गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

नींव के पत्थर बनो - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' Oslo,

नींव के पत्थर बनो
 सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, 28.02.2019

चाँदनी फ़ैली दिखी है, जहाँ तक दृष्टि गयी है,
बर्फ की इन घाटियों में, चाँद जब दिखता नहीं है.
इगलुओं में मोमबत्ती, रोशनी देती नयी है.
आज कुछ तो अनमनी है, शीत से अपनी ठनी है।
राह के कंकड़ चुनो,
नींव के पत्थर बनो।
तेनसेंग ने कहा, एवरेस्ट के शिखर चढ़कर,
ऊपर ,हम खड़े थे, पर नीचे सारा जहाँ था.
शिखर पर चढ़कर सदा, नीचे सब दिखता जहाँ है.
हिलेरी का साथ सबको, आज अब मिलता कहाँ है।
राह काँटे की चुनो,
नींव के पत्थर बनो।
इंग्लिश चैनल पार कर, एक तैराक ने कहा था.
लहर के धपेड़ों ने हमारा, मार्ग रोका और खोला।
डूबने का भय नहीं, तब हौंसलों ने मन खखोला।
बिना पंखों भरी उड़ाने, संकल्प तराजू में तौला।
समय के संगी बनो.
नींव के पत्थर बनो।





सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

भक्त और अंध भक्त साहित्य में अंतर है. - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' , ओस्लो, 25.02.1 9


 भक्त और अंध भक्त साहित्य में अंतर है. 

- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'


साहित्य और शोध भावना नहीं देखता तथ्य के आधार पर लिखा जाता है वही चिरचीवी होता है, भक्त और अंध भक्त साहित्य में अंतर है. अंधभक्त साहित्य कभी भी साहित्य और इतिहास का हिस्सा नहीं हो सकता। आज की बातों पर आने वाले दिनों में उपहास का श्रोत बनेगा।
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' , ओस्लो, 25.02.1 9 

 

जीवन में कितनी बार - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', Oslo, 25.02.19

जीवन में कितनी बार
- सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

जीवन में कितनी बार,
मिलाया है तुमसे अपरिचित,
नये -नये देशों हमें दिये नये मिलन बिन्दु.
हर मोड़ पर जहाँ मार्ग मिलते हैं,
हर बार नये -नये लोग परिचित लगते हैं 
पर दोबारा नहीं मिलते हैं 

जीवन में कितनी बार
परिचित काफ़ी केन्द्रों पर 
जो मिलते हैं, 
एक मेज के किनारे रखी कुर्सियों पर बैठे थे 
वे परिचित नहीं हो सके.
जो बयरे मुझे काफ़ी पिलाते थे वह 
कभी मेरे साथ काफ़ी नहीं पी सके.

रविवार, 24 फ़रवरी 2019

मन की बात नहीं, काम की बात करो -सुरेशचन्द्र शुक्ल Suresh Chandra Shukla


मन की बात नहीं, काम की बात करो 

सुरेशचन्द्र शुक्ल
 - Suresh Chandra Shukla
कश्मीर पर जनता को भड़काओ  ना
पड़ोसी से अच्छे सम्बन्ध आबाद करो.
मंदिर-कुंभ जात-पात की बात बहुत की 
केवल  शिक्षा और स्वास्थ की बात करो.

हम तो हैं आपस में एक दूसरे के वास्ते,
तुम्हें मुबारक हो दौलतमंदों से दोस्ती
तुमने शिष्टाचार का सत्यानाश किया
जनता जहाँ मरती है वहाँ तुम करो मस्ती

तुमने बहुत मनमानी की, बेरोजगार के लिए  मेरी  कुर्सी खाली करो
जो भी पैसा एकत्र किया है यहाँ- वहाँ, उसे वापस लौटाने की तैयारी करो.
मन की बात नहीं, काम की बात करो, सभी राजा- मठाधीशों को आजाद  करो
मठाधीशों के लिए नहीं प्रजातंत्र का मंदिर, सड़क के देवी-देवताओं को आबाद करो.

