सोशल मीडिया में उबाल: सुझाव और समाधान? -सुरेशचन्द्र शुक्ल, १६ फरवरी 2019
हेमलता माहिश्वर की वाल से
पुलवामा आक्रमण की पहली ख़बर थी कि 350 किलो का विस्फोटक था। सवाल सुरक्षा को लेकर उठा कि इतना विस्फोटक लेकर कैसे कोई गाड़ी आ गई। कल रात तक यह विस्फोटक 60 किलो रह गया और गाड़ी भी बड़ी से छोटी कार हो गई...
मुद्दा सहानुभूति की जगह सवाल बन गया तो लीपा-पोती शुरु हो गई...
सवाल तो यह है कि इतने सारे जवानों की सुरक्षा में चूक कैसे हुई? ये जवान देश के साथ साथ हर नेता को सुरक्षा देते हैं, उनकी सुरक्षा का दायित्व क्यों नहीं निभाया गया?
इनके परिवार जनों को देश भक्ति के गर्व भाव से भर देने पर क्या जवान लौट आएगा? क्या जवान की पारिवारिक ज़िम्मेदारी पूरी हो जाएगी?, 16. 02 .1 9
किशोर श्रीवास्तव की फेसबुक वाल से:
जो लोग बार-बार अन्य समाधान खोजने के स्थान पर अपने भाषण, गीत, कविताओं के ज़रिए देश को युद्ध की आग में झोंकने को उकसाते रहते हैं, उन सबको तत्काल फ़ौज में भर्ती करके बॉर्डर पर तैनात कर देना चाहिए।
पहले राजा-महाराजा और उनके परिवार के लोग अपनी प्रजा और राज्य/देश की रक्षा के लिए सेना का मनोबल बढ़ाते हुए उनके साथ, खुद भी दुश्मनों से लोहा लेने युद्ध के मैदान में उतरते थे। हमारी रानी झांसी ने छोटी सी उम्र में अपनी जान की परवाह न करते हुए खुद को युद्ध के लिए समर्पित कर दिया था। पर आज के राजा एसी कमरों में बैठकर दुश्मनों को उकसाकर केवल निरपराध सैनिकों और आम जनता को मरवाते रहते हैं। यह देश का दुर्भाग्य ही है कि यहां ज़्यादातर नेता; जिनको हम अपना खैर ख़्वाह समझते हैं, केवल बातों के धनी लफ़्फ़ाज़ लोग हैं, और हर वक़्त अपनी कुर्सी बचाने में ही लगे रहते हैं, दूसरों की जान बचे या नहीं। पक्ष में रहकर विपक्ष से उम्मीद और विपक्ष में रहकर पक्ष से उम्मीद, इसके अलावा और किसी हिम्मत, ताक़त या सूझबूझ से काम लेने की किसी को ज़रूरत नहीं। देश को एक सूखा जंगल सा बनाते जा रहे हैं हम जहां कोई भी माचिस की एक तीली से आग लगा बैठे।
हेमलता माहिश्वर की वाल से
पुलवामा आक्रमण की पहली ख़बर थी कि 350 किलो का विस्फोटक था। सवाल सुरक्षा को लेकर उठा कि इतना विस्फोटक लेकर कैसे कोई गाड़ी आ गई। कल रात तक यह विस्फोटक 60 किलो रह गया और गाड़ी भी बड़ी से छोटी कार हो गई...
मुद्दा सहानुभूति की जगह सवाल बन गया तो लीपा-पोती शुरु हो गई...
सवाल तो यह है कि इतने सारे जवानों की सुरक्षा में चूक कैसे हुई? ये जवान देश के साथ साथ हर नेता को सुरक्षा देते हैं, उनकी सुरक्षा का दायित्व क्यों नहीं निभाया गया?
