बुधवार, 27 दिसंबर 2017
शनिवार, 2 दिसंबर 2017
गुरुवार, 30 नवंबर 2017
तीन बहुत आवश्यक देश हित में सवाल- BBC से साभार
तीन बहुत आवश्यक देश हित में सवाल। चित्र वेबदुनिआ
- पहला सवाल, जब सरकार ने ये डील कैंसल की तो आपके नए कॉन्ट्रैक्ट में हवाई जहाज़ का दाम बढ़ा या कम हुआ.
- दूसरा सवाल, आपने ये कॉन्ट्रैक्ट जिस उद्योगपति को दिया है, उसने अपनी ज़िंदगी में कभी हवाई जहाज़ नहीं बनाया है. एचएएल कंपनी 70 साल से हवाई जहाज़ बना रही है. क्या कारण था कि आपने एचएएल कंपनी से ये कॉन्ट्रैक्ट छीनकर अपने उद्योगपति मित्र को दिया.
- तीसरा सवाल, डिफेंस के हर कॉन्ट्रैक्ट में कैबिनेट की सुरक्षा कमिटी से मंजूरी लेनी पड़ती है. हमारी थल सेना, वायु सेना और नेवी कुछ भी ख़रीदे, पहले ये परमिशन लेनी पड़ती है. जब आपने हज़ारों करोड़ का ये कॉन्ट्रैक्ट बदला तो क्या आपने इसकी इजाजत ली. जवाब हां या न में दें.
बीबीसी हिन्दी
बुधवार, 29 नवंबर 2017
लोकलुभावन राष्ट्रवाद देश एक लिए घातक होता है. - रघुराम राजन hindi.wevdunia.com से साभार
रघुराम राजन ने कहा, लोकलुभावन राष्ट्रवाद देश के लिए घातक।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने
टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि अगर सरकार सिर्फ अपने समर्थकों
की बात सुनने से परहेज करेगी तो गलतियां कम करेगी। रघुराम राजन ने यह भी
कहा कि लोक लुभावन राष्ट्रवाद अर्थव्यवस्था
के लिए नुकसानदायक होता है। विदित हो कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के
बाद अर्थव्यवस्था के भी 'राष्ट्रवादी' और 'संस्कारी' बनाने का प्रयास किया
जा रहा है।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने केन्द्र और राज्य सरकारों को नसीहत
दी है और कहा है कि सभी सरकारों को केवल अपने समर्थकों की मांगों के आधार
पर काम करने की बजाय व्यापक स्तर पर लोगों की बात सुननी चाहिए ताकि गलतियों
के होने की संभावना कम से कम हो। वे रविवार को एक कार्यक्रम में शामिल
होने के लिए दिल्ली में थे, जहां उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी।
धार्मिक भावनाओं और धर्म की बात करने वाले नेताओं से दूर रहें और उन्हें तवज्जो नहीं दीजिये। -शरद आलोक Suresh Chandra Shukla
दुनिया भर के मित्रों! आज विश्व ज्ञान-विज्ञान और मानवता की बात कर रहा है जो बहुत जरूरी है.
सभी को शिक्षा मिले ताकि आदमी अपने कर्तव्यों और अधिकारों को जाने और उसका पालन करे.
शान्ति, सद्भाव, सर्वधर्म भाव जरूरी है.
जब देश में चुनाव होते हैं नेतागण जनता से कहते हैं तुम भूखे रहकर बहुत सहनशील हो देवताओं की तरह हो.
सावधान रहें।
मेरी कविता
शरद आलोक
नेता कुछ नहीं देता लेकिन सब कुछ ले लेता
"नेता कुछ नहीं देता लेकिन सब कुछ ले लेता।
झूठे नारों झूठे वायदों से सबको बस में कर लेता।
समस्या बनी रहें इसलिए समस्याओं का ठीकरा विपक्षी पर ठोंकता।
कभी भावनाओं को भड़काता
कभी फुसलाता
चुनाव के पहले कितने ही लालीपाप दिखाता
चुनाव के बाद नारद सा लोप हो जाता।
न्याय पालिका को अपना औजार बनाता
विपक्षी दलों पर खूब मुक़दमे चलाता
हाँ यह भारत का सत्ता धारी नेता होता
उसका दल और समाज से कोई बतलब नहीं होता
इसीलिये दूसरी पार्टी के प्रतिनिधि रोज तोड़ता
दूसरों के घरों की कीमत पर अपने सपने पूरे करता।
यह नेता कुछ नहीं देता लेकिन सबकुछ ले लेता।
नोटबन्दी-डिजिटल जासूसी से खूब डराता,
चालीस प्रतिशत निरक्षर जनता को और डराता
उन्हें साक्षर करने की जगह राशन कार्ड से जोड़ता,
जनता को खूब मूर्ख बनाता।
हम उसको हंटर देते और वह हमपर खूब बरसाता।
जब तक हम भूख से मरेंगे
किसान फांसी पर चढ़ेंगे
ये नेता बने रहेंगे।
प्रजातंत्र का गला घोंटेंगे।
हम अहिंसा के पुजारी
देशी की रट लगाता और विदेशी लाखों का सूट पहनता
हमारे खेतों में देशी बीजों को छीनकर विदेशी बीज बेचता
फांसी से लटके किसान परिवारों को ट्रैक्टर तो दूर
उन्हें हर बार दो बैलों की तरह जोतने को तैयार
नेता चुनाव में तैयार है जो धर्म का ठेकेदार है
आओ उसे जितायें
प्रजातंत्र की अर्थी सजायें
उन्हीं धर्मात्माओं -नेताओं को दोबारा जितायें।
एक बार फिर जीते जी मर जाएँ।"
- शरद आलोक, ओस्लो, 29. 11 . 17
से खूब
इसलिए नए नारे और दूसरों
धार्मिक भावनाओं और धर्म की बात करने वाले नेताओं से दूर रहें और उन्हें तवज्जो नहीं दीजिये। -शरद आलोक
सभी को शिक्षा मिले ताकि आदमी अपने कर्तव्यों और अधिकारों को जाने और उसका पालन करे.
शान्ति, सद्भाव, सर्वधर्म भाव जरूरी है.
जब देश में चुनाव होते हैं नेतागण जनता से कहते हैं तुम भूखे रहकर बहुत सहनशील हो देवताओं की तरह हो.