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

मन की बात नहीं, काम की बात करो सभी राजा- मठाधीशों को आजाद करो- Suresh Chandra Shukla

 

मन की बात नहीं, काम की बात करो 
सभी राजा- मठाधीशों को आजाद  करो
 - Suresh Chandra Shukla
 

कश्मीर पर जनता को भड़काओ  ना
पड़ोसी से अच्छे सम्बन्ध आबाद करो.
मंदिर-कुंभ जात-पात की बात बहुत की 
केवल  शिक्षा और स्वास्थ की बात करो.

हम तो हैं आपस में एक दूसरे के वास्ते,
तुम्हें मुबारक हो दौलतमंदों से दोस्ती
तुमने शिष्टाचार का सत्यानाश किया
जनता जहाँ मरती है वहाँ तुम करो मस्ती

तुमने बहुत मनमानी की, बेरोजगार के लिए  मेरी  कुर्सी खाली करो
जो भी पैसा एकत्र किया है यहाँ- वहाँ, उसे वापस लौटाने की तैयारी करो.
मन की बात नहीं, काम की बात करो, सभी राजा- मठाधीशों को आजाद  करो
मठाधीशों के लिए नहीं प्रजातंत्र का मंदिर, सड़क के देवी-देवताओं को आबाद करो.

बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

प्रवासी का अंतर्द्वंद्व - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'

प्रवासी का अंतर्द्वंद्व


बन्धुवर, मेरे हिंदी में आठवें काव्य संग्रह 'प्रवासी का अंतर्द्वंद्व' में संग्रहित 61 कविताओं के बारे में ओस्लो के अखबार में आज छपा है.धन्यवाद।
Avisklipp fra dagensavis om min diktsamling på hindi 'Pravasi ka antardvandv' (Dilemma av å være innvandrer).

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

सुरेन्द्र मोहन पाठक के जन्मदिन पर हार्दिक श्रेष्ठ शुभकामनायें,-Suresh Chandra Shukla, Oslo


Gratulerer med 19. februar fødselsdagen Surendra Mohan Pathak som har skrevet over 300 krim bøker på hindi.















आज 19 फरवरी को सुरेन्द्र मोहन पाठक के जन्मदिन पर हार्दिक श्रेष्ठ शुभकामनायें, जो हिंदी के मशहूर लेखक जिन्होंने हिन्दी में करोड़ों पाठक दिए और अनगिनत उपन्यास। सुरेन्द्र मोहन पाठक जी स्वस्थ रहें और शतायु हों.

Speil 2019, No.1 स्पाइल-दर्पण 2019 का पहला अंक (Speil स्पाइल-दर्पण, A mgazine published in Oslo, Norway)

 बंधुवर, प्रस्तुत है Speil स्पाइल-दर्पण 2019 का पहला अंक.
Speil स्पाइल-दर्पण 30 वर्षों से यूरोप की एक मात्र निरंतर छपने वाली हिंदी पत्रिका जो स्कैण्डिनेवायी देशों (नार्वे) से प्रकाशित होती है.
पत्रिका कैसी लगी, प्रतिक्रिया और शुभकामनायें चित्र सहित भेजिये। यह आपकी पत्रिका है.
speil.nett@gmail.com
https://drive.google.com/file/d/0B-Yr4tfxYfDnRGZzSG9VUXdEdjNLZ0dUZXVQWEw4TWY5aUVR/view?fbclid=IwAR0_hR4kQY03QdPe7wY5KStVBq6bJgNtJwGkYkpMmxS-l2LUa7UGru0VdpA