इनके परिवार जनों को देश भक्ति के गर्व भाव से भर देने पर क्या जवान लौट आएगा? क्या जवान की पारिवारिक ज़िम्मेदारी पूरी हो जाएगी?, 16. 02 .1 9
किशोर श्रीवास्तव की फेसबुक वाल से:
जो लोग बार-बार अन्य समाधान खोजने के स्थान पर अपने भाषण, गीत, कविताओं के ज़रिए देश को युद्ध की आग में झोंकने को उकसाते रहते हैं, उन सबको तत्काल फ़ौज में भर्ती करके बॉर्डर पर तैनात कर देना चाहिए।
पहले राजा-महाराजा और उनके परिवार के लोग अपनी प्रजा और राज्य/देश की रक्षा के लिए सेना का मनोबल बढ़ाते हुए उनके साथ, खुद भी दुश्मनों से लोहा लेने युद्ध के मैदान में उतरते थे। हमारी रानी झांसी ने छोटी सी उम्र में अपनी जान की परवाह न करते हुए खुद को युद्ध के लिए समर्पित कर दिया था। पर आज के राजा एसी कमरों में बैठकर दुश्मनों को उकसाकर केवल निरपराध सैनिकों और आम जनता को मरवाते रहते हैं। यह देश का दुर्भाग्य ही है कि यहां ज़्यादातर नेता; जिनको हम अपना खैर ख़्वाह समझते हैं, केवल बातों के धनी लफ़्फ़ाज़ लोग हैं, और हर वक़्त अपनी कुर्सी बचाने में ही लगे रहते हैं, दूसरों की जान बचे या नहीं। पक्ष में रहकर विपक्ष से उम्मीद और विपक्ष में रहकर पक्ष से उम्मीद, इसके अलावा और किसी हिम्मत, ताक़त या सूझबूझ से काम लेने की किसी को ज़रूरत नहीं। देश को एक सूखा जंगल सा बनाते जा रहे हैं हम जहां कोई भी माचिस की एक तीली से आग लगा बैठे।
दरअसल,
अब हम उन जीव-जंतुओं जैसे होते जा रहे हैं जो अपने किसी प्रिय संगी-साथी,
बच्चों आदि की खूंखार जीव-जंतुओं से नुचते जिस्म या मृत पड़ी बॉडी के करीब
ही दीन-दुनिया से बेफिक्र होकर घास-पात चरते, जश्न मनाते या अपनी मस्ती में
मशगूल रहते हैं।
देश को तो घोटाले आदि में लिप्त रहे किसी नेता के निधन पर भी राष्ट्रीय शोक का सामना करना पड़ता है, देश के लिए न्योछावर होने वाले इन जवानों की भला क्या और कैसी हैसियत, ये छोटे-छोटे घरों के बच्चे तो बेमौत मरने और बिना किसी हो-हल्ले के इस दुनिया से कूच कर जाने के लिए ही पैदा होते हैं...#
@ किशोर श्रीवास्तव
देश को तो घोटाले आदि में लिप्त रहे किसी नेता के निधन पर भी राष्ट्रीय शोक का सामना करना पड़ता है, देश के लिए न्योछावर होने वाले इन जवानों की भला क्या और कैसी हैसियत, ये छोटे-छोटे घरों के बच्चे तो बेमौत मरने और बिना किसी हो-हल्ले के इस दुनिया से कूच कर जाने के लिए ही पैदा होते हैं...#
@ किशोर श्रीवास्तव
मनीष चौधरी की वाल से
कड़वी
सच्चाई यही है सर कि कोई नेता अपने बच्चों को सेना में भेजकर देश सेवा नही
करना चाहता। वातानुकूलित कमरों में बैठकर जवानों की मौत पर घड़ियाली आँसू
बहाकर देशभक्ति का दम्भ भरने वालों से क्या उम्मीद करें।
पंकज चतुर्वेदी की वाल से
मूत कर सो जाते हैं युध्ध को उकसाने वाले
मुकेश कुमार सिन्हा
अच्छा है।
कम से कम दुश्मनों का एक-दो गोली तो बर्बाद कर ही देंगे।
कम से कम दुश्मनों का एक-दो गोली तो बर्बाद कर ही देंगे।
रफाल वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री की देशभक्ति का तोहफा अम्बानी और दसॉल्ट को?