सावधान रहें।
मेरी कविता
शरद आलोक
नेता कुछ नहीं देता लेकिन सब कुछ ले लेता
"नेता कुछ नहीं देता लेकिन सब कुछ ले लेता।
झूठे नारों झूठे वायदों से सबको बस में कर लेता।
समस्या बनी रहें इसलिए समस्याओं का ठीकरा विपक्षी पर ठोंकता।
कभी भावनाओं को भड़काता
कभी फुसलाता
चुनाव के पहले कितने ही लालीपाप दिखाता
चुनाव के बाद नारद सा लोप हो जाता।
न्याय पालिका को अपना औजार बनाता
विपक्षी दलों पर खूब मुक़दमे चलाता
हाँ यह भारत का सत्ता धारी नेता होता
उसका दल और समाज से कोई बतलब नहीं होता
इसीलिये दूसरी पार्टी के प्रतिनिधि रोज तोड़ता
दूसरों के घरों की कीमत पर अपने सपने पूरे करता।
यह नेता कुछ नहीं देता लेकिन सबकुछ ले लेता।
नोटबन्दी-डिजिटल जासूसी से खूब डराता,
चालीस प्रतिशत निरक्षर जनता को और डराता
उन्हें साक्षर करने की जगह राशन कार्ड से जोड़ता,
जनता को खूब मूर्ख बनाता।
हम उसको हंटर देते और वह हमपर खूब बरसाता।
जब तक हम भूख से मरेंगे
किसान फांसी पर चढ़ेंगे
ये नेता बने रहेंगे।
प्रजातंत्र का गला घोंटेंगे।
हम अहिंसा के पुजारी
देशी की रट लगाता और विदेशी लाखों का सूट पहनता
हमारे खेतों में देशी बीजों को छीनकर विदेशी बीज बेचता
फांसी से लटके किसान परिवारों को ट्रैक्टर तो दूर
उन्हें हर बार दो बैलों की तरह जोतने को तैयार
नेता चुनाव में तैयार है जो धर्म का ठेकेदार है
आओ उसे जितायें
प्रजातंत्र की अर्थी सजायें
उन्हीं धर्मात्माओं -नेताओं को दोबारा जितायें।
एक बार फिर जीते जी मर जाएँ।"
- शरद आलोक, ओस्लो, 29. 11 . 17
से खूब
इसलिए नए नारे और दूसरों
धार्मिक भावनाओं और धर्म की बात करने वाले नेताओं से दूर रहें और उन्हें तवज्जो नहीं दीजिये। -शरद आलोक
मंगलवार, 28 नवंबर 2017
नार्वे के राष्ट्रीय टी वी में सन 1990 में मेरी कविता। -Suresh Chandra Shukla
एगिल थाइगे के कार्यक्रम में मेरा साक्षात्कार अन्य लोगों के साथ
नार्वे के राष्ट्रीय टी वी में सन 1990 में मेरी कविता।
https://tv.nrk.no/serie/moetested-norge/fsam08008390/04-10-1990
नार्वे के राष्ट्रीय टी वी में सन 1990 में मेरी कविता।
https://tv.nrk.no/serie/moetested-norge/fsam08008390/04-10-1990
सोमवार, 27 नवंबर 2017
क्यों कहा श्री अरुण शौरी जी ने श्री नरेंद्र मोदी जी को सबसे कमजोर प्रधानमंत्री - यह आज अखबार 'जनसत्ता' में में भी प्रकाशित हुआ है. आइये पढ़िये:- शरद आलोक Suresh Chandra Shukla
क्यों कहा श्री अरुण शौरी जी ने श्री नरेंद्र मोदी जी को सबसे कमजोर प्रधानमंत्री - यह आज अखबार 'जनसत्ता' में में भी प्रकाशित हुआ है. आइये पढ़िये: शरद आलोक
अरुण शौरी ने नरेंद्र मोदी पर फिर साधा निशाना- अभी तक का सबसे कमजोर पीएमओ
शौरी ने यह भी आरोप लगाया कि पीएम मोदी की ही तरह महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी सत्ता को अपने केंद्र में रखा हुआ है।
पूर्व पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि देश के इतिहास में मौजूदी पीएमओ सबसे कमजोर साबित हुआ है। शौरी ने आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी शक्तियाों को अपने केंद्र में रखकर पीएमओ को सबसे कमजोर बना डाला है। टाइम्स लिटफेस्ट को संबोधित करते हुए रविवार को शौरी ने कहा कि 40 वर्षों के भारतीय राजनीति में उन्होंने कभी भी इस तरह के झूठेपन की अतिश्योक्ति वाली सरकार नहीं देखी। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी सरकार है जो कभी भी अपने वादे पूरे नहीं करती है।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे शौरी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो शख्स खुद को सुरक्षित महसूस करता है वह किसी भी परिस्थिति में घबराता नहीं है लेकिन जो शख्स खुद सुरक्षित महसूस नहीं करता वह हमेशा डरा रहता है और किसी एक्सपर्ट को अपने पास आने नहीं देता। शौरी ने कहा कि मोदी अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। शौरी ने यह भी आरोप लगाया कि पीएम मोदी की ही तरह महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी सत्ता को अपने केंद्र में रखा हुआ है।
अरुण शौरी ने नरेंद्र मोदी पर फिर साधा निशाना- अभी तक का सबसे कमजोर पीएमओ
शौरी ने यह भी आरोप लगाया कि पीएम मोदी की ही तरह महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी सत्ता को अपने केंद्र में रखा हुआ है।
पूर्व पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि देश के इतिहास में मौजूदी पीएमओ सबसे कमजोर साबित हुआ है। शौरी ने आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी शक्तियाों को अपने केंद्र में रखकर पीएमओ को सबसे कमजोर बना डाला है। टाइम्स लिटफेस्ट को संबोधित करते हुए रविवार को शौरी ने कहा कि 40 वर्षों के भारतीय राजनीति में उन्होंने कभी भी इस तरह के झूठेपन की अतिश्योक्ति वाली सरकार नहीं देखी। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी सरकार है जो कभी भी अपने वादे पूरे नहीं करती है।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे शौरी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो शख्स खुद को सुरक्षित महसूस करता है वह किसी भी परिस्थिति में घबराता नहीं है लेकिन जो शख्स खुद सुरक्षित महसूस नहीं करता वह हमेशा डरा रहता है और किसी एक्सपर्ट को अपने पास आने नहीं देता। शौरी ने कहा कि मोदी अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। शौरी ने यह भी आरोप लगाया कि पीएम मोदी की ही तरह महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी सत्ता को अपने केंद्र में रखा हुआ है।
नार्वे में शैलेश मटियानी को याद किया गया. शैलेश मटियानी और मेरे बचपन में कुछ साम्य है. - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
शैलेश मटियानी और मेरे बचपन में कुछ साम्य है. कभी और चर्चा करूंगा। अभी पढ़िये:
http://hindi.webdunia.com/nri-activities/an-indian-poet-in-norway-117112700038_1.html
नार्वे में शैलेश मटियानी को याद किया गया नार्वे से सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
ओस्लो, 23 नवम्बर को हिंदी के जाने-माने लेखक शैलेश मटियानी को याद किया गया.