शनिवार, 16 फ़रवरी 2019

सोशल मीडिया में उबाल: सुझाव और समाधान? -सुरेशचन्द्र शुक्ल

 सोशल मीडिया में उबाल: सुझाव और समाधान? -सुरेशचन्द्र  शुक्ल, १६ फरवरी 2019

हेमलता माहिश्वर की वाल से
 पुलवामा आक्रमण की पहली ख़बर थी कि 350 किलो का विस्फोटक था। सवाल सुरक्षा को लेकर उठा कि इतना विस्फोटक लेकर कैसे कोई गाड़ी आ गई। कल रात तक यह विस्फोटक 60 किलो रह गया और गाड़ी भी बड़ी से छोटी कार हो गई...
मुद्दा सहानुभूति की जगह सवाल बन गया तो लीपा-पोती शुरु हो गई...
सवाल तो यह है कि इतने सारे जवानों की सुरक्षा में चूक कैसे हुई? ये जवान देश के साथ साथ हर नेता को सुरक्षा देते हैं, उनकी सुरक्षा का दायित्व क्यों नहीं निभाया गया?
इनके परिवार जनों को देश भक्ति के गर्व भाव से भर देने पर क्या जवान लौट आएगा? क्या जवान की पारिवारिक ज़िम्मेदारी पूरी हो जाएगी?, 16. 02 .1 9

किशोर श्रीवास्तव की फेसबुक वाल से:
जो लोग बार-बार अन्य समाधान खोजने के स्थान पर अपने भाषण, गीत, कविताओं के ज़रिए देश को युद्ध की आग में झोंकने को उकसाते रहते हैं, उन सबको तत्काल फ़ौज में भर्ती करके बॉर्डर पर तैनात कर देना चाहिए।

पहले राजा-महाराजा और उनके परिवार के लोग अपनी प्रजा और राज्य/देश की रक्षा के लिए सेना का मनोबल बढ़ाते हुए उनके साथ, खुद भी दुश्मनों से लोहा लेने युद्ध के मैदान में उतरते थे। हमारी रानी झांसी ने छोटी सी उम्र में अपनी जान की परवाह न करते हुए खुद को युद्ध के लिए समर्पित कर दिया था। पर आज के राजा एसी कमरों में बैठकर दुश्मनों को उकसाकर केवल निरपराध सैनिकों और आम जनता को मरवाते रहते हैं। यह देश का दुर्भाग्य ही है कि यहां ज़्यादातर नेता; जिनको हम अपना खैर ख़्वाह समझते हैं, केवल बातों के धनी लफ़्फ़ाज़ लोग हैं, और हर वक़्त अपनी कुर्सी बचाने में ही लगे रहते हैं, दूसरों की जान बचे या नहीं। पक्ष में रहकर विपक्ष से उम्मीद और विपक्ष में रहकर पक्ष से उम्मीद, इसके अलावा और किसी हिम्मत, ताक़त या सूझबूझ से काम लेने की किसी को ज़रूरत नहीं। देश को एक सूखा जंगल सा बनाते जा रहे हैं हम जहां कोई भी माचिस की एक तीली से आग लगा बैठे।

दरअसल, अब हम उन जीव-जंतुओं जैसे होते जा रहे हैं जो अपने किसी प्रिय संगी-साथी, बच्चों आदि की खूंखार जीव-जंतुओं से नुचते जिस्म या मृत पड़ी बॉडी के करीब ही दीन-दुनिया से बेफिक्र होकर घास-पात चरते, जश्न मनाते या अपनी मस्ती में मशगूल रहते हैं।
  देश को तो घोटाले आदि में लिप्त रहे किसी नेता के निधन पर भी राष्ट्रीय शोक का सामना करना पड़ता है, देश के लिए न्योछावर होने वाले इन जवानों की भला क्या और कैसी हैसियत, ये छोटे-छोटे घरों के बच्चे तो बेमौत मरने और बिना किसी हो-हल्ले के इस दुनिया से कूच कर जाने के लिए ही पैदा होते हैं...#
@ किशोर श्रीवास्तव

मनीष चौधरी की वाल से 
 कड़वी सच्चाई यही है सर कि कोई नेता अपने बच्चों को सेना में भेजकर देश सेवा नही करना चाहता। वातानुकूलित कमरों में बैठकर जवानों की मौत पर घड़ियाली आँसू बहाकर देशभक्ति का दम्भ भरने वालों से क्या उम्मीद करें।
पंकज चतुर्वेदी की वाल से 
 मूत कर सो जाते हैं युध्ध को उकसाने वाले
मुकेश कुमार सिन्हा 
अच्छा है।
कम से कम दुश्मनों का एक-दो गोली तो बर्बाद कर ही देंगे।
रफाल वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री की देशभक्ति का तोहफा अम्बानी और दसॉल्ट को?


