जिसे मोदी सरकार ने फटकारा, उसे दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनोमी बनाएगी अपना सिरमौर ?
गिरिराज किशोर जी की पोस्ट से साभार।
रघुराम राजन
इंडिया संवाद ब्यूरो
नई दिल्ली : भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल के दौरान कई मौकों पर मोदी सरकार की खुली आलोचना की। जिसके बाद बीजेपी के कई नेता उनपर सवाल उठाने लगे। सुब्रमण्यम स्वामी ने उनकी नीतियों पर सवाल उठाते हुए पीएम मोदी से उन्हें हटाने की मांग की। स्वामी ने उनकी नीतियों को अमेरिका परस्त बताया और आरोप लगाए कि राजन शिकॉगो विश्वविद्यालय के अपने ईमेल आईडी के जरिए गोपनीय व संवेदनशील वित्तीय सूचनाएं भेजते रहे हैं जो असुरक्षित है। इन तमाम आरोपों से परेशान होकर स्वामी ने खुद दूसरा कार्यकाल लेने से इंकार कर दिया।
जिस रघुराम राजन को मोदी सरकार ने अहमियत न देकर चलता किया, अब उसी राजन के सहारे अमेरिका अपनी मंदी से उबरना चाहता है। अमेरिका की मशहूर फाइनेंशियल मैगजीन ‘बैरन्स’ ने अमेरिका के फेडरल रिजर्व के नए चेयरमैन के लिए रघुराम राजन के नाम का समर्थन किया है। बैरन मैगजीन का कहना है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक के चेयरमैन पद के लिए रघुराम राजन से आदर्श आदर्श व्यक्ति कोई और नहीं हो सकता।
राजन को फेडरल का चेयरमैन बनाने के पीछे दलील दी गई है कि रघुराम राजन के समय भारत में महंगाई दर आधी रह गई थी, शेयर मार्केट 50% से ज्यादा बढ़ा और रुपए में भी स्थिरता आई। कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प जल्द इसकी घोषणा भी कर सकते हैं। राजन के नियुक्ति की संभावना इसलिए भी प्रबल लग रही है क्योंकि अब तक फेडरल बैंक के चेयरमैन के रूप में विदेशियों का ज्यादा कब्ज़ा रहा है। बता दें कि राजन फिलहाल शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल में प्रोफेसर हैं।
राजन के काम से क्यों प्रभावित हुआ अमेरिका
राजन के नाम की चर्चा इसलिए भी है क्योंकि 2003 से 2006 के दौरान आईएमएफ के सबसे कम उम्र के चीफ इकोनॉमिस्ट और रिसर्च डायरेक्टर थे। यही नहीं रघुराम राजन ने 2005 में आईएमएफ की कॉन्फ्रेंस में अमेरिका की नीतियों पर सवाल उठाए थे।
फ़िलहाल अमेरिकी फेडरल बैंक की स्थिति ठीक नहीं चल रही है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है और उसकी 1200 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी भारत से आठ गुना बड़ी है। राजन को फेडरल बैंक का चेयरमैन बनाने के पीछे फाइनेंशियल मैगजीन ‘बैरन्स ने जो तथ्य दिए हैं वो कहते हैं कि राजन के आरबीआई गवर्नर रहते भारत में महंगाई दर 9.8% से घटकर 4.3% रह गई थी।सेंसेक्स 18900 से 50% से ज्यादा बढ़कर 28400 तक पहुंच गया था। डॉलर और दूसरी विदेशी करेंसी की तुलना में रुपए में स्थिरता आई थी।
राजन का एक परिचय
4 सितम्बर 2013 को डी॰ सुब्बाराव की सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्हें आरबीआई गवर्नर बनाया गया। इससे पूर्व वह प्रधानमन्त्री, मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार व शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एरिक॰ जे॰ ग्लीचर फाईनेंस के गणमान्य सर्विस प्रोफेसर थे।
2003 से 2006 तक वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख अर्थशास्त्री व अनुसंधान निदेशक रहे और भारत में वित्तीय सुधार के लिये योजना आयोग द्वारा नियुक्त समिति का नेतृत्व भी किया।
राजन मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी के अर्थशास्त्र विभाग और स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट; नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलौग स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट और स्टॉकहोम स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में अतिथि प्रोफेसर भी रहे हैं।
उन्होंने भारतीय वित्त मन्त्रालय, विश्व बैंक, फेडरल रिजर्व बोर्ड और स्वीडिश संसदीय आयोग के सलाहकार के रूप में भी काम किया है। सन् 2011 मे़ं वे अमेरिकन फाइनेंस ऐसोसिएशन के अध्यक्ष थे तथा वर्तमान समय में अमेरिकन अकैडमी ऑफ आर्ट्स एण्ड साइंसेज़ के सदस्य हैं।