इस
लेखक गोष्ठी में विद्वान डॉ राम प्रासाद भट्ट को 'स्पाइल-दर्पण पुरस्कार'
प्रदान किया गया जो स्वयं सैकड़ों शोधपत्रों और कहानियों के लेखक हैं. यह
पुरस्कार संयुक्त रूप से संगीता शुक्ल दिदरिक्सेन , भारतीय दूतावास के
काउंसलर अमर जीत और इंगेर मारिये लिल्लेेएंगेन ने प्रदान किया और शाल एवं
फूलगुच्छ से स्वागत किया।
हमबर्ग विश्विद्यालय जर्मनी में प्रोफ़ेसर डॉ राम प्रसाद भट्ट ने
शैलेश मटियानी के महिला पात्रों का जिक्र करते हुए कहा कि शैलेश मटियानी
प्रेमचंद के बाद सबसे बड़े कहानीकार थे. अभाव और विभिन्न कठिन असहनीय
स्थितियों में रहते हुए शैलेश मटियानी ने हिंदी साहित्य को अपनी रचनाओं से
समृद्ध किया। जरूरत है उनके साहित्य को विस्तार से प्रचारित करने की. उनकी
कहानी 'अर्द्धांगिनी', 'दो दुखों का एक सूख़ और 'वासंती हुरक्यानी' का जिक्र
किया और रोचक तरीके से उसे सुनाया।
नार्वे
में बसे सुरेशचंद्र शुक्ल ने कहा कि शैलेश मटियानी के साहित्य को अधिक
प्रचारित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नार्वे में हिंदी के प्रचार
प्रसार में जुड़े होने के कारण उन्हें भी अपनी रचनाओं के प्रचार का उतना
मौक़ा नहीं ले पाते जितनी की आज सुविधा है. उन्होंने अपनी कहानियों का जिक्र
करते हुए कहा कि 'तलाशी', 'लाश के वास्ते' 'मदरसे के पीछे', लाहौर छूटा अब
दिल्ली न छूटे', विसर्जन के पहले' को वह सामयिक स्थान नहीं मिला जिनकी वे
हकदार हैं. उन्होंने अपनी लघु कहानी 'विदेशी माल' सुनायी और कहा कि एक
सम्पादक के नाते वह सही भूमिका निभा रहे हैं और भारतीय और प्रवासी साहित्य
की नयी-पुरानी रचनाओं और नये-नये रचनाकारों की रचनाओं को स्थान दे रहे
हैं.
अंत में
कविगोष्ठी संपन्न हुई जिसमें भारतीय दूतावास के अमर जीत जी ने अपनी रोचक
हास्य रचनाएं और गजल सुनायी। नार्वेजीय भाषा में अपनी कवितायें सुनायी
इंगेर मारिये लिल्लेेएंगे और नूरी रोयसेग ने. अलका भरत ने रोचक हास्य लेख
पढ़ा 'फूफा जी'. संगीता शुक्ल दिदरिक्सेन ने अपने संचालित हिंदी स्कूल,
नार्वे में युवा और बच्चों की हिंदी शिक्षा और उनके योगदान पर विचार व्यक्त
किये। रविवार, 26 नवंबर 2017
गुजरात में महात्मा गांधी का स्कूल बी जी पी शासन ने बंद करा दिया। पुनः खोला जाना चाहिये।- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Suresh Chandra Shukla
बंधुवर! गुजरात में महात्मा गांधी का स्कूल शासन ने बंद करा दिया। मेरी राय में इसे पुनः खोला जाना चाहिये।
बंधुवर गुजरात में उसे वोट दें जो महात्मा गांधी जी का स्कूल पुनः खुलवाये।
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
अब भविष्य में ऐसी सरकार आने से रोकनी चाहिए जिसने इसे बंद कराया। इससे एक भविष्य की तरफ चिंता दिखती है. यह मंशा उसी तरह दिखती है कि "मुँह में राम बगल में छूरी।"
गांधी के ऐतिहासिक स्कूल पर तेज़ हुई चुनावी सियासत, कांग्रेस ने बताया बापू का अपमान। मेरा भी मानना है की यह बापू का अपमान है.
गुजरात में पटेलों की राजनीति के नाम पर सरदार पटेल को बेशक फिर से जीवित कर दिया गया हो, लेकिन इस खेल में गांधी जी हाशिये पर चले गए हैं। राजकोट शहर के बीचो बीच बना ऐतिहासिक अल्फ्रेड स्कूल वह स्कूल रहा है जहां महात्मा गाँधी ने कई साल पढ़ाई की, बाद में इसका नाम भी मोहनदास गांधी हाईस्कूल कर दिया गया।
लेकिन अब प्रदेश की भाजपा सरकार और
राजकोट नगरपालिका ने इस ऐतिहासिक स्कूल को बंद कर दिया है, यहां पढ़ रहे
बच्चों को जबरन स्कूल से बाहर कर दिया है। कुछ बच्चों को किसी और स्कूल में
भेज दिया गया है। अब इस स्कूल को संग्रहालय बनाया जाएगा। कांग्रेस ने इसे
गांधी जी का अपमान बताया है साथ ही इस बेहतरीन स्कूल को गुजरात का गौरवशाली
स्कूल बनाने की जगह बंद करने के मुद्दे को चुनावी मुद्दा बना लिया है।
कांग्रेस नेता और पार्टी घोषणापत्र समिति के मुखिया सैम पित्रोदा ने अल्फ्रेड स्कूल को बंद करने के मुद्दे को अपने घोषणापत्र में जोड़ दिया है और राजकोट के लोगों से वादा किया है कि सत्ता में आने पर इस स्कूल को फिर से इसका पुराना गौरव वापस दिलाया जाएगा।
वहीं भाजपा इसे मुद्दा नहीं मानती और कहती है कि यह एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसे सहेजकर संग्रहालय बनाने का फैसला गांधी जी का अपमान नहीं, बल्कि सम्मान है। गौरतलब है कि इस स्कूल की एक नई इमारत का शिलान्यास अक्टूबर 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों हुआ था। लेकिन आज यही स्कूल बंद किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता और पार्टी घोषणापत्र समिति के मुखिया सैम पित्रोदा ने अल्फ्रेड स्कूल को बंद करने के मुद्दे को अपने घोषणापत्र में जोड़ दिया है और राजकोट के लोगों से वादा किया है कि सत्ता में आने पर इस स्कूल को फिर से इसका पुराना गौरव वापस दिलाया जाएगा।
वहीं भाजपा इसे मुद्दा नहीं मानती और कहती है कि यह एक ऐतिहासिक धरोहर है और इसे सहेजकर संग्रहालय बनाने का फैसला गांधी जी का अपमान नहीं, बल्कि सम्मान है। गौरतलब है कि इस स्कूल की एक नई इमारत का शिलान्यास अक्टूबर 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों हुआ था। लेकिन आज यही स्कूल बंद किया जा रहा है।
गुरुवार, 23 नवंबर 2017
सीबीआई जज लोया की मौत को लेकर उठे सवाल - सत्ता के गलियारे मौन- अमित शाह Amit Shah का केस जज गोया देख रहे थे.
सीबीआई जज लोया
प्राइम टाइम : सीबीआई जज की मौत को लेकर उठे सवाल
सत्ता के गलियारे मौन- अमित शाह का केस जज गोया देख रहे थे.
https://draft.blogger.com/blogger.g?blogID=1572063297138418470#editor/target=post;postID=6348131263813890862
सीबीआई जज लोया की मौत को लेकर उठे सवालदिल्ली में अधिकतर अखबार मौन इसलिए, पत्रकारिता और हमारी राजनैतिक अवस्था पर बर्फ जमी. सत्ताधीश शक की नजर में?आप भी देखिये और विचार कीजिये। अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट भी संज्ञान ले.