एन. राम के ताज़ा खुलासे से दिमाग में एक प्रश्न कौंधा –
क्या कोई माहिर गुजराती व्यापारी रफाल जैसे बिना गारंटी वाले एकतरफा सौदे में अपना पैसा फँसाएगा?
.
यह तो पता है कि रफाल सौदा दो सरकारों के बीच हुआ था परन्तु फ्रांस सरकार इस सौदे की गारंटी देने को तैयार नहीं हुई. अब Hindu पब्लिशिंग ग्रुप चेयरमैन एन. राम के ताज़ा खुलासे से यह पता चला है मोदी सरकार ने इस सौदे के लिए नियमों को ताक पर रख कर आनन-फानन में कई अभूतपूर्व अनुचित रियायतें दी.
राम के ताज़ा खुलासे पर NDTV कार्यक्रम से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी मिली की रफाल निर्माता Dassault की आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं है. यानि कि “चौकीदार” मोदी “भामाशाह” बन कर भारत माता के गरीब-अमीर सपूतों की पूँजी से Dassault और अनिल अम्बानी के रिलायंस ग्रुप दोनों का उद्धार कर रहें हैं.
मोदी सरकार ने रफाल सौदे के लिए नियमों से हट कर जो रियायतें दी हैं उनकी संक्षिप्त परन्तु प्रभावशाली व्याख्या पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी ट्वीट में की है. उनकी ट्वीट का हिंदी अनुवाद है – “ना फ्रांस सरकार की गारंटी; ना बैंक गारंटी; ना escrow account, फिर भी (Dassault को) एक विशाल रकम का पेशगी भुगतान किया.”
चिदंबरम दूसरी ट्वीट में कहते हैं, “(सौदे के लिए) अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए को जुर्माना नहीं; एजेंसी कमीशन के खिलाफ कोई प्रावधान नहीं; सप्लायर (Dassault और MBDA France) के अकाउंट देखने की इज़ाज़त नहीं, और Dassault हँसते हुए बैंक जा रहा है (यानि कि मालामाल हो रहा है)”.
मैं रफाल सौदे की तुलना अगुस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे से करके “चौकीदार” की वफ़ादारी परखने के लिए एक सन्दर्भ प्रस्तुत करूँगा. परन्तु पहले मोदी सरकार द्वारा रफाल सौदे के लिए दी गयी उन अभूतपूर्व अनुचित रियायतों का जिक्र करूँगा जिनका खुलासा एन. राम ने अपने नए लेख में किया है –
• रक्षा खरीद प्रणाली (Defence Procurement Procedure) के उन स्टैण्डर्ड (अनिवार्य) प्रावधानों को हटाया गया जिनमे सौदे के लिए अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करने एवं एजेंट/एजेंसी कमीशन वसूलने पर जुर्माने की व्यवस्था थी. यह व्यवस्था 2013 (UPA काल) की DPP शर्तों में शामिल थी.
• Dassault एवं MBDA France के खातों तक पहुंच को सुनिश्चित करने वाली धारा को भी हटा दिया गया. (Dassault लड़ाकू जहाज़ पैकेज सप्लाई करेगी जबकि MBDA France के जिम्मे वायुसेना को हथियारों की सप्लाई है.)
• उस धारा को भी हटा दिया जिसके अनुसार Dassault एवं MBDA France को पेमेंट के लिए फ्रांस सरकार को एक Escrow अकाउंट ऑपरेट करना था. (Escrow अकाउंट थर्ड पार्टी ऑपरेट करती है. भारत सरकार Escrow अकाउंट में रफाल सौदे का पैसा जमा करती. जब भारत सरकार Dassault एवं MBDA France के काम से संतुष्ट होती तब फ्रांस सरकार इन कंपनियों को पैसा रिलीज़ करती.)
