5 नवम्बर को बन्धुवर, पुण्य तिथि पर बाबा
नागार्जुन को
अपनी कविता से श्रद्धांजलि. दोनों भाषाओँ में
Et dikt på hindi om forfatteren Nagarjun.
बन्धुवर, पुण्य तिथि पर बाबा नागार्जुन को अपनी कविता से श्रद्धांजलि.
ये हौंसला चुके नहीं
सुरेशचन्द्र शुक्ल, 'शरद आलोक'
क्यों न दूँ दुआयें मैं, द्वीप का धुंआँ सही.
दूज के तिलक का मैं, स्नेह का कुआँ सही.
महल -झोपड़ी से उठा हुआ धुंवाँ सही.
रोक सकता नहीं, किसी में क्षमता नहीं,
अपनी कविता से श्रद्धांजलि. दोनों भाषाओँ में
Et dikt på hindi om forfatteren Nagarjun.
बन्धुवर, पुण्य तिथि पर बाबा नागार्जुन को अपनी कविता से श्रद्धांजलि.
ये हौंसला चुके नहीं
सुरेशचन्द्र शुक्ल, 'शरद आलोक'
क्यों न दूँ दुआयें मैं, द्वीप का धुंआँ सही.
दूज के तिलक का मैं, स्नेह का कुआँ सही.
महल -झोपड़ी से उठा हुआ धुंवाँ सही.
रोक सकता नहीं, किसी में क्षमता नहीं,
ठग लिया बहुत मुझे साहूकार से राज्य ने,
विधि लिखा मिट गया, जब भाग्य लिखा आपने
जब नेतृत्व ढोलपोल है, तब बदलता भूगोल है.
आँख जब न मिला सके, तो बात गोलमोल है.
शेर की खाल में, जब दहाड़ता प्रधान है.
जन के मुख कौर छीन, तीसमारखाँ महान है?
डरूं नहीं कहूँगा सच, तुम सागर या पहाड़ हो.
गिर पड़े हैं राज-काज, जनता की दहाड़ से.
इसीलिये कोई राह में, कभी दिखा मशाल में.
प्रात हो या साँझ हो, जीवन में उबाल हो.
न हौंसले थकें कभी, बढे कदम रुके नहीं।
बदलना नियति को है, ये हौंसला चुके नहीं।
Et Dikt av Suresh Chandra Shukla
Hvorfor ikke gi en velsignelse, selv om jeg er en røyk.
Søsterens armbånd til bror, som brønn.
Slottet - røyken hevet fra høyden til høyre.
Kan ikke stoppe, ingen har evnen,
Staten tok mye penger fra folket,
Metoden ble skrevet ned, da du skrev skjebne
Når ledelsen er en tromme, så er det en skiftende geografi.
Når øyet ikke kan møtes, er samtalen sfærisk.
Når makthaveren har på seg løvekinnklæ, når brølet er hodet.
Tok maten fra folkets munn, er den ekte tigeren?
Ikke vær redd, virkelig, du er havet eller fjellet.
Høsten av regjeringen, offentligheten brøl
Det er derfor på en eller annen måte, i showet fakkelen.
Om det er morgen eller kveld, bli kokt i livet.
Aldri bli lei, det store skrittet stopper ikke.
Endring er skjebne, det har ikke blitt reist.
विधि लिखा मिट गया, जब भाग्य लिखा आपने
जब नेतृत्व ढोलपोल है, तब बदलता भूगोल है.
आँख जब न मिला सके, तो बात गोलमोल है.
शेर की खाल में, जब दहाड़ता प्रधान है.
जन के मुख कौर छीन, तीसमारखाँ महान है?
डरूं नहीं कहूँगा सच, तुम सागर या पहाड़ हो.
गिर पड़े हैं राज-काज, जनता की दहाड़ से.
इसीलिये कोई राह में, कभी दिखा मशाल में.
प्रात हो या साँझ हो, जीवन में उबाल हो.
न हौंसले थकें कभी, बढे कदम रुके नहीं।
बदलना नियति को है, ये हौंसला चुके नहीं।
Et Dikt av Suresh Chandra Shukla
Hvorfor ikke gi en velsignelse, selv om jeg er en røyk.
Søsterens armbånd til bror, som brønn.
Slottet - røyken hevet fra høyden til høyre.
Kan ikke stoppe, ingen har evnen,
Staten tok mye penger fra folket,
Metoden ble skrevet ned, da du skrev skjebne
Når ledelsen er en tromme, så er det en skiftende geografi.
Når øyet ikke kan møtes, er samtalen sfærisk.
Når makthaveren har på seg løvekinnklæ, når brølet er hodet.
Tok maten fra folkets munn, er den ekte tigeren?
Ikke vær redd, virkelig, du er havet eller fjellet.
Høsten av regjeringen, offentligheten brøl
Det er derfor på en eller annen måte, i showet fakkelen.
Om det er morgen eller kveld, bli kokt i livet.
Aldri bli lei, det store skrittet stopper ikke.
Endring er skjebne, det har ikke blitt reist.
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