सत्ता के गलियारे मौन- अमित शाह का केस जज गोया देख रहे थे
प्राइम टाइम : सीबीआई जज की मौत को लेकर उठे सवाल पहाड़ों में जितनी बर्फ नहीं गिरी है उससे कहीं ज़्यादा दिल्ली में सत्ता के गलियारों में बर्फ गिर रही है. दो दिनों से दिल्ली में बर्फ की सिल्ली गिर रही है मगर कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता. एक ऐसी रिपोर्ट आई है जिसे लेकर पढ़ने वालों की सांसें जम जाती हैं, जो भी पढ़ता है अपना फोन बंद कर देता है कि कहीं कोई इस पर प्रतिक्रिया न मांग ले.पत्रकार इस रिपोर्ट को छोड़कर बाकी सारी रिपोर्ट धुंआधार तरीके से ट्वीट कर रहे हैं ताकि बर्फ की इस सिल्ली पर जितनी जल्दी हो सके, धूल जम जाए. बहुत मुश्किल से निरंजन टाकले नाम के एक रिपोर्टर ने एक जज की लाश पर जमी धूल की परत हटा कर ये रिपोर्ट छापी है, बहुत आसानी से उस रिपोर्ट को यह दिल्ली बर्फ की सिल्ली के नीचे दबा देना चाहती है.
भारत में जज भी सुरक्षित नहीं?
जज लोया की ह्त्या हो सकती है सुप्रीम कोर्ट और प्रधानमंत्री ध्यान दें अन्यथा सभी के साथ यही हो सकता है यदि हमने
carvan.com
निरंजन टाकले की रिपोर्ट एन डी टी वी पर रवीश कुमार की जबानी
भारत में जज भी सुरक्षित नहीं?
आप भी देखिये। धनयवाद।
https://khabar.ndtv.com/video/show/prime-time/prime-time-with-ravish-kumar-on-cbi-judges-death-472888
carvan.com
निरंजन टाकले की रिपोर्ट एन डी टी वी पर रवीश कुमार की जबानी
भारत में जज भी सुरक्षित नहीं?
आप भी देखिये। धनयवाद।
https://khabar.ndtv.com/video/show/prime-time/prime-time-with-ravish-kumar-on-cbi-judges-death-472888
आज ओस्लो में शैलेश मटियानी और सुदामा पाण्डेय धूमिल को याद किया जायेगा गया -शरद आलोक, ओस्लो, 23.11. 17
आज ओस्लो में शैलेश मटियानी और सुदामा पाण्डेय धूमिल को याद किया जायेगा गया -शरद आलोक, ओस्लो,
नीचे धूमिल का चित्र
ऊपर शैलेश मटियानी का चित्र
ओस्लो में लेखक गोष्ठी
आज ओस्लो में होने वाली लेखक गोष्ठी में हिंदी के जाने-माने लेखकों शैलेश मटियानी और धूमिल को याद किया जायेगा।
मुख्य वक्ताओं में प्रोफ़ेसर राम प्रसाद भट्ट और सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक।
समय: पांच बजे kl. 17:00.
स्थान: Grevlingveien 2 G, Oslo
Velkommen til Forfatterkafe i dag kl. 17:00 på Grevlingveien 2G, på Veitvet i Oslo.
नीचे धूमिल का चित्र
ऊपर शैलेश मटियानी का चित्र
ओस्लो में लेखक गोष्ठी
आज ओस्लो में होने वाली लेखक गोष्ठी में हिंदी के जाने-माने लेखकों शैलेश मटियानी और धूमिल को याद किया जायेगा।
मुख्य वक्ताओं में प्रोफ़ेसर राम प्रसाद भट्ट और सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक।
समय: पांच बजे kl. 17:00.
स्थान: Grevlingveien 2 G, Oslo
Velkommen til Forfatterkafe i dag kl. 17:00 på Grevlingveien 2G, på Veitvet i Oslo.
बुधवार, 15 नवंबर 2017
हिंदी के साहित्यकार कुंवर नारायण का निधन. उन्हें सपरिवार श्रद्धांजलि। -सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' -Suresh Chandra Shukla
हिंदी के साहित्यकार कुंवर नारायण का निधन. उन्हें सपरिवार श्रद्धांजलि।
दो चित्र कुंवर नारायण के साथ जब उन्होंने मेरी दो पुस्तकों 'नार्वे की उर्दू कहानियां' और 'प्रवासी कहानियाँ' का विमोचन किया था कुंवर नारायण और असगर वजाहत ने जामिया विश्वविद्यालय में. कार्यक्रम का आयोजन उर्दू विभाग के प्रोफ़ेसर उबैदुर रहमान हाशमी जी ने किया था.
कवि कुंवर नारायण वर्तमान में दिल्ली के सीआर पार्क इलाके में पत्नी और बेटे के साथ रहते थे. उनकी पहली किताब 'चक्रव्यूह' साल 1956 में आई थी. साल 1995 में उन्हें साहित्य अकादमी और साल 2009 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान भी मिला था. वह आचार्य कृपलानी, आचार्य नरेंद्र देव और सत्यजीत रे काफी प्रभावित रहे.
उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट ग्रेजुएट किया था. पढ़ाई के तुरंत बाद उन्होंने ऑटोमोबाइल बिजनेस में काम करना शुरू कर दिया था, जो उनका पुश्तैनी बिजनेस था. बाद में उनका रुझान लेखन की ओर हुआ और उन्होंने इसमें नया मुकाम हासिल किया.
चक्रव्यूह के अलावा उनकी प्रमुख कृतियों में तीसरा सप्तक- 1959, परिवेश: हम-तुम- 1961, आत्मजयी- प्रबंध काव्य- 1965, आकारों के आसपास- 1971, अपने सामने- 1979 शामिल हैं.
दो चित्र कुंवर नारायण के साथ जब उन्होंने मेरी दो पुस्तकों 'नार्वे की उर्दू कहानियां' और 'प्रवासी कहानियाँ' का विमोचन किया था कुंवर नारायण और असगर वजाहत ने जामिया विश्वविद्यालय में. कार्यक्रम का आयोजन उर्दू विभाग के प्रोफ़ेसर उबैदुर रहमान हाशमी जी ने किया था.
मेरे प्रिय कवि कुंवर नारायण का निधन
मेरे प्रिय कवी कुंवर
नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिए, वर्तमान को देखने के लिए
जाना जाता है. कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने
कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच में भी अहम योगदान दिया.
नई दिल्ली : नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कवि कुंवर नारायण का 90 साल
की उम्र में बुधवार को निधन हो गया. मूलरूप से फैजाबाद के रहने वाले कुंवर तकरीबन
51 साल से साहित्य में सक्रिय थे. वह अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (1959) के
प्रमुख कवियों में रहे हैं. कुंवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के
जरिए, वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है. कुंवर नारायण की मूल विधा कविता रही
है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहानी, लेख व समीक्षाओं के साथ-साथ सिनेमा, रंगमंच
में भी अहम योगदान दिया. उनकी कविताओं-कहानियों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं
में अनुवाद भी हो चुका है. 2005 में कुंवर नारायण को साहित्य जगत के सर्वोच्च
सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.कवि कुंवर नारायण वर्तमान में दिल्ली के सीआर पार्क इलाके में पत्नी और बेटे के साथ रहते थे. उनकी पहली किताब 'चक्रव्यूह' साल 1956 में आई थी. साल 1995 में उन्हें साहित्य अकादमी और साल 2009 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान भी मिला था. वह आचार्य कृपलानी, आचार्य नरेंद्र देव और सत्यजीत रे काफी प्रभावित रहे.
उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट ग्रेजुएट किया था. पढ़ाई के तुरंत बाद उन्होंने ऑटोमोबाइल बिजनेस में काम करना शुरू कर दिया था, जो उनका पुश्तैनी बिजनेस था. बाद में उनका रुझान लेखन की ओर हुआ और उन्होंने इसमें नया मुकाम हासिल किया.
चक्रव्यूह के अलावा उनकी प्रमुख कृतियों में तीसरा सप्तक- 1959, परिवेश: हम-तुम- 1961, आत्मजयी- प्रबंध काव्य- 1965, आकारों के आसपास- 1971, अपने सामने- 1979 शामिल हैं.
रविवार, 12 नवंबर 2017
शनिवार, 11 नवंबर 2017
शुक्रवार, 10 नवंबर 2017
मेरी पत्रकारिता की सहपाठी और पूर्व मंत्री ग्रेते बेरगे (Grete Berget) का कल 9 नवम्बर को निधन हो गया. उन्हें श्रद्धांजलि।-Suresh Chandra Shukla
ग्रेते बेरगे (Grete Berget) का
कल 9 नवम्बर को निधन हो गया.
उन्हें श्रद्धांजलि।- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
मेरी पत्रकारिता की सहपाठी और नार्वे की पूर्व मंत्री ग्रेते बेरगे (Grete Berget) का कल 9 नवम्बर को निधन हो गया. उन्हें श्रद्धांजलि। वह 63 वर्ष की थी.
वह ओस्लो, नार्वे में स्थित नेशनल कालेज आफ जर्नलिज्म में 1984 से 1986 तक मेरी सहपाठी थीं.
उन्होंने मेरी कक्षा के साथ डेनमार्क की शैक्षिक यात्रा की थी.
वह बहुत दिनों से कैंसर रोग से लड़ रही थीं.
उन्हें श्रद्धांजलि।- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
मेरी पत्रकारिता की सहपाठी और नार्वे की पूर्व मंत्री ग्रेते बेरगे (Grete Berget) का कल 9 नवम्बर को निधन हो गया. उन्हें श्रद्धांजलि। वह 63 वर्ष की थी.
वह ओस्लो, नार्वे में स्थित नेशनल कालेज आफ जर्नलिज्म में 1984 से 1986 तक मेरी सहपाठी थीं.
उन्होंने मेरी कक्षा के साथ डेनमार्क की शैक्षिक यात्रा की थी.
वह बहुत दिनों से कैंसर रोग से लड़ रही थीं.
आज 10 नवम्बर को लखनऊ की शान जगदीश गाँधी जी का जन्मदिन है. हार्दिक बधायी। -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
आज मेरे लखनऊ के प्यारे मित्र जगदीश गांधी जी का 82वां जन्मदिन है. बहुत
बहुत बधाई।
भारती गांधी जी से पहले मुलाक़ात हुई वह दीदी बन गयीं और जगदीश गांधी जी मित्र। जो सभी से जल्दी ही मित्र बन जाते हैं.
क्या आप कभी लखनऊ गये हैं. शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में जगदीश गांधी और भारतीय गांधी जी का बड़ा नाम है जो सिटी मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक हैं और हर वर्ष लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय समारोह और फिल्म समारोह कराते हैं.
मैं उनसे सबसे पहले सन 1969 को मिला था. 12 स्टेशन रोड लखनऊ में. जहाँ उनका कार्यालय था.
उन्होंने एक साप्ताहिक भी निकाला था 'उठो जवानों'.
वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य और लखनऊ विश्विद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे. पंडित नेहरू जी से उनका बेहद लगाव था जिन्होंने उनकी ह\शादी सर्वोदय तरीके से कराई थी.
देश विदेशों में जगदीश गांधी जी ने शिक्षाविद और सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के जरिये अपने देश का बहुत नाम किया जिसके लिए हम उनके सदा आभारी रहेंगे।
भारती गांधी जी से पहले मुलाक़ात हुई वह दीदी बन गयीं और जगदीश गांधी जी मित्र। जो सभी से जल्दी ही मित्र बन जाते हैं.
क्या आप कभी लखनऊ गये हैं. शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में जगदीश गांधी और भारतीय गांधी जी का बड़ा नाम है जो सिटी मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक हैं और हर वर्ष लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय समारोह और फिल्म समारोह कराते हैं.
मैं उनसे सबसे पहले सन 1969 को मिला था. 12 स्टेशन रोड लखनऊ में. जहाँ उनका कार्यालय था.
उन्होंने एक साप्ताहिक भी निकाला था 'उठो जवानों'.
वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य और लखनऊ विश्विद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे. पंडित नेहरू जी से उनका बेहद लगाव था जिन्होंने उनकी ह\शादी सर्वोदय तरीके से कराई थी.
देश विदेशों में जगदीश गांधी जी ने शिक्षाविद और सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के जरिये अपने देश का बहुत नाम किया जिसके लिए हम उनके सदा आभारी रहेंगे।
गुरुवार, 9 नवंबर 2017
आज 9. नवम्बर को स्व. डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी का जन्मदिन है- कोटि कोटि शुभकामनायें। - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शारद आलोक', ओस्लो, नार्वे।
आज 9. नवम्बर को स्व. डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी का जन्मदिन है-
कोटि कोटि शुभकामनायें।
suresh@shukla.no
तुमको न भूलेंगे हम डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी. जन्मदिन पर कोटि कोटि शुभकामनायें। भारतीय प्रवासी दिवस और पी आई ओ कार्ड और ओ सी आयी कार्ड के लिए उन्होंने ही सबसे पहले प्रयास किया था.
आज स्व. डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी का जन्मदिन है. उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम और उनके कार्य के लिए ह्रदय से आभार। डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी जैसा कोई भी राजदूत और हिंदी सेवी नहीं हुआ जिसने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया। जब नार्वे से निकलने वाली पत्रिका स्पाइल-दर्पण के पंद्रह वर्ष हुए थे तो उन्होंने और श्रीमती कमला सिंघवी जी ने दिल्ली में अपने निवास पर सभी हिंदी लेखकों को पार्टी दी थी. साढ़े तीन घंटे का साक्षात्कार उन्होंने मुझे दिया था. मेरे साथ तब बालकवि बैरागी जी थे.
डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी का जन्मदिन 9. नवम्बर 1931 को हुआ था. उनकी मृत्यु 6 अक्टूबर 2007 को हुई थी उसी वर्ष वह व्हील चेयर पर विश्व हिंदी सम्मलेन में भाग लेने आये थे, उनसे मेरी आख़िरी मुलाक़ात थी.
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शारद आलोक', ओस्लो, नार्वे।
कोटि कोटि शुभकामनायें।
suresh@shukla.no
तुमको न भूलेंगे हम डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी. जन्मदिन पर कोटि कोटि शुभकामनायें। भारतीय प्रवासी दिवस और पी आई ओ कार्ड और ओ सी आयी कार्ड के लिए उन्होंने ही सबसे पहले प्रयास किया था.
