मोदी जी कहीं परेशानी में तो नहीं हैं? उनकी सहायता कीजिये
- सुरेशचन्द्र शुक्ल, Suresh Chanda Shukla, Oslo, 11.12.16
आजकल मोदी जी बिना अपनी जनता के बारे में उनकी सोच को समझे हुए उपदेश और संदेश दे रहे हैं।उनके साथी और सहयोगी उनका अंधा सहयोग दे रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है। हो सकता है यह अनुमान गलत हो।
डॉ राम गोपाल के पत्र मेंलिखा है कि
"मित्रो, 8 नवंबर को जब माननीय मोदी जी ने बड़े नोट वापसी का फैसला लिया तो उनके इस कदम का स्वागत करने वालो की भीड़ में मैं भी शामिल था ,परंतु कल विशाल जन सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने जो कहा उसने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया कि क्या ये हमारे देश के पी एम् बोल रहे हैं।उन्होंने कहा कि आप यदि कार से कही जा रहे हैं और लाल बत्ती पर आपको भिखारी मिल जाए तो आप तुरंत जेब से कार्ड निकालें और उसे कहें भैया मेरे पास छुट्टे नहीं हैं ,तुम अपनी स्वेप मशीन में ये कार्ड स्वेप कर अपने खाते में पैसा डाल लो।
आश्चर्य हुआ,उन्हें ये जानकारी होनी चाहिए थी कि स्वेप मशीन उन व्यवसायियों को दी जाती है जिसका बैंक में करेंट अकाउंट खुला हो ,हर समय उसमे 10000 बैलेंस बना रहे।क्या कोई भिखारी ऐसा करेगा।दुसरे आप यदि इसे व्यापार मानते हैं और भीख को प्रोत्साहन दे रहे हैं तो फिर कैशलेस संबंधी सारे सवाल बेमानी हो जाएंगे।नेट से पेमेंट लागू करने से पूर्व देश मे सभी जगह नेट उपलब्धि,हर नागरिक को आवश्यक शिक्षा और खाते खोलने लायक आर्थिक स्थिति जैसी मूलभूत सुविधाएं देना जरूरी है।दुनिया में सर्वाधिक कैशलेस व्यवस्था वाले देश बेल्जियम में भी शायद भिखारी स्वेप मशीन नहीं रखता होगा फिर है।भारत जैसे गरीब देश के लिए पी एम् द्वारा इस प्रकार का उदाहरण देना क्या मजाक नहीं।जरा सोचिए।"
भारत के प्रधानमंत्री जी को अभी बहुत चीजों का ज्ञान नहीं है।
सारी सूचनाएँ स्वयं देना चाहते हैं जिसके वह जानकार नहीं हैं।
उन्हें अभी भी सभी राजनैतिक दलों के साथ समन्वय करने के साथ-साथ
वे भारतीय उपभोक्ता संघ, सामाजिक संगठनों और श्रमिक संघों के साथ
विचार विमर्श करके चलें
अन्यथा कहा जाता है कि या तो इनकी आखिरी सरकार होगी
जिसका ज्ञान और भान उन्हें नहीं है
या वे इमरजेंसी लगायेंगे।
उन्हें नोबल पुरस्कार विजेता से सीखना चाहिये
जो अपने देश में हुए गृह युद्ध से निपटने के लिए सभी का सहयोग ले रहे हैं जैसे राजनैतिज्ञ, पत्रकार, चिकित्सक, व्यापारी और कन्फ़्लिक्ट से और उससे जुड़े लोग भी शामिल किए गए हैं। 'बड़ी बड़ाई न करे सो पाझे पछिताय।"
-शरद आलोक
- सुरेशचन्द्र शुक्ल, Suresh Chanda Shukla, Oslo, 11.12.16
आजकल मोदी जी बिना अपनी जनता के बारे में उनकी सोच को समझे हुए उपदेश और संदेश दे रहे हैं।उनके साथी और सहयोगी उनका अंधा सहयोग दे रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है। हो सकता है यह अनुमान गलत हो।
डॉ राम गोपाल के पत्र मेंलिखा है कि
"मित्रो, 8 नवंबर को जब माननीय मोदी जी ने बड़े नोट वापसी का फैसला लिया तो उनके इस कदम का स्वागत करने वालो की भीड़ में मैं भी शामिल था ,परंतु कल विशाल जन सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने जो कहा उसने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया कि क्या ये हमारे देश के पी एम् बोल रहे हैं।उन्होंने कहा कि आप यदि कार से कही जा रहे हैं और लाल बत्ती पर आपको भिखारी मिल जाए तो आप तुरंत जेब से कार्ड निकालें और उसे कहें भैया मेरे पास छुट्टे नहीं हैं ,तुम अपनी स्वेप मशीन में ये कार्ड स्वेप कर अपने खाते में पैसा डाल लो।
आश्चर्य हुआ,उन्हें ये जानकारी होनी चाहिए थी कि स्वेप मशीन उन व्यवसायियों को दी जाती है जिसका बैंक में करेंट अकाउंट खुला हो ,हर समय उसमे 10000 बैलेंस बना रहे।क्या कोई भिखारी ऐसा करेगा।दुसरे आप यदि इसे व्यापार मानते हैं और भीख को प्रोत्साहन दे रहे हैं तो फिर कैशलेस संबंधी सारे सवाल बेमानी हो जाएंगे।नेट से पेमेंट लागू करने से पूर्व देश मे सभी जगह नेट उपलब्धि,हर नागरिक को आवश्यक शिक्षा और खाते खोलने लायक आर्थिक स्थिति जैसी मूलभूत सुविधाएं देना जरूरी है।दुनिया में सर्वाधिक कैशलेस व्यवस्था वाले देश बेल्जियम में भी शायद भिखारी स्वेप मशीन नहीं रखता होगा फिर है।भारत जैसे गरीब देश के लिए पी एम् द्वारा इस प्रकार का उदाहरण देना क्या मजाक नहीं।जरा सोचिए।"
निंदक नियरे राखिए
सारी सूचनाएँ स्वयं देना चाहते हैं जिसके वह जानकार नहीं हैं।
उन्हें अभी भी सभी राजनैतिक दलों के साथ समन्वय करने के साथ-साथ
वे भारतीय उपभोक्ता संघ, सामाजिक संगठनों और श्रमिक संघों के साथ
विचार विमर्श करके चलें
अन्यथा कहा जाता है कि या तो इनकी आखिरी सरकार होगी
जिसका ज्ञान और भान उन्हें नहीं है
या वे इमरजेंसी लगायेंगे।
उन्हें नोबल पुरस्कार विजेता से सीखना चाहिये
जो अपने देश में हुए गृह युद्ध से निपटने के लिए सभी का सहयोग ले रहे हैं जैसे राजनैतिज्ञ, पत्रकार, चिकित्सक, व्यापारी और कन्फ़्लिक्ट से और उससे जुड़े लोग भी शामिल किए गए हैं। 'बड़ी बड़ाई न करे सो पाझे पछिताय।"
-शरद आलोक
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