गिरिराज किशोर जी की पोस्ट से साभार।
रघुराम राजन
इंडिया संवाद ब्यूरो
नई दिल्ली : भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपने कार्यकाल के दौरान कई मौकों पर मोदी सरकार की खुली आलोचना की। जिसके बाद बीजेपी के कई नेता उनपर सवाल उठाने लगे। सुब्रमण्यम स्वामी ने उनकी नीतियों पर सवाल उठाते हुए पीएम मोदी से उन्हें हटाने की मांग की। स्वामी ने उनकी नीतियों को अमेरिका परस्त बताया और आरोप लगाए कि राजन शिकॉगो विश्वविद्यालय के अपने ईमेल आईडी के जरिए गोपनीय व संवेदनशील वित्तीय सूचनाएं भेजते रहे हैं जो असुरक्षित है। इन तमाम आरोपों से परेशान होकर स्वामी ने खुद दूसरा कार्यकाल लेने से इंकार कर दिया।
जिस रघुराम राजन को मोदी सरकार ने अहमियत न देकर चलता किया, अब उसी राजन के सहारे अमेरिका अपनी मंदी से उबरना चाहता है। अमेरिका की मशहूर फाइनेंशियल मैगजीन ‘बैरन्स’ ने अमेरिका के फेडरल रिजर्व के नए चेयरमैन के लिए रघुराम राजन के नाम का समर्थन किया है। बैरन मैगजीन का कहना है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक के चेयरमैन पद के लिए रघुराम राजन से आदर्श आदर्श व्यक्ति कोई और नहीं हो सकता।
राजन को फेडरल का चेयरमैन बनाने के पीछे दलील दी गई है कि रघुराम राजन के समय भारत में महंगाई दर आधी रह गई थी, शेयर मार्केट 50% से ज्यादा बढ़ा और रुपए में भी स्थिरता आई। कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प जल्द इसकी घोषणा भी कर सकते हैं। राजन के नियुक्ति की संभावना इसलिए भी प्रबल लग रही है क्योंकि अब तक फेडरल बैंक के चेयरमैन के रूप में विदेशियों का ज्यादा कब्ज़ा रहा है। बता दें कि राजन फिलहाल शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल में प्रोफेसर हैं।
राजन के काम से क्यों प्रभावित हुआ अमेरिका
राजन के नाम की चर्चा इसलिए भी है क्योंकि 2003 से 2006 के दौरान आईएमएफ के सबसे कम उम्र के चीफ इकोनॉमिस्ट और रिसर्च डायरेक्टर थे। यही नहीं रघुराम राजन ने 2005 में आईएमएफ की कॉन्फ्रेंस में अमेरिका की नीतियों पर सवाल उठाए थे।
फ़िलहाल अमेरिकी फेडरल बैंक की स्थिति ठीक नहीं चल रही है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है और उसकी 1200 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी भारत से आठ गुना बड़ी है। राजन को फेडरल बैंक का चेयरमैन बनाने के पीछे फाइनेंशियल मैगजीन ‘बैरन्स ने जो तथ्य दिए हैं वो कहते हैं कि राजन के आरबीआई गवर्नर रहते भारत में महंगाई दर 9.8% से घटकर 4.3% रह गई थी।सेंसेक्स 18900 से 50% से ज्यादा बढ़कर 28400 तक पहुंच गया था। डॉलर और दूसरी विदेशी करेंसी की तुलना में रुपए में स्थिरता आई थी।
राजन का एक परिचय
4 सितम्बर 2013 को डी॰ सुब्बाराव की सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्हें आरबीआई गवर्नर बनाया गया। इससे पूर्व वह प्रधानमन्त्री, मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार व शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एरिक॰ जे॰ ग्लीचर फाईनेंस के गणमान्य सर्विस प्रोफेसर थे।
2003 से 2006 तक वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख अर्थशास्त्री व अनुसंधान निदेशक रहे और भारत में वित्तीय सुधार के लिये योजना आयोग द्वारा नियुक्त समिति का नेतृत्व भी किया।
राजन मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी के अर्थशास्त्र विभाग और स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट; नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलौग स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट और स्टॉकहोम स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में अतिथि प्रोफेसर भी रहे हैं।
उन्होंने भारतीय वित्त मन्त्रालय, विश्व बैंक, फेडरल रिजर्व बोर्ड और स्वीडिश संसदीय आयोग के सलाहकार के रूप में भी काम किया है। सन् 2011 मे़ं वे अमेरिकन फाइनेंस ऐसोसिएशन के अध्यक्ष थे तथा वर्तमान समय में अमेरिकन अकैडमी ऑफ आर्ट्स एण्ड साइंसेज़ के सदस्य हैं।
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