आज स्व. डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी का जन्मदिन है. उन्हें कोटि-कोटि प्रणाम और उनके कार्य के लिए ह्रदय से आभार। डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी जैसा कोई भी राजदूत और हिंदी सेवी नहीं हुआ जिसने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया। जब नार्वे से निकलने वाली पत्रिका स्पाइल-दर्पण के पंद्रह वर्ष हुए थे तो उन्होंने और श्रीमती कमला सिंघवी जी ने दिल्ली में अपने निवास पर सभी हिंदी लेखकों को पार्टी दी थी. साढ़े तीन घंटे का साक्षात्कार उन्होंने मुझे दिया था. मेरे साथ तब बालकवि बैरागी जी थे.
डॉ लक्ष्मीमल सिंघवी जी का जन्मदिन 9. नवम्बर 1931 को हुआ था. उनकी मृत्यु 6 अक्टूबर 2007 को हुई थी उसी वर्ष वह व्हील चेयर पर विश्व हिंदी सम्मलेन में भाग लेने आये थे, उनसे मेरी आख़िरी मुलाक़ात थी.
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शारद आलोक', ओस्लो, नार्वे।
बुधवार, 8 नवंबर 2017
बी जे पी के सरदार पटेल, भारतीय जनता पार्टी के शिखर पुरूष लाल कृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन पर हार्दिक श्रेष्ठ शुभकामनायें। - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
लाल कृष्ण
आडवाणी जी को जन्मदिन पर हार्दिक श्रेष्ठ शुभकामनायें।
आज पूर्व उपप्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के शिखर पुरूष लाल कृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन पर हार्दिक श्रेष्ठ शुभकामनायें। अडवानी जी का जन्म 8 नवम्बर 1927 को हुआ था. इनसे मेरी नमस्ते (मुलाक़ात) पिछले वर्ष प्रभात प्रकाशन द्वारा आयोजित दिल्ली में एक पुस्तक के विमोचन समारोह के अवसर पर हुई थी.
आनंद सुमन सिंह जी ने.कहा, बी जे पी के सरदार पटेल?
Gratulerer med dagen til tidligere visestatsminister Lal Krishna Advani i India. Han er født 8. november 1927.
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
आज पूर्व उपप्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के शिखर पुरूष लाल कृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन पर हार्दिक श्रेष्ठ शुभकामनायें। अडवानी जी का जन्म 8 नवम्बर 1927 को हुआ था. इनसे मेरी नमस्ते (मुलाक़ात) पिछले वर्ष प्रभात प्रकाशन द्वारा आयोजित दिल्ली में एक पुस्तक के विमोचन समारोह के अवसर पर हुई थी.
आनंद सुमन सिंह जी ने.कहा, बी जे पी के सरदार पटेल?
Gratulerer med dagen til tidligere visestatsminister Lal Krishna Advani i India. Han er født 8. november 1927.
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में किया गया था जिसने आम गरीब और मध्यमवर्ग को शक की नजर से देखा- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
नोटबंदी
का फैसला जल्दबाजी में किया गया था जिसने प्रवासियों को शक की नजर से देखा?
नोटबन्दी गलत फैसला?
प्रधानमंत्री अपने बयानों से नोटबन्दी से हुये नुकसान को झुठलाने में लगे हैं और अपने को सभी पार्टियों का प्रधानमंत्री नहीं मान रहे तभी तो विपक्ष पर अतार्किक हमला कर रहे हैं? चित्र वेब दुनिया से साभार.
भारत की सभी पार्टियाँ मिलकर तय करें कि उन्हें जनता को कैसे सूचना देनी है. सही सूचना यदि नहीं दे सकते तो हम जनता को ऐसा प्रजातंत्र नहीं चाहिये जहाँ मंत्रियों से लेकर विपक्ष किसी में शिष्टाचार नहीं लगता।
प्रधानमंत्री को केवल अपनी सरकार के कामकाज को बताना चाहिये वह भी सच-सच. न कि पिछली सरकार के कारण नहीं कर पा रहे. यदि नहीं कार्य कर पा रहे तो छोड़ दीजिये सरकार या राजनीति। यही विपक्ष से कहना है. जनता को भ्रष्ट और सदिंग्ध बयानों वाले नेता नहीं चाहिये। ऐसा प्रजातंत्र भी नहीं चाहिये।
जनता को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है.
कहीं-कहीं घायल आदमी का इलाज नहीं हो रहा क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है. राशन नहीं मिला कुछ परिवारों को जबकि वे देश के वरिष्ठ नागरिक हैं. एक दूसरे पर बयानबाजी करके हमारे नेता हमारा ध्यान असली समस्या से हटा रहे हैं.
नार्वे के प्रवासियों का उदाहरण
नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में किया गया था जिसने प्रवासियों को शक की नजर से देखा
जनता को बिना तैयारी और बिना विपक्ष तथा रिजर्व बैंक के मैनेजर की सलाह के. नार्वे की श्रीमती मंजू भाटिया जी ने 26 जनवरी 2017 को हम लोगों को एक मोबाइल पर अपना वीडियो दिखाया था जिसमें उन्हें उनके बैंक ने नोट नहीं बदले और अच्छा व्यवहार नहीं किया था. मैं पंजाब नेशनल बैंक लाजपतनगर, दिल्ली गया था जहाँ दो दिनों तक मेरे एकाउंट से पैसे नहीं निकालने दिए जबकि सारी कार्यवाही पूरी हो गयी थी क्योंकि बैंक में पैसा ही नहीं आया था. फिर दूसरे बैंक ने तीसरे दिन सहायता की थी.
पर अब बैंक में सामान्य है कोई तकलीफ नहीं है.
नोटबंदी के गलत फैसले की वकालत में लगे नेता आज की समस्या जो आधार कार्ड और बैंक कार्ड होने और जनता को राशन और इलाज न हो पाने की तरफ ध्यान नहीं दे रहे.
इतिहास से सबक सीखें
जनता माफ़ नहीं करेगी। कहीं ऐसा न हो कि जनता जनमतसंग्रह द्वारा पूरे देश का सिस्टम और सरकार बदल दे जहाँ कोई बेईमानी नहीं कर सके. हर नागरिक अधिक से अधिक काम करे और जरूरत की चीजें उसे मिलें।
बैंकों, स्वास्थ, शिक्षा और बड़े उद्योगों का राष्ट्रीयकरण होगा।
अनेक देशों में जनता ने क्रान्ति की अपने नेताओं के नेतृत्व में. लेनिन के नेतृत्व में क्रान्ति को 7 नवम्बर 2017 सौ साल हुए हैं. चीन हमसे बाद में आजाद हुआ और हमसे ज्यादा तरक्की की.
गाँधी-नेहरू द्वारा देश का अच्छा नेतृत्व
गाँधी-नेहरू नई देश का अच्छा नेतृत्व न किया होता तो हमारे देश की साख अच्छी न होती। वर्तमान सरकार के काम अभी दिखाई नहीं दे रहे. केवल मीडिया में उनके विज्ञापन और प्रचार तथा विपक्ष पर करना और सबसे अधिक अमीरों की सेवा करना भर ही रह गया है यह भी मीडिया ने बता या है. अभी भी समय है चेत जायें।
इतिहास ने हमें सिखाया है और बताया है कि समय रहते नहीं चेते तो देर हो जायेगी।
इतिहास से सीखें न कि पुराणी गलतियाँ दोहरायें। धन्यवाद।
यह सोचें कि आपने देश और समाज के लिए क्या किया है.
