प्रेमचंद का किराए का मकान ढहा.
महोबा के मोहल्ला छजमनपुरा में मुख्य बाजार में मुशी प्रेमचंद का किराए का मकान ढहने के साथ उनकी यादें भी ख़त्म हो गई हैं । 16 अगस्त 2016 को बारिश के चलते यह जर्जर आवास ढह गया था।
महोबा के मोहल्ला छजमनपुरा में मुख्य बाजार में मुशी प्रेमचंद का किराए का मकान ढहने के साथ उनकी यादें भी ख़त्म हो गई हैं । 16 अगस्त 2016 को बारिश के चलते यह जर्जर आवास ढह गया था।
इसी ऐतिहासिक इमारत में रहकर मुंशी प्रेमचंद ने कई उपन्यास और कहानियाँ भी लिखी हैं।
वर्ष 1909 से 1916 तक बेसिक शिक्षा विभाग में एसडीआई के पद पर रहे मुंशी प्रेमचंद स्कूलों का निरीक्षण बैलगाड़ी से करते थे।
रात में गाँव में ही विश्राम करते थे और अगले दिन आसपास के गाँवों के स्कूलों का निरीक्षण करते थे।
वे महोबा के मोहल्ला छजमनपुरा में किराए पर क़रीब 7 साल तक रहे ।
छजमनपुरा में किराए के मकान में रहकर ही मुंशी प्रेमचंद ने 'आत्माराम' और 'मंत्र' जैसी मशहूर कहानियाँ लिखी हैं।
इसके अलावा शोज-ए-वतन पुस्तक नवाब राय के नाम से लिखी थी। लोग इस इमारत को 'मुंशी प्रेमचंद की इमारत' के नाम से जानते थे। (जय प्रकाश मानस की फेसबुक से साभार.)
बंधुवर इस समय तो प्रेमचन्द जीवित नहीं हैं. आजकल तो अनेक लेखकों को उनके घर से बेघर किया जा रहा है.
कभी इस पर भी नजर डालूंगा।
वर्ष 1909 से 1916 तक बेसिक शिक्षा विभाग में एसडीआई के पद पर रहे मुंशी प्रेमचंद स्कूलों का निरीक्षण बैलगाड़ी से करते थे।
रात में गाँव में ही विश्राम करते थे और अगले दिन आसपास के गाँवों के स्कूलों का निरीक्षण करते थे।
वे महोबा के मोहल्ला छजमनपुरा में किराए पर क़रीब 7 साल तक रहे ।
छजमनपुरा में किराए के मकान में रहकर ही मुंशी प्रेमचंद ने 'आत्माराम' और 'मंत्र' जैसी मशहूर कहानियाँ लिखी हैं।
इसके अलावा शोज-ए-वतन पुस्तक नवाब राय के नाम से लिखी थी। लोग इस इमारत को 'मुंशी प्रेमचंद की इमारत' के नाम से जानते थे। (जय प्रकाश मानस की फेसबुक से साभार.)
बंधुवर इस समय तो प्रेमचन्द जीवित नहीं हैं. आजकल तो अनेक लेखकों को उनके घर से बेघर किया जा रहा है.
कभी इस पर भी नजर डालूंगा।
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