बच्चों के लिए बड़ों का बहुत बड़ा आंदोलन
10-11 दिसंबर, 2016 को राष्ट्रपति भवन में Laureates and leaders For Children Summit का आयोजन कर कैलाश सत्यार्थी जी बच्चों के हित में दुनियाभर के नोबेल पुरस्कार विजेताओं और विश्व के प्रमुख नेताओं का एक नैतिक मंच तैयार करने जा रहे हैं।
नोबल पुरस्कार के लिए जब कैलाश सत्यार्थी का नाम घोषित किया गया, तो हम जैसे लोगों के लिए सबसे बड़ी बात यही थी कि एक भारतीय को दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार दिया जा रहा है। ये पुरस्कार इसलिए भी अहम हो गया क्योंकि, भारत की गरीबी, मुश्किलें और असमानता को दूर करने के काम में जब भी कोई काम होता हुआ दिखता है या कहें कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जब ऐसे किसी काम की चर्चा होती है, तो वो ज्यादातर कोई विदेशी संस्था ही कर रही होती है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि भारत की धरती पर भारतीय व्यक्ति और संस्थाओं के किए काम को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कम ही महत्व मिल पाता है। इसीलिए जब नोबल पुरस्कार के लिए कैलाश सत्यार्थी को चुना गया, तो भारत के लिए ये बड़ी उपलब्धि रही। कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों का जीवनस्तर सुधारने के लिए जिस तरह का काम किया और जिस तरह से बिना किसी साधन, संसाधन के लम्बे समय तक उसे जिया, वो काबिले तारीफ है। लेकिन, ये सब शायद दूर से अहसास करने जैसा ही रह जाता, अगर एक दिन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउन्डेशन के कन्टेंट एडिटर अनिल पांडे का बुलावा न आता। बुलावा भी बहुत खास था। उन्होंने कहाकि कैलाश जी पत्रकारों, वेब पर काम करने वाले लोगों से मिलना चाहते हैं। कैलाश सत्यार्थी से निजी तौर पर मिलने की इच्छा भर से मैं वहां चला गया। लेकिन, वहां जाना मेरे लिए कैलाश सत्यार्थी के जीवन भर चलाए गए आंदोलन का अहसास करने का शानदार मौका बन गया। कमाल की बात ये कि अभी भी कैलाश जी पहले जैसे ही सहज, सरल हैं। एक सवाल जो मेरे मन में था कि अब नोबल पुरस्कार तो मिल ही गया। किसी भी सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के लिए इससे बड़ा क्या यानी अब कैलाश सत्यार्थी आगे क्या करेंगे?
ये सवाल मेरे मन में था। लेकिन, हम ये सवाल पूछते उससे पहले खुद कैलाश जी ने कहाकि नोबल पुरस्कार पाने के बाद इतनी रकम और प्रतिष्ठा मिल जाती है कि कुछ न भी करे तो जीवन चल जाएगी और लगने लगता है कि आगे क्या? लेकिन, मुझे लगता है कि बच्चों के लिए अभी बहुत काम करना बचा है। और इसी बहुत काम करना बचा है वाली कैलाश जी की ललक ने भारत की धरती से दुनिया के लिए एक अनोखी मुहिम शुरू की है। वो बच्चे जिन्हें जीवन में किसी तरह से सामान्य बच्चों की तरह जीवन जीने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। वो बच्चे जो अभी भी किसी मजबूरीवश शोषित हो रहे हैं। ऐसे दुनिया के हर बच्चे को दूसरे बच्चों की तरह जीवन देने के लिए कैलाश सत्यार्थी एक बड़ी मुहिम शुरू कर रहे हैं। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की इस मुहिम को मजबूत करने के लिए दूसरे ढेर सारे नोबल पुरस्कार विजेता और दुनिया के बड़े नेता शामिल होंगे। इसके जरिये दुनिया भर के बच्चों के हक में आवाज बुलंद की जाएगी। साथ ही बच्चों की प्रति करुणा, सहृदयता की भावना बढ़ाने की अपील भी होगी।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस अभियान को शुरू करेंगे। 10-11 दिसंबर, 2016 को राष्ट्रपति भवन में Laureates and leaders For Children Summit का आयोजन कर कैलाश सत्यार्थी जी बच्चों के हित में दुनियाभर के नोबेल पुरस्कार विजेताओं और विश्व के प्रमुख नेताओं का एक नैतिक मंच तैयार करने जा रहे हैं। 100 Million For 100 Million Campaign की शुरुआत यहीं से होगी। जैसा नाम से ही जाहिर है ये अभियान दुनिया के उन 10 करोड़ बच्चों के लिए है, जिनको वो सब नहीं मिल सका, जिसके वो हकदार हैं और उन्हें ये हक दिलाने के लिए दुनिया के 10 करोड़ नौजवानों ने मन बनाया है। 10 देशों से शुरू करके अगले 5 सालों में ये अभियान दुनिया के 60 देशों में चलाने की योजना है। कैलाश सत्यार्थी कहते हैं कि दुनिया के हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान का अधिकार दिलाने के लिए ये अभियान चलाया जा रहा है। हम सबको कैलाश जी की इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहिए। मैं इस मुहिम में कैलाश जी के साथ हूं।
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