नोटबन्दी गलत फैसला?
प्रधानमंत्री अपने बयानों से नोटबन्दी से हुये नुकसान को झुठलाने में लगे हैं और अपने को सभी पार्टियों का प्रधानमंत्री नहीं मान रहे तभी तो विपक्ष पर अतार्किक हमला कर रहे हैं? चित्र वेब दुनिया से साभार.
भारत की सभी पार्टियाँ मिलकर तय करें कि उन्हें जनता को कैसे सूचना देनी है. सही सूचना यदि नहीं दे सकते तो हम जनता को ऐसा प्रजातंत्र नहीं चाहिये जहाँ मंत्रियों से लेकर विपक्ष किसी में शिष्टाचार नहीं लगता।
प्रधानमंत्री को केवल अपनी सरकार के कामकाज को बताना चाहिये वह भी सच-सच. न कि पिछली सरकार के कारण नहीं कर पा रहे. यदि नहीं कार्य कर पा रहे तो छोड़ दीजिये सरकार या राजनीति। यही विपक्ष से कहना है. जनता को भ्रष्ट और सदिंग्ध बयानों वाले नेता नहीं चाहिये। ऐसा प्रजातंत्र भी नहीं चाहिये।
जनता को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है.
कहीं-कहीं घायल आदमी का इलाज नहीं हो रहा क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं है. राशन नहीं मिला कुछ परिवारों को जबकि वे देश के वरिष्ठ नागरिक हैं. एक दूसरे पर बयानबाजी करके हमारे नेता हमारा ध्यान असली समस्या से हटा रहे हैं.
नार्वे के प्रवासियों का उदाहरण
नोटबंदी का फैसला जल्दबाजी में किया गया था जिसने प्रवासियों को शक की नजर से देखा
जनता को बिना तैयारी और बिना विपक्ष तथा रिजर्व बैंक के मैनेजर की सलाह के. नार्वे की श्रीमती मंजू भाटिया जी ने 26 जनवरी 2017 को हम लोगों को एक मोबाइल पर अपना वीडियो दिखाया था जिसमें उन्हें उनके बैंक ने नोट नहीं बदले और अच्छा व्यवहार नहीं किया था. मैं पंजाब नेशनल बैंक लाजपतनगर, दिल्ली गया था जहाँ दो दिनों तक मेरे एकाउंट से पैसे नहीं निकालने दिए जबकि सारी कार्यवाही पूरी हो गयी थी क्योंकि बैंक में पैसा ही नहीं आया था. फिर दूसरे बैंक ने तीसरे दिन सहायता की थी.
पर अब बैंक में सामान्य है कोई तकलीफ नहीं है.
नोटबंदी के गलत फैसले की वकालत में लगे नेता आज की समस्या जो आधार कार्ड और बैंक कार्ड होने और जनता को राशन और इलाज न हो पाने की तरफ ध्यान नहीं दे रहे.
इतिहास से सबक सीखें
जनता माफ़ नहीं करेगी। कहीं ऐसा न हो कि जनता जनमतसंग्रह द्वारा पूरे देश का सिस्टम और सरकार बदल दे जहाँ कोई बेईमानी नहीं कर सके. हर नागरिक अधिक से अधिक काम करे और जरूरत की चीजें उसे मिलें।
बैंकों, स्वास्थ, शिक्षा और बड़े उद्योगों का राष्ट्रीयकरण होगा।
अनेक देशों में जनता ने क्रान्ति की अपने नेताओं के नेतृत्व में. लेनिन के नेतृत्व में क्रान्ति को 7 नवम्बर 2017 सौ साल हुए हैं. चीन हमसे बाद में आजाद हुआ और हमसे ज्यादा तरक्की की.
गाँधी-नेहरू द्वारा देश का अच्छा नेतृत्व
गाँधी-नेहरू नई देश का अच्छा नेतृत्व न किया होता तो हमारे देश की साख अच्छी न होती। वर्तमान सरकार के काम अभी दिखाई नहीं दे रहे. केवल मीडिया में उनके विज्ञापन और प्रचार तथा विपक्ष पर करना और सबसे अधिक अमीरों की सेवा करना भर ही रह गया है यह भी मीडिया ने बता या है. अभी भी समय है चेत जायें।
इतिहास ने हमें सिखाया है और बताया है कि समय रहते नहीं चेते तो देर हो जायेगी।
इतिहास से सीखें न कि पुराणी गलतियाँ दोहरायें। धन्यवाद।
यह सोचें कि आपने देश और समाज के लिए क्या किया है.
मंगलवार, 7 नवंबर 2017
एक साल पहले 8 नवम्बर को भारत में नोटबन्दी मेरी नजर में बहुत गलत फैसला था. - शरद आलोक
एक साल पहले 8 नवम्बर को हुई थी नोटबन्दी। बिना तैयारी और रिजर्व बैंक के गवर्नर की सलाह लिए की गयी थी भारत में नोट बन्दी।
भारत में नोटबन्दी मेरी नजर में बहुत गलत फैसला था.
आम लोगों को इससे नुकसान हुआ. जनता की अनदेखी की गयी और आगे भी अनदेखी की जा रही है. जो नेता मीडिया में आज छाये हैं वह हमेशा हुकूमत में नहीं रहेंगे।
भारत में नोटबन्दी मेरी नजर में बहुत गलत फैसला था.
