काटों के सेज पर मना वसन्त - सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
जहाँ शराब से मरे सैकड़ों,
शासन तो उत्सव मना रहा.
अस्पतालों में दवा नहीं है,
कुम्भ में अरबों खपा रहा.
अपने अपराधों को माफी,
जेलों में निरपराध किये बंद.
जनता मरती न कोई अंत.
हाँ जोगी-भोगी का वसंत।
शरद आलोक जन्मदिन मना,
ओस्लो में उत्सव मना रहे.
तभी यू पी में कितने परिवार,
जहरीली शराब का कहर सहें।
सैनिक का सीमा पर वसन्त,
फुटपातों पर ठिठुरा अनन्त,
एशिया -अफ्रीका की (बहु)जनता,
का अभावों में बीता वसन्त।
ओस्लो, 10 फरवरी अपने जन्मदिन पर
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