अब अगर UPA सरकार के अगुस्ता सौदे की बात करें तो अगुस्ता से UPA सरकार ने देशी एवं विदेशी बैंकों द्वारा ज़ारी गारंटी ली हुई थी. "चौकीदार" सरकार के पास रफाल बैंक गारंटी नहीं है.
जब अगुस्ता सौदे में गड़बड़ी की बात मीडिया में उजागर हुई तो UPA सरकार ने स्वतः ही इस सौदे पर FIR दर्ज करवाई और सौदे की जांच CBI को सौंपी. तत्कालीन रक्षामंत्री ए. के. अंटोनी ने संसद में इस सौदे की JPC जांच का प्रस्ताव भी रखा था जिसे भाजपा ने खारिज कर दिया.
UPA सरकार ने अगुस्ता को 1620 करोड़ रुपये पेशगी भुगतान किया था, परन्तु सरकार ने सौदे को निरस्त कर देशी-विदेशी बैंकों की अगुस्ता गारंटियां ज़ब्त करके कुल 2068 करोड़ रूपये प्राप्त किये. साथ ही 3 डिलीवर हो चुके हेलीकाप्टर भी ज़ब्त कर लिए. इस तरह 1620 करोड़ रुपये पेशगी के बदले भारत ने कुल 2954 करोड़ रुपये रिकवर किये. विदेशी बैंक गारंटी ज़ब्त करने के लिए मिलान (इटली) में मुकदमा भी करना पड़ा.
अब अगुस्ता सौदे के तथाकथित UPA भ्रष्टाचार को सिद्ध करने के लिए "चौकीदार" मोदी भले ही “मिचेल मामा” का जाप करते रहें पर क्या उनका रफाल ‘रावण’ (एन.) राम के तीरों को झेल पायेगा???प्र
प्रसाद जी की वाल से सधन्यवाद
एन. राम के ताज़ा खुलासे से दिमाग में एक प्रश्न कौंधा –
क्या कोई माहिर गुजराती व्यापारी रफाल जैसे बिना गारंटी वाले एकतरफा सौदे में अपना पैसा फँसाएगा?
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यह तो पता है कि रफाल सौदा दो सरकारों के बीच हुआ था परन्तु फ्रांस सरकार इस सौदे की गारंटी देने को तैयार नहीं हुई. अब Hindu पब्लिशिंग ग्रुप चेयरमैन एन. राम के ताज़ा खुलासे से यह पता चला है मोदी सरकार ने इस सौदे के लिए नियमों को ताक पर रख कर आनन-फानन में कई अभूतपूर्व अनुचित रियायतें दी.
राम के ताज़ा खुलासे पर NDTV कार्यक्रम से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी मिली की रफाल निर्माता Dassault की आर्थिक हालत भी अच्छी नहीं है. यानि कि “चौकीदार” मोदी “भामाशाह” बन कर भारत माता के गरीब-अमीर सपूतों की पूँजी से Dassault और अनिल अम्बानी के रिलायंस ग्रुप दोनों का उद्धार कर रहें हैं.
मोदी सरकार ने रफाल सौदे के लिए नियमों से हट कर जो रियायतें दी हैं उनकी संक्षिप्त परन्तु प्रभावशाली व्याख्या पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी ट्वीट में की है. उनकी ट्वीट का हिंदी अनुवाद है – “ना फ्रांस सरकार की गारंटी; ना बैंक गारंटी; ना escrow account, फिर भी (Dassault को) एक विशाल रकम का पेशगी भुगतान किया.”
