गुरुवार, 1 दिसंबर 2016

पुनः बने मागनुस कार्लसन विश्व के शतरंज़ विजेता। - Suresh Chandra Shukla


पुनः बने मागनुस  कार्लसन विश्व के शतरंज़ विजेता। 


नार्वे के युवा शतरंज खिलाड़ी मागनुस  कार्लसन ने एक वर्ष पूर्व विश्व शतरंज चैम्पियन भारत के आनंद को हराकर बने थे. 
कल रात और आज तड़के सुबह हुए अमेरिका में सम्पन हुए मुकाबले में रूस के खिलाड़ी Sergeye Karjakin को हराकर शतरंज चैम्पियन का ताज अपने सर पर बनाये रखा. मुकाबला बहुत रोचक था. 
Gratulerer Magnus Karlsen, du er fortsatt verdensmester i sjakk. मागनुस कार्लसेन को बधायी। नार्वे के मागनुस कार्लसेन Magnus Karlsen ने शतरंज में विश्व चैंपियन का खिताब कायम रखा। और अपने प्रतिद्वंदी रूस के प्रतिभाशाली खिलाड़ी Sergeye Karjakin को हरा दिया। मैं देर रात तक रोचक शतरंज की बाजी टीवी पर देखता रहा। Photo:Dagsavisen. 

बचपन में शतरंज अपने मित्रों के संग. 
मेरा बचपन लखनऊ के एक मोहल्ले पुरानी श्रमिक बस्ती ऐशबाग में बीता है.  सभी को अपने बचपन के स्थान अच्छे और प्यारे लगते हैं. मैं कोई अलग नहीं हूँ. यह मोहल्ला कुछ ख़ास लगता था मुझे।  
यहाँ से बड़ी कालोनी (इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट कालोनी), भदेवां, और ईदगाह के आसपास बसा है. यहाँ से रामलीला मैदान ऐशबाग और गोपीनाथ लक्ष्मणदास रस्तोगी इंटर कालेज, गूंगे-वधिर महाविद्यालय आदि. 
सेंटरवाली पार्क कहलाती है जहाँ राजकीय श्रम हितकारी केंद्र था जहाँ अनेक सामजिक गतिविधियां राज्य सरकार के सहयोग से होती रहती थीं जिससे ज्यादा चहल-पहल रहती थी और अधिक मेलमिलाप रहता था।  संगठित और समानता के आधार पर खेलकूद, पुस्तकालय और वाचनालय, चिकित्सालय और सिलाई बिनाई महिलाओं के लिए उपलब्ध हुआ करता था.
यहाँ पर हम अपने मित्रों के साथ शतरंज खेला करते थे. इन मित्रों में दीपक (आनंद प्रकाश गुप्त), ओम प्रकाश, आत्माराम, बब्बू खान, मनोज सिंह, विजय सिन्हा, देवेंद्र कुमार और वीरेन्द्र कुमार डिमरी, विनोद कुमार भल्ला आदि. 
अभी दीपावली के समय  मुझे अपने बचपन के मित्रों के सहपाठियों से मिलने का अवसर मिला जिनमें प्रमुख थे विनोद कुमार भल्ला (इनके साथ कक्षा  पांच में सहपाठी थे), ओम प्रकाश (हाई के सहपाठी), बब्बू खान (मोहल्ले में साथ चन्दा मांगते थे अतः सामाजिक कार्यों के मित्र), विशाल पाण्डेय, जितेन्द्र कुमार शर्मा मोहल्ले में साथ चन्दा मांगते थे अतः सामाजिक कार्यों के मित्र), सुरेंद्र कुमार 'कोडू' (इन्होंने मेरे साथ कक्षा पांच से दस तक शिक्षा पायी थी) से मिला।


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