आम लोगों को इससे नुकसान हुआ. जनता की अनदेखी की गयी और आगे भी अनदेखी की जा रही है. जो नेता मीडिया में आज छाये हैं वह हमेशा हुकूमत में नहीं रहेंगे।
रविवार, 5 नवंबर 2017
सरदार पटेल के ज़माने में भी परिवारवाद था।-Suresh Chandra Shukla
सरदार पटेल का परिवार राजनीति से दूर नहीं रहा
योग्यता और चुनाव के आधार पर एक परिवार के सदस्य एक या अधिक व्यसाय अपनाने के लिए स्वतन्त्र है इसे परिवार वाद नहीं कहा जायेगा
नीचे के चित्र में मनीबेन पटेल अपने पिता सरदार पटेल के साथ
सरदार पटेल के पुत्र दयाभाई पटेल
मणिबेन पटेल कांग्रेस से दो बार लोस सदस्य और एक बार रास सदस्य रहीं, बाद में भारतीय लोक दल में शामिल हुईं, १९७७ में जनता पार्टी से लोस पहुंचीं
दयाभाई पटेल कांग्रेस से तीन बार राज्यसभा गये
मैं सरदार पटेल के परिवार के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं रखता हूं लिहाजा जब प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द कोलीशन ईयर्स’ के पहले अध्याय के दूसरे पैरा में लिखा मिला कि १९७१ में जब प्रणब दा राज्यसभा के सदस्य बने उस समय राज्यसभा में सरदार पटेल के पुत्र दयाभाई पटेल व पुत्री मणिबेन पटेल भी थीं, आश्चर्य हुआ। इस समय सरदार पटेल को लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं और उन बातों को सुनकर यह सहज ही विश्वास हो जाता है कि १९५० में सरदार पटेल की मृत्यु के बाद उनकी संतानों का राजनीति से कोई ताल्लुक नहीं रहा होगा। सरदार पटेल की दो संतानें थीं, एक बेटी और एक बेटा। बेटी मणिबेन पटेल तीन बार लोकसभा सदस्य और एक बार राज्यसभा सदस्य रहीं। बेटा दयाभाई पटेल तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे।
सरदार पटेल की मृत्यु के बाद हुए पहले आम चुनाव में उनकी पुत्री मणिबेन पटेल कैरा साउथ से और दूसरे आम चुनाव में आणंद से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सदस्य चुनी गईं। तीसरे आम चुनाव में मणिबेन पटेल स्वतंत्र पार्टी के कुमार नरेंद्र सिंह रंजीत सिंह महिदा से आणंद सीट पर २२७२९ वोटों से चुनाव हार गईं। चुनाव हारने पर कांग्रेस ने १९६४ में उन्हें राज्यसभा भेजा जहां वह १९७० तक रहीं। कांग्रेस के विभाजन के समय वे कांग्रेस संगठन में आईं। मणिबेन बाद में भारतीय लोकदल में शामिल हो गईं। १९७७ के आम चुनाव में वह मेहसाणा से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद वह चुनावी राजनीति से दूर रहकर गुजरात विद्यापीठ, वल्लभ विद्यानगर, बारदलोई स्वराज आश्रम, नवजीवन ट्रस्ट आदि से जुड़ी रहीं। १९९० में उनकी मृत्यु हुई।
यही नहीं, सरदार पटेल के पुत्र दयाभाई वल्लभभाई पटेल १९५८ से तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे। पहली बार १९५८ से १९६४ तक, दूसरी बार १९६४ से १९७० तक और तीसरी बार १९७० से १९७३ (मृत्यु) तक वे राज्यसभा में रहे।
ये हौंसला चुके नहीं - सुरेशचन्द्र शुक्ल, 'शरद आलोक' Poem by Suresh Chandra Shukla
5 नवम्बर को बन्धुवर, पुण्य तिथि पर बाबा
नागार्जुन को
अपनी कविता से श्रद्धांजलि. दोनों भाषाओँ में
Et dikt på hindi om forfatteren Nagarjun.
बन्धुवर, पुण्य तिथि पर बाबा नागार्जुन को अपनी कविता से श्रद्धांजलि.
ये हौंसला चुके नहीं
सुरेशचन्द्र शुक्ल, 'शरद आलोक'
क्यों न दूँ दुआयें मैं, द्वीप का धुंआँ सही.
दूज के तिलक का मैं, स्नेह का कुआँ सही.
महल -झोपड़ी से उठा हुआ धुंवाँ सही.
रोक सकता नहीं, किसी में क्षमता नहीं,
अपनी कविता से श्रद्धांजलि. दोनों भाषाओँ में
Et dikt på hindi om forfatteren Nagarjun.
बन्धुवर, पुण्य तिथि पर बाबा नागार्जुन को अपनी कविता से श्रद्धांजलि.
ये हौंसला चुके नहीं
सुरेशचन्द्र शुक्ल, 'शरद आलोक'
क्यों न दूँ दुआयें मैं, द्वीप का धुंआँ सही.
दूज के तिलक का मैं, स्नेह का कुआँ सही.
महल -झोपड़ी से उठा हुआ धुंवाँ सही.
रोक सकता नहीं, किसी में क्षमता नहीं,
ठग लिया बहुत मुझे साहूकार से राज्य ने,
विधि लिखा मिट गया, जब भाग्य लिखा आपने
जब नेतृत्व ढोलपोल है, तब बदलता भूगोल है.
आँख जब न मिला सके, तो बात गोलमोल है.
शेर की खाल में, जब दहाड़ता प्रधान है.
जन के मुख कौर छीन, तीसमारखाँ महान है?
डरूं नहीं कहूँगा सच, तुम सागर या पहाड़ हो.
गिर पड़े हैं राज-काज, जनता की दहाड़ से.
इसीलिये कोई राह में, कभी दिखा मशाल में.
प्रात हो या साँझ हो, जीवन में उबाल हो.
न हौंसले थकें कभी, बढे कदम रुके नहीं।
बदलना नियति को है, ये हौंसला चुके नहीं।
Et Dikt av Suresh Chandra Shukla
Hvorfor ikke gi en velsignelse, selv om jeg er en røyk.
Søsterens armbånd til bror, som brønn.
Slottet - røyken hevet fra høyden til høyre.
Kan ikke stoppe, ingen har evnen,
Staten tok mye penger fra folket,
Metoden ble skrevet ned, da du skrev skjebne
Når ledelsen er en tromme, så er det en skiftende geografi.
Når øyet ikke kan møtes, er samtalen sfærisk.
Når makthaveren har på seg løvekinnklæ, når brølet er hodet.
Tok maten fra folkets munn, er den ekte tigeren?
Ikke vær redd, virkelig, du er havet eller fjellet.
Høsten av regjeringen, offentligheten brøl
Det er derfor på en eller annen måte, i showet fakkelen.
Om det er morgen eller kveld, bli kokt i livet.
Aldri bli lei, det store skrittet stopper ikke.
Endring er skjebne, det har ikke blitt reist.
विधि लिखा मिट गया, जब भाग्य लिखा आपने
जब नेतृत्व ढोलपोल है, तब बदलता भूगोल है.
आँख जब न मिला सके, तो बात गोलमोल है.
शेर की खाल में, जब दहाड़ता प्रधान है.
जन के मुख कौर छीन, तीसमारखाँ महान है?
डरूं नहीं कहूँगा सच, तुम सागर या पहाड़ हो.
गिर पड़े हैं राज-काज, जनता की दहाड़ से.
इसीलिये कोई राह में, कभी दिखा मशाल में.
प्रात हो या साँझ हो, जीवन में उबाल हो.
न हौंसले थकें कभी, बढे कदम रुके नहीं।
बदलना नियति को है, ये हौंसला चुके नहीं।
Et Dikt av Suresh Chandra Shukla
Hvorfor ikke gi en velsignelse, selv om jeg er en røyk.
Søsterens armbånd til bror, som brønn.
Slottet - røyken hevet fra høyden til høyre.
Kan ikke stoppe, ingen har evnen,
Staten tok mye penger fra folket,
Metoden ble skrevet ned, da du skrev skjebne
Når ledelsen er en tromme, så er det en skiftende geografi.
Når øyet ikke kan møtes, er samtalen sfærisk.
Når makthaveren har på seg løvekinnklæ, når brølet er hodet.
Tok maten fra folkets munn, er den ekte tigeren?
Ikke vær redd, virkelig, du er havet eller fjellet.
Høsten av regjeringen, offentligheten brøl
Det er derfor på en eller annen måte, i showet fakkelen.
Om det er morgen eller kveld, bli kokt i livet.
Aldri bli lei, det store skrittet stopper ikke.
Endring er skjebne, det har ikke blitt reist.
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