चिदंबरम दूसरी ट्वीट में कहते हैं, “(सौदे के लिए) अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए को जुर्माना नहीं; एजेंसी कमीशन के खिलाफ कोई प्रावधान नहीं; सप्लायर (Dassault और MBDA France) के अकाउंट देखने की इज़ाज़त नहीं, और Dassault हँसते हुए बैंक जा रहा है (यानि कि मालामाल हो रहा है)”.
मैं रफाल सौदे की तुलना अगुस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे से करके “चौकीदार” की वफ़ादारी परखने के लिए एक सन्दर्भ प्रस्तुत करूँगा. परन्तु पहले मोदी सरकार द्वारा रफाल सौदे के लिए दी गयी उन अभूतपूर्व अनुचित रियायतों का जिक्र करूँगा जिनका खुलासा एन. राम ने अपने नए लेख में किया है –
• रक्षा खरीद प्रणाली (Defence Procurement Procedure) के उन स्टैण्डर्ड (अनिवार्य) प्रावधानों को हटाया गया जिनमे सौदे के लिए अनुचित प्रभाव का इस्तेमाल करने एवं एजेंट/एजेंसी कमीशन वसूलने पर जुर्माने की व्यवस्था थी. यह व्यवस्था 2013 (UPA काल) की DPP शर्तों में शामिल थी.
• Dassault एवं MBDA France के खातों तक पहुंच को सुनिश्चित करने वाली धारा को भी हटा दिया गया. (Dassault लड़ाकू जहाज़ पैकेज सप्लाई करेगी जबकि MBDA France के जिम्मे वायुसेना को हथियारों की सप्लाई है.)
• उस धारा को भी हटा दिया जिसके अनुसार Dassault एवं MBDA France को पेमेंट के लिए फ्रांस सरकार को एक Escrow अकाउंट ऑपरेट करना था. (Escrow अकाउंट थर्ड पार्टी ऑपरेट करती है. भारत सरकार Escrow अकाउंट में रफाल सौदे का पैसा जमा करती. जब भारत सरकार Dassault एवं MBDA France के काम से संतुष्ट होती तब फ्रांस सरकार इन कंपनियों को पैसा रिलीज़ करती.)
अब अगर UPA सरकार के अगुस्ता सौदे की बात करें तो अगुस्ता से UPA सरकार ने देशी एवं विदेशी बैंकों द्वारा ज़ारी गारंटी ली हुई थी. "चौकीदार" सरकार के पास रफाल बैंक गारंटी नहीं है.
जब अगुस्ता सौदे में गड़बड़ी की बात मीडिया में उजागर हुई तो UPA सरकार ने स्वतः ही इस सौदे पर FIR दर्ज करवाई और सौदे की जांच CBI को सौंपी. तत्कालीन रक्षामंत्री ए. के. अंटोनी ने संसद में इस सौदे की JPC जांच का प्रस्ताव भी रखा था जिसे भाजपा ने खारिज कर दिया.
UPA सरकार ने अगुस्ता को 1620 करोड़ रुपये पेशगी भुगतान किया था, परन्तु सरकार ने सौदे को निरस्त कर देशी-विदेशी बैंकों की अगुस्ता गारंटियां ज़ब्त करके कुल 2068 करोड़ रूपये प्राप्त किये. साथ ही 3 डिलीवर हो चुके हेलीकाप्टर भी ज़ब्त कर लिए. इस तरह 1620 करोड़ रुपये पेशगी के बदले भारत ने कुल 2954 करोड़ रुपये रिकवर किये. विदेशी बैंक गारंटी ज़ब्त करने के लिए मिलान (इटली) में मुकदमा भी करना पड़ा.
अब अगुस्ता सौदे के तथाकथित UPA भ्रष्टाचार को सिद्ध करने के लिए "चौकीदार" मोदी भले ही “मिचेल मामा” का जाप करते रहें पर क्या उनका रफाल ‘रावण’ (एन.) राम के तीरों को झेल पायेगा???प्र
प्रसाद जी की वाल से सधन्यवाद
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