एन. राम के ताज़ा खुलासे से दिमाग में एक प्रश्न कौंधा –
क्या कोई माहिर गुजराती व्यापारी रफाल जैसे बिना गारंटी वाले एकतरफा सौदे में अपना पैसा फँसाएगा?
.
यह तो पता है कि रफाल सौदा दो सरकारों के बीच हुआ था परन्तु फ्रांस सरकार इस सौदे की गारंटी देने को तैयार नहीं हुई. अब Hindu पब्लिशिंग ग्रुप चेयरमैन एन. राम के ताज़ा खुलासे से यह पता चला है मोदी सरकार ने इस सौदे के लिए नियमों को ताक पर रख कर आनन-फानन में कई अभूतपूर्व अनुचित रियायतें दी.
राम के ताज़ा खुलासे पर NDTV कार्यक्रम से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी मिली की रफाल निर्माता Dassault की आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं है. यानि कि “चौकीदार” मोदी “भामाशाह” बन कर भारत माता के गरीब-अमीर सपूतों की पूँजी से Dassault और अनिल अम्बानी के रिलायंस ग्रुप दोनों का उद्धार कर रहें हैं.
मोदी सरकार ने रफाल सौदे के लिए नियमों से हट कर जो रियायतें दी हैं उनकी संक्षिप्त परन्तु प्रभावशाली व्याख्या पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी ट्वीट में की है. उनकी ट्वीट का हिंदी अनुवाद है – “ना फ्रांस सरकार की गारंटी; ना बैंक गारंटी; ना escrow account, फिर भी (Dassault को) एक विशाल रकम का पेशगी भुगतान किया.”
चिदंबरम दूसरी ट्वीट में कहते हैं, “(सौदे के लिए) अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए को जुर्माना नहीं; एजेंसी कमीशन के खिलाफ कोई प्रावधान नहीं; सप्लायर (Dassault और MBDA France) के अकाउंट देखने की इज़ाज़त नहीं, और Dassault हँसते हुए बैंक जा रहा है (यानि कि मालामाल हो रहा है)”.
मैं रफाल सौदे की तुलना अगुस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे से करके “चौकीदार” की वफ़ादारी परखने के लिए एक सन्दर्भ प्रस्तुत करूँगा. परन्तु पहले मोदी सरकार द्वारा रफाल सौदे के लिए दी गयी उन अभूतपूर्व अनुचित रियायतों का जिक्र करूँगा जिनका खुलासा एन. राम ने अपने नए लेख में किया है –
• रक्षा खरीद प्रणाली (Defence Procurement Procedure) के उन स्टैण्डर्ड (अनिवार्य) प्रावधानों को हटाया गया जिनमे सौदे के लिए अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करने एवं एजेंट/एजेंसी कमीशन वसूलने पर जुर्माने की व्यवस्था थी. यह व्यवस्था 2013 (UPA काल) की DPP शर्तों में शामिल थी.
• Dassault एवं MBDA France के खातों तक पहुंच को सुनिश्चित करने वाली धारा को भी हटा दिया गया. (Dassault लड़ाकू जहाज़ पैकेज सप्लाई करेगी जबकि MBDA France के जिम्मे वायुसेना को हथियारों की सप्लाई है.)
• उस धारा को भी हटा दिया जिसके अनुसार Dassault एवं MBDA France को पेमेंट के लिए फ्रांस सरकार को एक Escrow अकाउंट ऑपरेट करना था. (Escrow अकाउंट थर्ड पार्टी ऑपरेट करती है. भारत सरकार Escrow अकाउंट में रफाल सौदे का पैसा जमा करती. जब भारत सरकार Dassault एवं MBDA France के काम से संतुष्ट होती तब फ्रांस सरकार इन कंपनियों को पैसा रिलीज़ करती.)
अब अगर UPA सरकार के अगुस्ता सौदे की बात करें तो अगुस्ता से UPA सरकार ने देशी एवं विदेशी बैंकों द्वारा ज़ारी गारंटी ली हुई थी. "चौकीदार" सरकार के पास रफाल बैंक गारंटी नहीं है.
जब अगुस्ता सौदे में गड़बड़ी की बात मीडिया में उजागर हुई तो UPA सरकार ने स्वतः ही इस सौदे पर FIR दर्ज करवाई और सौदे की जांच CBI को सौंपी. तत्कालीन रक्षामंत्री ए. के. अंटोनी ने संसद में इस सौदे की JPC जांच का प्रस्ताव भी रखा था जिसे भाजपा ने खारिज कर दिया.
UPA सरकार ने अगुस्ता को 1620 करोड़ रुपये पेशगी भुगतान किया था, परन्तु सरकार ने सौदे को निरस्त कर देशी-विदेशी बैंकों की अगुस्ता गारंटियां ज़ब्त करके कुल 2068 करोड़ रूपये प्राप्त किये. साथ ही 3 डिलीवर हो चुके हेलीकाप्टर भी ज़ब्त कर लिए. इस तरह 1620 करोड़ रुपये पेशगी के बदले भारत ने कुल 2954 करोड़ रुपये रिकवर किये. विदेशी बैंक गारंटी ज़ब्त करने के लिए मिलान (इटली) में मुकदमा भी करना पड़ा.
अब अगुस्ता सौदे के तथाकथित UPA भ्रष्टाचार को सिद्ध करने के लिए "चौकीदार" मोदी भले ही “मिचेल मामा” का जाप करते रहें पर क्या उनका रफाल ‘रावण’ (एन.) राम के तीरों को झेल पायेगा???प्र
प्रसाद जी की वाल से सधन्यवाद
 

