमलतास।
झालरें ज्यों छू रही आकाश,
झूमरों से झूलते अमलतास।
कभी पूरी हो न सकी वह आस,
प्रेम कहीं हो ज्ञान का इतिहास।
तपती जेठ ग्रीष्म रथ पर सवार,
हाथ पीले कर रही अमलतास।
धू धू कर धधक कर
अमलतास खिल जाते हैं।
आँगन में पीले सफ़ेद
हरसिंगार बिछ जाते हैं।
हरसिंगार महकता बगिया में,
चाँदनी साथ खिलती थी।
भू से चुन चुनकर लाता,
फिर प्रिय को देने जाता।
सुदर्शन, बेला और चमेली,
गुलाब सदा हँसता था
रातरानी की महक से
पथिक भी रुकता था.
दो
कबूतर का आँख बंद गुटर गूँ,
पंछी का आँगन में चहचहचहाना।
तब बयार का द्वार खटखटाना,
सुराही सी याद तेरी आना।
पहरा दे, द्वार पर सो रही माँ,
छोटे घर में लाज ही दीवार।
बयार बैरन प्रिय खटखटाती,
आँख लगी है कौन खोले द्वार।
आकाश से आँगन उतरे पंछी,
सूप से अनाज बछोर रही माँ।
फुदक कर दाना चुग रही चिड़िया,
आज हमारी अँगुली पकड़े माँ।
ओस्लो, 13.05.25
गुरुवार, 2 जनवरी 2025
जीवन तुम खुशहाल हो - Suresh Chandra Shukla
जीवन तुम खुशहाल हो
सेलीना के नाम पत्र Brev til Selina - Suresh Chandra Shukla
सेलीना के नाम पत्र Brev til Selina
मेरी पौत्री तुम बेमिसाल हो।
जीवन तुम बेमिसाल हो - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
जीवन तुम बेमिसाल हो - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'