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

भारत सरकार बताये कि वह बताये कि हर साल भारत से पचपन हजार बच्चे गायब और अपहरण होकर कहाँ जाते हैं? - भारतीय सुप्रीम कोर्ट ( टीवी के अनुसार)


भारत में  नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी जी की पुकार सुनकर
सुप्रीमकोर्ट ने आदेश दिया था, सरकार से पूछा कि भारत सरकार बताये कि  वह बताये
कि हर साल भारत से पचपन हजार बच्चे गायब और अपहरण होकर कहाँ जाते हैं? 
मुझे इसका उत्तर कभी किसी बड़े टी वी चैनल पर सुनाई नहीं पड़ा और न ही सोशल मीडिया: फेसबुक पर चर्चा ही देखने को मिली? यदि पता है तो कृपया बताइये। ( दो महीने पहले भारतीय टीवी के अनुसार).


आदेश का पालन कर आज तक सरकार ने जवाब दिया या नहीं दिया पता नहीं कि देश से पचपन हजार बच्चे गायब और अपहरण होकर कहाँ जाते हैं ?

बुधवार, 13 फ़रवरी 2019

सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' -लोकसभा टी वी पर अपने साक्षात्कार का लिंक भेज रहा हूँ.

 
 Intervju på Loksabha TV i India


आपको लोकसभा टी वी पर अपने साक्षात्कार का लिंक भेज रहा हूँ.

मेरा इंटरव्यू लोकसभा टी वी पर.
https://youtu.be/clA2xi5qcU8?list=PLVwSaSw61aK5DaQ0Sr1ybRbJbbLkkeA5f
शुभकामनाओं सहित सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
ओस्लो 

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

नमस्कार, बन्धुवर! यादगार तस्वीरें । - Suresh Chandra Shukla


नमस्कार, बन्धुवर!  यादगार तस्वीरें ।




'Flyktningerkrise' A poem in norwegian by Suresh Chandra Shukla


Flyktningerkrise 
- Suresh Chandra Shukla

Den lille Norge
har hjerte som hav.
Gjør dugnad daglig
og minst mulig krav.

Hvis flyktninger skal prøve 
på egen hånd med hus og mat,
kan være selvhjelpen 
kan fylle bekymringens gap.

Årets hjul, blir slutt i Jul,
skriv et kort til din venn!
Gi litt trøst til din kjær.
Det du har mest 
del med kjærligheten
litt mat litt klær.